भूल जाने की बीमारी है डिमेंशिया Dementia in hindi

Dementia/मनोभ्रंश  एक ऐसा मस्तिष्क रोग है जिससे इंसान की सोचने और याद रखने की क्षमता धीरे धीरे कम होती जाती है. इससे व्यक्ति के दैनिक कार्य काफी हद तक प्रभावित होते है. याददाश्त की कमी के कारण  वे यह तक भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौनसा, टाइम, साल या महीना चल रहा है। कभी कभी बात करते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता. व्यक्ति यहाँ तक अपने बच्चे का नाम तक भी भूल जाता है और गंभीर अवस्था में वह अपना नाम भी भूल जाता है. अन्य  लक्षणों में भावनात्मक समस्याएं, भाषा संबंधी कठिनाइयों, और याददाशत की  कमज़ोर  शामिल है।

हालाकिं व्यक्ति की चेतना आमतौर पर प्रभावित नहीं होती है। इसे आम भाषा में सठियाना भी कहा जाता है. डिमेंशिया कोई एक रोग नहीं है. यह कई ऐसे रोगो का प्रतिफल होता है जिसमे रोगी का केन्द्रिका तंत्रिका तंत्र ( central  nervous  system ) सीधे प्रभावित होता है.

डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार अल्जाइमर रोग है, जिससे  50% से 70% लोग पीड़ित होते है। अन्य सामान्य प्रकारों में संवहनी डिमेंशिया यानि नाड़ी संबंधी डिमेंशिया (25%), लुई बाड़िस डिमेंशिया (15%), और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल हैं। एक ही व्यक्ति को एक से अधिक प्रकार के डिमेंशिया हो सकते  है.

 

यह रोग किसी भी उम्र के लोगो को हो सकता है लेकिन आमतौर पर यह वृद्ध लोगो में अधिक होता है. जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है मनोभ्रंश  होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है. डिमेंशिया की शुरुआत धीरे धीरे कई अवस्थाओं से होते हुए होती है. रोगी  लक्षणों से अनभिज्ञ होते है. रोग के लक्षण सुबह उतने गंभीर नहीं होते लेकिन दिन चढ़ने के साथ साथ लक्षण भी गंभीरता की और  बढ़ते है.

यहाँ ये बात समझना काफी ज़रूरी है की  Dementia का अर्थ मंदबुद्धि यानि mental retardation से नहीं है। और न ही ये यह पागलपन  है।

2018  में दुनियां भर में डिमेंशिया से  46 मिलियन लोग प्रभावित थे । लगभग 10% लोगो के जीवन के किसी बिंदु पर यह विकार विकसित होता  हैं।] उम्र के साथ यह और अधिक आम हो जाता है।  65-74 वर्ष की आयु के लगभग 3% लोगों में डिमेंशिया पाया जाता  है, 75 और 84 के बीच 19%, और 85 वर्ष से अधिक आयु के आधे लोगो में यह बीमारी देखी जाती है.

भारत में लगभग 30 लाख लोग इस बीमारी से जूझ रहे है

 

Symptoms of dementia in hindi – डिमेंशिया के लक्षण

डिमेंशिया के लक्षण भिन्न हो सकते हैं लेकिन इनमे  से कुछ लक्षणों के आधार पर इसे  डिमेंशिया रोग  माना जा सकता है:

 

संतुलन की समस्याएं

धीरे-धीरे याददाशत का कम होना जैसे ज़रूरी चीज़ें भूल जाना

निर्णय लेने की क्षमता कम होना

समस्याओं को सुलझाने में कठिनाई

बेचैनी

सवालो को दोहराना

भाषा संबंधी कठिनाइयों

ध्यान केंद्रित करने या  ध्यान देने की क्षमता कम हो जाना

खाने या निगलने में परेशानी

रोजाना के काम को करने में कठिनाई महसूस करना

छोटी-छोटी बात पर बौखला जाना या  रोना

भ्रम और विचलन

 

Causes of dementia in hindi – डिमेंशिया के कारण

डिमेंशिया मस्तिष्क कोशिकाओं  के नष्ट होने से होता  है। यह क्षति मस्तिष्क कोशिकाओं के एक दूसरे के साथ संचार करने की क्षमता में हस्तक्षेप करती है। जब मस्तिष्क कोशिकाएं सामान्य रूप से संचार नहीं कर पाती हैं, तब यह  हमारी सोच, व्यवहार और भावनाओं को प्रभावित करती  है।

मस्तिष्क में कई अलग-अलग क्षेत्र होते हैं, जिनमें से प्रत्येक विभिन्न कार्यों के लिए उत्तरदायी होते  है (उदाहरण के लिए, स्मृति, निर्णय या संचार)। जब किसी विशेष क्षेत्र की  कोशिकाएं  क्षतिग्रस्त होती  है, तो वह क्षेत्र सामान्य रूप से अपने कार्यों को पूरा नहीं कर पाता   है।

 

विभिन्न प्रकार के डिमेंशिया मस्तिष्क के विशेष क्षेत्रों में विशेष प्रकार की कोशिकाओं  क्षति (cell damage) से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, अल्जाइमर रोग में, मस्तिष्क कोशिकाओं (brain cells) के अंदर और बाहर कुछ प्रोटीन के उच्च स्तर मस्तिष्क कोशिकाओं को स्वस्थ रहने और एक दूसरे के साथ संवाद करने के लिए कठिन बनाते हैं। मस्तिष्क क्षेत्र हिप्पोकैम्पस  सीखने और स्मृति का केंद्र है, और इस क्षेत्र में कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण  स्मृति को नुकसान होता है और अल्जाइमर  और अन्य dementia  की शुरुआत होती  है।

कई तरह  के रोग जैसे स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में रक्त आपूर्ति और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी आ जाती है जो डिमेंशिया  का  कारण है

बहुत सारी अवस्थाएं  इन्फेक्शन, मेटाबोलिक डिस्टर्बेंस, ड्रग रिएक्शन ( दवाइयों का रिएक्शन ), ट्यूमर, विटमैन डी की कमी और सिर में चोट से भी dementia  रोग होता है.

इसके आलावा ज्यादा शराब, डिप्रेशन, डायबिटीज, स्मोकिंग, खराब आहार, डिहाइड्रेशन आदि भी  इसके लिए उत्तरदायी हैं

 

Treatment of dementia in hindi – डिमेंशिया का इलाज

डिमेंशिया का उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है। अल्जाइमर रोग सहित बाकि प्रमुख डिमेंशियास  का कोई इलाज नहीं है । हालाकिं दवा से अस्थायी रूप से लक्षणों में सुधार  किया जा  सकता  हैं

इसके अलावा चिकित्सक कई मनोविज्ञानिक थेरेपी,म्यूजिक थेरेपी, पेट थेरेपी, आर्ट थेरेपी आदि का इस्तेमाल भी करते है जिससे रोगी की उत्तेजना को कम किया जा सके  और उन्हे राहत दी जा सके

यह इलाज कई वर्षो तक चल सकता है. चुकीं रोगी बाते याद नहीं रख पाता इसलिए उसकी देखभाल काफी जरुरी हो जाती है.

 

Prevention of Dementia in hindi – डिमेंशिया से रोकथाम

डिमेंशिया/मनोभ्रंश को रोकने के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन कई ऐसे कदम हैं जो आपकी सहायता कर सकते हैं।

 

धूम्रपान न करे

कई अध्ययनों में पाया गया है की मध्यम आयु में धूम्रपान करने से डिमेंशिया/मनोभ्रंश का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए धूम्रपान छोड़ने से यह जोखिम कम हो सकता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है.

 

पर्याप्त विटामिन डी ले

एक्सपर्ट्स के अनुसार रक्त में विटामिन डी के निम्न स्तर वाले लोगो में अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के अन्य रूपों को विकसित करने की अधिक संभावना होती  हैं। आप खाद्य पदार्थ, supplements  और सूर्य की रौशनी के  माध्यम से विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं।

 

ब्लड प्रेशर

उच्च रक्तचाप से डिमेंशिया का जोखिम हो सकता है। इसलिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने की आवश्यकता है.

 

डिप्रेशन

डिप्रेशन और स्ट्रेस को भी डिमेंशिया के संभावित कारणों से जोड़ कर देखा जाता है. इसलिए तनाव से दूर रहना  जरुरी हो जाता है

 

स्वस्थ आहार

रोगी  के लिए उचित आहार लेना भी काफी जरुरी हो जाता है ताकि लक्षणो को नियंत्रण में रखा जा सके. आप हरी पत्तेदार सब्जियों, साबुत आनाज, टमाटर, गाजर, सीताफल, चुकुंदर, मूंगफली, बादाम, काजू  आदि डाइट में शामिल करें. इसके आलावा अलसी के बीज,कनोला तेल, सोयाबीन,सैलमन मछली, फूलगोभी आदि भी ले सकते है. इनमे ओमेगा 3 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

 

शारीरिक व्यायाम

नियमित शारीरिक व्यायाम कुछ प्रकार के डिमेंशिया के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। साक्ष्य बताते हैं कि व्यायाम मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन प्रवाह को बढ़ाकर सीधे मस्तिष्क कोशिकाओं को लाभ पहुचाता है।

 

दोस्तों  डिमेंशिया जैसी बिमारियों के लोगो  की देखभाल करना आसान नहीं है। सही मायने में इसके लिये धैर्य, सहनशीलता और समर्पण चाहिये। लेकिन अगर परिवार साथ हो तो अपनों के लिए यह किया जा सकता है. लेकिन अगर किसी कारण आप ऐसा करने में असमर्थ है तो नर्सिंग होम की सहायता ली जा सकती है.

 

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