अपनाएं विपरीत परिस्थितियों में खुश रहने के अचूक टिप्स

दोस्तों आज की दौड़ती भागती जिन्दगी में खुशिया भी हमसे दूर भाग रही है, कई बार हम अपनी जिम्मेदारियो को निभाने और काम में इतने व्यस्त हो जाते है की अपनी खुशियों से भी दूर हो जाते है. क्या आपको बात बात पर गुस्सा आता है, कुछ चीज ना पूरी होने पर अपने माता-पिता, भाई-बहनों, मित्रो, या कर्मचारियो पर चिल्लाते है,  ऐसा भी होता होगा की आप बेवजह ही उदास है या नाखुश है और तनाव महसूस कर रहे है. दरअसल आप दबाव महसूस कर रहे है. इस लेख में हम इसी समस्या के कारण और समाधान के शानदार टिप्स शेयर करने जा है, जिससे आप विपरीत परिस्थितियों में भी खुश (khush) रह सके.

अक्सर देखने में आता है की ज्यादातर लोग छोटी छोटी बातो से परेशान हो जाते है। काम में झुंझलाहट, काम में मन नहीं लगना ये आजकल की भागती जिंदगी का एक हिस्सा बन चूका है। ज्यादातर लोग काम से होने वाले तनाव से बचने के लिए क्लासेज भी शुरू कर लेते है। लेकिन या तो वो निर्देशो का सही पालन नहीं कर पाते है या फिर काम का दबाव उन्हें निर्देश का पालन करने ही नहीं देता है। नतीजा वही काम का दबाव, झुंझलाहट और फिर गुस्सा। आज हम बात करते है उन मुख्य कारणों की जिनकी वजह से हम परेशान होने लगे है। और उनका समाधान कैसे किया जाये इसके बारे में विस्तारित जानकारी जानिए।

विपरीत परिस्थितियों में khush रहना सीखे

सबसे पहले बात करते है ऐसे कारणों की जिनकी वजह से हमारा खुद पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है।

 

काम याद ना रख पाना :

सुबह लेट उठना  और उठते ही अपने कार्य को याद करके भागदौड़ मचाने लगना आपको परेशान कर सकता है। क्यों की जब सुबह सुबह उठते है तब मस्तिष्क का चेतन भाग जाग्रत होना शुरू होता है उसी वक़्त उस में एक साथ 10 विचार चलने लगे तो जाहिर है मस्तिष्क पर दबाव पड़ेगा जिसकी वजह से अगर कुछ याद रखना है तो वो भी नहीं हो पाता है। मस्तिष्क पर जब अचानक से एक साथ कई विचार चलते है तब वो हर काम को बराबर  वक़्त देता है जैसे एक कंप्यूटर करता है। इस वजह से वो  एक काम पर फोकस नहीं रह पाता है। जिससे हम किसी चीज को बराबर याद नहीं कर पाते है।

तनाव जिससे दिमाग पर नियत्रण हटने लगना

हम अगर किसी काम में सफल होते है तो आगे का काम भी हम कर सकते है ये सोच कर उसे भी कर पाते है मगर किसी काम में असफल हो गए तो ?

हम हमारा आत्मविश्वास खो देते है, अगर एक बार असफल होते है तो उसे जल्दी ही रिकवर किया जा सकता है। लेकिन बार बार अगर असफल होने लगे तो  हमारा आत्मविश्वास खोने लगता है। जिससे काम में असफल होने की वजह से या फिर सही वक़्त पर याद नहीं रहने से झुंझलाहट होने लगती है धीरे धीरे ये तनाव में बदल जाती है जो आगे जाकर गुस्से का रूप ले लेता है।

किसी एक काम का गलत होना बहुत बड़ा प्रभाव डालता है।

अगर हम किसी एक काम में असफल हो जाते है तो उसका हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है। जब किसी काम को अच्छे से नही कर पाते है या फिर गलत कर देते है तो हमारा मस्तिष्क उस काम के असफल होने पर अटक जाता है। जिससे हम दूसरे कामो पर ध्यान नहीं दे पाते है।  बार बार मस्तिष्क पहले काम के असफल होने को लेकर आईडिया बनाने लगता है। इसकी वजह से दूसरे कामो को सही तरीके से नही कर पाते है. ये कड़ी तब तक चलती है जब तक आपका अगला काम सही तरीके से नहीं हो जाता है। इसलिए इससे बचने की कोशिश करे और अगर किसी एक काम में असफल हो भी गए तो घबराये या परेशान न हो बल्कि अगले काम पर फोकस करे। जब वो सही तरीके से हो जायेगा तब आपका मन अपने आप सकारात्मक विचार से भर जायेगा और आप सही तरीके से काम कर सकेंगे।

किसी का मनहूस होना कहा तक सही :

सबकी जिंदगी में एक इंसान ऐसा जरूर  है जिनसे मिलने के बाद आपका मस्तिष्क नकारात्मक होने लगता है। और कार्य के दौरान यही नकारात्मक जब आपके काम को सफल नहीं होने देती है तब आप कहते है

पता नहीं किस का मुँह देख के उठे थे या फिर वो तो था ही मनहूस ये तो होना ही था.

क्या वाकई वो इंसान इसके पीछे था जी नहीं बल्कि आपकी नकारात्मकता आपके काम में बाधक बनी थी जिसकी वजह से आप असफल हो गए। आपकी नकारात्मक सोच आपको सिर्फ हतोत्साहित करती है। जिसकी वजह से आप काम में फोकस नहीं रख पाते है और असफल हो जाते है इससे बचे क्यों की जब तक ये सोच आपके मस्तिष्क में है तब तक आप एकाग्र होकर काम कर ही नहीं पाएंगे।

ये छोटी छोटी बाते आपको किस तरह प्रभावित करती है ये आप देख ही चुके है ज्यादातर लोग इस  तरह की समस्या से रूबरू भी होते रहते है इसलिए इनसे बचा कैसे जाये इन बातो पर गौर किया जाये जिससे सकारात्मक रहते हुए दिन की अच्छी शुरुआत भी कर सके और अच्छे काम को एन्जॉय भी कर सके.

अपना काम खुद करने की आदत डाले :

ज्यादातर स्कूल जाने वाले बच्चे और नोकरी करने वाले व्यक्ति सुबह सुबह अपनी चीजे  पत्नी से पूछते है छोटी छोटी चीजे जो उन्हें पता होती है की कहा पर है फिर भी उम्मीद करते है की पत्निया उन्हें वो चीजे लेकर दे। धीरे धीरे वो उन पर निर्भर होकर रह जाते है। जिससे बाद में उन्हें  इनकी आदत हो जाती है। इस वजह से अगर उन्हें वक़्त पर वो चीजे नहीं मिलती है तो झुंझलाहट होने लगती है। इससे बचने का सबसे बढ़िया उपाय है अपनी जरुरी चीजे कहाँ है इसके लिए दुसरो पर निर्भर ना रहे।

किसी से ज्यादा उम्मीद न रखे :

दुसरो से उम्मीद रखना अच्छी बात है पर बात बात के लिए दुसरो पर निर्भर रहना सही नहीं है। इसकी वजह से आप किसी काम के पूरा ना होने की वजह से झुंझलाने लगते है। धीरे धीरे ये गुस्से का रूप ले लेती है  जो बाद में तनाव का रूप ले लेती है। इसकी वजह से आप खुद पर नियंत्रण खोने लगते है। किसी से उम्मीद रखे  मगर इसका ख्याल रखे की आप दुसरो से उम्मीद करते करते खुद का नियंत्रण ही दुसरो को सौंप दे। कोशिश करे की अगर किसी को कोई काम कहा गया और पूरा नहीं पाया तो उन्हें कहने की बजाय काम को खुद पूरा करने की कोशिश करे।

आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करे

आत्मनिर्भर का मतलब है किसी और से काम करवाने की बजाय खुद अपना काम करना। इससे हम अपने काम से जुड़ते है जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। दूसरा अगर काम किसी और से नहीं हुआ तो हमे अपना काम करवाने के लिए दुसरो पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। आपका काम भी वक़्त पर पूर्ण हो जाता है।

शांत, सौम्य  और  आकर्षक व्यक्तित्व :

क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है की क्यों कुछ लोग हमेशा दुसरो के आकर्षण के केंद्र बने रहते है। इसकी सबसे बड़ी वजह है उनका कम बोलना ज्यादा सुनना। कम बोलना मतलब खुद को दुसरो के लिए रहस्यमयी बनाना और सुनना मतलब दुसरो के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना। इससे आपको 2 फायदे होंगे पहला आप लोगो को ज्यादा से ज्यादा समझते है दूसरा लोग हमेशा अपनी बाते अपने राज सिर्फ आपसे शेयर करना चाहेंगे। यह इसलिए क्यों की इंसान जब किसी के आगे अपना दुखड़ा रोता है तो कोई उसके पास नहीं रहना चाहता है। मानव मनोविज्ञान के अनुसार इंसान उन्हें ज्यादा पसंद करता है जो उसे सुनते रहे  क्यों की सभी चाहते है की लोग उन्हें ज्यादा से ज्यादा जाने। इसका फायदा उठाये और जल्दी ही दुसरो के बिच पॉपुलर बन जाये। ‘

ध्यान और दिन की कल्पना

सुबह सुबह ध्यान किया जाए तो ये आपके दिन की शुरुआत अच्छी कर देता है इसकी वजह है आपके मस्तिष्क को शांत रखने के लिए विचारो पर नियंत्रण। दूसरा अगर सुबह जल्दी उठ कर हम करने वालो कार्यो की कल्पना करे की कैसे हम कार्य करेंगे तो हम उन्हें और ज्यादा अच्छे से कर सकते है  क्यों की इससे हमारा मस्तिष्क बेहतर सोच पायेगा। दूसरा कार्य को लेकर एक से बढ़ कर एक आईडिया हमें मिलने लगता है. इसके अलावा हम अपने आप शांत होने लगते है। click here for more

इन आईडिया को अगर जीवन में उतार लिया जाये तो यकीन मानिये आपको कुछ और करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। आप अपनी जिंदगी में अभूतपूर्व बदलाव महसूस करने लगेंगे। साथ ही हम आपसे कहना चाहेंगे गुस्सा, तनाव, अशांति आज के समय में ये आम बात है, लेकिन ये केवल आपको नुकसान ही पंहुचा सकता है, इससे आपकी उपियोगिता घटती है और आप अपने काम को अपने बेहतरीन तरीके से नहीं कर पाते. ये आपको खुश रहने से भी दूर कर देते है. कई बार यही वजह होती है जब हम बेवजह निराश, नाखुश महसूस करते है और stress या डिप्रेशन भी महसूस कर सकते है. अत: आपके साथ ये होता है तो इसका समाधान आपकी खुशियों को वापस लौटा सकता है.

जिस प्रकार आप बेवजह दुखी या गुस्से में है, उसी प्रकार आप बेवजह खुश (khush) और हंस भी सकते है, या फिर कोई विशेष कारण भी हो तो भी आप दुखी नहीं रहेंगे, बल्कि खुश (khush) रहेंगे क्योकि तभी आप उस वजह को दूर करने के उपाय अपना पायेंगे या उन उपायों का पालन कर पायेंगे.

खुश (khush) रहना जरूरी है, जैसे की साँस लेना जरूरी है. वरना आप जीवन का आनंद नहीं उठा पायेंगे.

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About author

khush rehne ke tips

Name – KUMAR RAMESH

कुमार रमेश जिन्हें ध्यान, त्राटक और अलौकिक घटनाओ पर  लिखने में रूचि है। सम्मोहन और व्यक्तित्व विकास के साथ अवचेतन मन की शक्तियों को उभारने का छोटा सा प्रयास।

Blog url : http://motivationalquoteinhindi.blogspot.in

We are thankful to KUMAR RAMESH for sharing  this article


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