अकेलापन एक अंधकार या आत्मचिंतन का एक सफ़र loneliness in hindi

अकेलापन हमें क्या सिखाता है इसका उत्तर देना आसान नही है. आमतौर पर अकेलापन इंसान को घोर मानसिक यातना की तरफ ले जाता है. ये कहना भी गलत नहीं होगा की अकेलापन/ loneliness शून्य में ले जाता है जहाँ अनंत तक सिर्फ अंधकार ही दिखाई देता है.  ऐसी स्थिति में सोचना व समझना बईमान साबित हो जाता है जिसके कारण इन्सान कभी कभी गलत कदम उठा लेता है और अधिकतर उदाहरणों में जीवन का अंतिम क्षण भी साबित हो जाता है

लेकिन अगर हम इसे दुसरे नजरिये से देखे तो आप सोच पाएंगे की  क्या अकेलापन हमे अन्धकार की गहराईयों में ले जाना सिखाता है या इससे हमारे अन्दर छिपी हुई शक्तियों को भी पहचाना जा सकता है?

मेरा अनुभव यह कहता है की अकेलापन हमे मजबूत बनता है. इस मनोस्थिति में हम स्वयं को समझने लगते है, स्वयं से हमारा परिचय होता है और अपनी कमियों, मजबूतियों और गलतियों का बोध होता है. असल में खुद को को समझना ही ब्रह्मांड और इश्वर को समझना है. इस सकारात्मक शक्ति को पहचानने की हमे सबसे ज्यादा आवश्यकता है और आत्मबोध केवल इसी पद्धति से ही हो सकता है.

आज जमाना रफ़्तार का है. हर व्यक्ति को सबकुछ जल्द पाने के अभिलाषा होती है. और यही पाने की चाह उसकी ख़ुशी और सफलता का मापदंड होती है. हम  ख़ुशी और संतुष्टि को बाहर से खरीदने की कोशिश करते है. लेकिन क्या हम ऐसा कर पाते है?. हम क्षणिक सुख तो प्राप्त कर लेते है लेकिन क्या इसका प्रभाव हम पर लंबे समय तक रहता है? बिलकुल भी नहीं. आज हर आदमी चाहे वह आमिर हो या गरीब चिंता और तनाव से परेशान है.  तेजी से दोड़ती जिंदगी में आदमी मनोरोग की दशा में जल्द पहुँच जाता है. इसका एक कारण यह भी है कि वह आदमी शांति बाहर ढूढता है लेकिन सच तो यह है की निदान उसके अंदर ही छुपा है.

 

समस्याओं और मनोरोग की दशा से उभरने में करीबी लोग सहायता अवश्य करते है लेकिन उन सभी के विचार व सुझाव समस्या को अक्सर अधिक जटिल बना देते है क्योकि रोगी के अन्दर क्या चल रहा है? रोग की क्या जड़ है? इसको समझने का प्रयास कम ही करते है जो समस्या को हल करने की बजाये अधिक जटिल बना देता है.

 

जीवन में विकास के लिए हमे आत्म केद्रित होना होगा. जब हम आत्म केन्द्रित हो जाते है तब हमारे अंदर सकारात्मक उर्जा का संचार होता है जो शीतलता व सहनशीलता की और ले जाता है.  इससे हम अपने आप को समझने में सफल होंगे जब हम आपने आप को समझते है तभी हमे आत्म ज्ञान होता है. जीवन में चल रही घटनाओ का पता चलता है. जब हम अपने आप को भली प्रकार से जान लेंगे तब सभी प्रकार की मानसिक परेशानियों से आप अपने आप को  बाहर  निकलने का रास्ता स्वयं खोज लेंगे. इससे बड़ा प्रश्न हमारे सामने यह उठता है की अपने आप को केन्द्रित कैसे करे.?

 

इसके लिए हमे शांत जगह पर बैठ कर यह सोचना होगा की हम क्या कर रहे है और क्यों कर रहे है  ? इसका असर मुझ पर क्या होगा? आज मैंने दिन में जो भी काम किये है , क्या वो मुझे सकारत्मक परिणाम देंगे? इस तरह के अनेक प्रश्न हो सकते है( यह सवाल आप रात को बिस्तर में लेटे हुए भी अपने आप से कर सकते है)

 

लेकिन इसका अर्थ यह बिलकुल भी नहीं है की आप अकेला रहना शुरू कर दें या अकेलेपन का शिकार हो जाएँ. इस लेख में समझाने का प्रयास इतना ही था कि हम कैसे अकेलेपन से सशक्त बौद्धिक स्तर तक पहुँच सकते है. अकेलापन जो की शुन्यता की स्थिति है, को भरने के लिए किया गया सत्त सकारत्मक प्रयास ही अंत में हमे मजबूत बनाता है जो हमें हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करता है.

 

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लेखक के बारे में

Deepak Kataria

MA History

Associated with World Wide Fund for Nature (WWF) and National Foundation for India (NFI)

Teaching for last four years.

अकेलापन

 

 

 

 

 

 

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3 Comments

  1. SHUBHAM PRAJAPATI 03/12/2017
  2. Uday jaiswal 17/12/2017
  3. Sarabjeet Kaur 24/08/2019

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