MOTIVATIONAL STORY OF EDWIN C. BARNES IN HINDI: POWER OF THOUGHTS

विचार जब उदेश्य,संकल्प,और इच्छा से मिल जाए तब वे बहुत शक्तिशाली बन जाते है.ऐसे ही विचार को Edwin c. Barnes  ने भी सच होते देखा. उसका विचार कोई साधारण विचार नहीं था। Barnes Midwest से एक युवा व्यक्ति था जिसका सपना था की वो great inventor THOMAS A. EDISON का बिजनेस पार्टनर बने। उसकी ये इच्छा बहुत ही प्रबल थी. BARNES की इच्छा थी की वो EDISON के साथ काम करे ना की उसके लिए। जब ये विचार BARNES के दिमाग मे आया तब वह इस हालत मे नहीं था की इस विचार पर कार्य कर सके. क्योकि उसके सामने बहुत सी समस्याए थी। पहली तो यह की वो MR. EDISON को जानता नहीं था, इसके अलावा उसके पास इतने पैसे नहीं थे की वो ORANGE, NEW JERSEY जाने के लिए ट्रेन की टिकिट खरीद सके और उसके पास कोई तकनीकी कौशल भी नहीं था. लेकिन ये बाधाए BARNES को EDISON की प्रसिद्ध कार्यशाला(LABORATORY) जो की WEST ORANGE, NEW JERSEY मे थी तक पहुचने से रोक नहीं सकी. BARNES अपना उदेश्य पाने के लिए पूरा निश्चित था और उसकी इसी इच्छा ने गरीबी को उसके आगे बाधा नहीं बनने दिया। 1905 मे वह माल गाड़ी पर WEST ORANGE पहुचा और अपने आप को प्रसिद्ध EDISON के सामने पेश किया ओर उसको कहा की वो उसके साथ पार्टनर्शिप करने यहा आया है तब EDISON के साथ खड़े स्टाफ के सदस्य BARNES की बात सुनकर हस पड़े. लेकिन EDISON नहीं हंसा. Edison के साथ अपनी पहली वार्ता के दौरान BARNES एक साधारण आवारा व्यक्ति लग रहा था. लेकिन BARNES के भावो से ऐसा लगता था की जिस उदेश्य के लिए वह यहा आया था उसके प्रति वह पूरा determined था. एडीसन ने भी उसके अंदर इस determination को देखा और उसकी अभिलाषा और उदेश्य को देखकर उसे अपना सपना पूरा करने का एक अवसर प्रदान किया. लेकिन बिजनेस  पार्टनर के रूप मे नहीं बल्कि फ्लोर स्वीपर के रूप मे और अपने साथ काम करने का एक अवसर प्रदान किया. आने वाली घटनाओ ने ऐसा सिद्ध किया कि उसका निर्णय गलत नहीं था. Barnes ने इस ऑफर को स्वीकार कर लिया लेकिन वह इस बात को सोचकर हतोत्साहित नहीं हुआ कि एडीसन ने उसे क्या जॉब ऑफर किया. बल्कि वो इसे अपने उदेश्य को पूरा करने के दिशा मे एक कदम मानता था. और वह जानता था कि इस ऑफर को स्वीकार करने के बाद उसे एडीसन से काफी कुछ सीखने, उसके विचार जानने का अवसर मिलेगा। उसके मन मे एक निश्चित लक्ष्य था कि उसे एडीसन का बिज़नस पार्टनर बनना है और ऐसा वह पाकर रहेगा चाहे इसके लिए शेष जीवन लग जाए. यह उसके निश्चय, उसकी जिद, उसकी इच्छा का ही परिणाम था कि जिस अवसर कि तलाश मे था वह था वह आया. करीब दो साल Edison के लिए काम करने के बाद उसे एक स्वर्ण अवसर मिला और इस मोके का वह पूरी तरह लाभ उठाना चाहता था जब अवसर आया तो वह दूसरे तरीके से आया और दूसरी दिशा से आया जिसकी Barnes ने आशा नहीं कि थी. कई सालो कि तैयारी के बाद इनवेंटर Edison अपनी Edison dictating machine (अब EDIPHONE) को commercialize करना चाहते थे. Edison dictating machine एक रिकॉर्डर है जो ह्यूमन वॉइस को रिकॉर्ड करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. उसके salesman इस मशीन को लेकर उत्साहित नहीं थे। उनका मानना था कि इस मशीन को बेचने के लिए अधिक efforts कि जरूरत होगी. उनको इस बात पर संदेह था कि Edison का ये invention commercially कामयाब हो पाएगा इसलिए इस नए invention को बेचने को लेकर वे कम interested थे. इस दौरान barnes ने अपने अवसर को देखा. Barnes जानता था कि वह Edison dictating मशीन को बेच सकता था. उसने एडीसन को इस बारे मे बताया। और जल्द ही उसे मौका भी मिल गया। उसने इस मशीन को बेचा भी और महीने के अंदर ही उसने हजारो एडीसन डिक्टेटिंग मशीन बेच डाली. वह इसमे इतना कामयाब रहा कि उसे इस मशीन को देश के हर हिस्से मे बेचने का अवसर भी मिल गया। इसके द्वारा उसने बहुत पैसा कमाया और बहुत ही छोटी उम्र मे करोड़पति भी बन गया.

Barnes वह व्यक्ति बना जिसने हजारो अमेरिकन्स कि एडीसन कि इस डिवाइस से मदद कि. Barnes अपने कमजोर पोर्टफोलियो ओर कम पैसो के बावजूद एक योग्य salesperson बना. Barnes ने मिले मोके का फायदा उठाया और EDISON के कई salespersons मे से वह एक था जो करोड़पति बना. Barnes जानता था कि उसे क्या चाहिए, उसके निश्चेय कि वजह से ही उसका उदेश्य हकीकत बन सका जिस पर उसका पूरा focus था. नपोलेयन हिल ने Barnes के बारे मे लिखा कि उसने यह सिद्ध किया कि one may really ‘THINK AND GROW RICH’ . अगर आप मे विश्वास हो तो आप कुछ भी पा सकते है, barnes के इसी अटूट विश्वास, इच्छा और निश्चित उदेश्य ने ही उसे वो सब दिलाया जिसकी उसने कल्पना की थी.

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