मिस्टर पॉजिटिव vs मिस्टर नेगेटिव the power of positive thinking

Mr positive vs Mr Negative the power of positive thinking

आज की कहानी ऐसे दो शख्सों की है जो सबके दिमाग में है. ये दोनो हमारी सोच और हमारे विचारो  (thoughts) की उपज है. हम  बात कर रहे है मिस्टर सकारत्मक (Mr positive) और मिस्टर नकारात्मक (Mr Negative) की।  अब आप इनके नाम जान गए है तो इनके काम भी जान ही गए होंगे। मिस्टर पॉजिटिव का काम है आपकी मन में सकारत्मक विचार (positive thinking) पैदा करना और मिस्टर  नेगेटिव का काम है आपके मन में नकारत्मक विचार (Negative thinking) पैदा करना।

इंसान के दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है और ये दोनों उसकी रोजमरा की जिन्दगी का महत्वपूर्ण भाग है जो अपना-अपना काम करना अच्छे तरीके से जानते है . मि. सकारत्मक (Mr positive)  इस बात का विशेषज्ञ है की आप सफल क्यों और कैसे हो सकते है जबकि मि. नकारत्मक (Mr Negative)  आपकी असफलता को सुनिश्चित करता है।

जब आप अच्छे के बारे में सोचते है तो मिस्टर पॉजिटिव एक्टिव हो जाता है जैसे मेरा जीवन क्यों अच्छा है तो मि. सकारात्मक आपके सामने वो सारे अच्छे अनुभवो को रखता है जिनसे आप जुड़े हो मसलन अच्छा परिवार, अच्छा खानापीना, अच्छी आर्थिक स्थिति आदि। इसके विपरीत जब आप सोचते है मेरा जीवन क्यों अच्छा नही है तो मि. नकात्मक एक्टिव हो जाता है और आपके सारे  बुरे अनुभव आपके सामने आने लगते है मसलन मैं क्यों नही जीत पाया, मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है आदि आदि…

अब ये आप पर निर्भर करता है की किस को ज्यादा तवज्जो दी जाए। ध्यान रहे जिसको जितना तवज्जो देंगे वो उतना ही मजबूत होता जाएगा और दूसरे पर हावी भी होता जाएगा। और दूसरे को नाकारा कर देगा और एक दिन आपके दिमाग पर कब्जा कर लेगा और फिर आप सिर्फ-और-सिर्फ उसकी ही बात सुनोगे। अब जैसे ही आपको लगे की रिश्तों में कुछ अनबन हो रही है तो अपने आप से कहे कि मुझे कितना प्यार करने वाले लोग मिले है जो मुझे चाहते है बस फिर सारा काम मि. सकारत्मक कर देगा और आपके रिश्तों से जुड़े सारे अच्छे अनुभवो को  आपके सामने रख देगा और देखना कुछ देर में सब ठीक होता चला जाएगा।

मान लिजिये एग्जाम से 1 महीना पहले किसी विद्यार्थी के दिमाग पर मि. नकारत्मक हावी हो जाए की वह पास नही हो पायेगा  तो निश्चित ही फ़ैल हो जाएगा लेकिन इसके विपरीत अगर वो सोचे की 1 महीना मतलब 30 दिन मतलब 720 घण्टे है अगर उसमे से 360 घण्टे भी विश्वास के साथ पड़ेगा तो जरूर पास हो जाएगा।

इसके पीछे एक विज्ञानिक तर्क भी है. जब हम कुछ पॉजिटिव (positive thinking) सोचते है तो हमारे अन्दर सकरात्मक उर्जा (positive energy) का निर्माण होता है जो आप सहित आस पास के वातावरण को भी शुद्ध कर देती है वही इसके विपरीत नकरात्मक सोच नकरात्मक उर्जा (negative energy) उत्पन करती है. सकरात्मक उर्जा हमारे संकल्प यानि हमारे विश्वास, विपरीत परिस्थिति से लड़ने की क्षमता को मजबूत करती है जिससे विचार (thoughts) action में बदलते है.

मनोविज्ञानिको के अनुसार हमारे व्यवहार (behaviour) और attitude (दृष्टिकोण) को हमारी सोच और विचार (thoughts) सीधे तोर पर प्रभावित करते है. सकरात्मक सोच (positive thinking) वाले इंसान का रवैया मुश्किल के वक्त भी सकरात्मक होता है. ऐसे लोग प्रॉब्लम पर चर्चा करने, हार मनाने या रोने की बजाये उसका हल ढूढ़ते है. यानि ऐसे लोग solution foccused होते है वही नकारत्मक सोच वाले लोग किस्मत पर या दुसरो पर दोष देते है. ऐसे लोग problem focussed होते है.

हमारे विचार (thoughts) ही है जो हमे दुसरो से सही मामले में अलग बनाते है. तो बताइए आप कौन है Mr positive या फिर Mr Negative

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5 Comments

  1. Sangesh panwar 03/11/2016
  2. Sangesh panwar 03/11/2016
  3. Mandeep 09/09/2017
  4. Shivam Sony 05/02/2020
    • whats knowledge 13/02/2020

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