जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें
जब बच्चे जिद पकड़ ले तो उनसे डील करना बहुत मुश्किल हो जाता है खासकर तब जब वह सबके सामने जिद करने लगे. ये जिद इनती बढ़ जाती है कि बच्चे सबके सामने रोने लगते है, जमीन पर लेट जाते है, कपडे गंदे कर लेते है और उनकी जिद् के चलते आप सारी भीड़ के केंद्रबिंदु बन जाते है. कई लोग तो खुद बच्चो की इस तरह जिद करने से चिडचिडे हो जाते है और बच्चो को डाटने लगते है और हाथ भी उठा देते है जो बिलकुल भी सही नही है। अगर बच्चे की जिद को इस तरह पूरा कर दिया गया तो उसे अपनी बात मनवाने का एक तरीका मिल जाएगा और अगली बार किसी चीज़ की चाहत होगी तो वही जिद करेगा. अब ऐसे में यह समझ नही आता की उनकी जिद पूरी करे या ऐसे ही रोने दे.
तो आइये हम आपको बताते है कुछ ऐसी मनोवैज्ञानिक तरकीबे जिससे आपको अपने बच्चे की जिद को समझने और उसे शांत करने में मदद मिलेगी.
5 Ways To Deal With A Stubborn Child in hindi – जिद्दी बच्चो के साथ कैसे डील करें
उसका ध्यान भटकायें….
जिद्दी और रोते हुए बच्चे को शांत करवाने का ये एक तरीका हो सकता है कि आप उसका ध्यान किसी दूसरी चीज़ की तरफ मोड़ दे. जैसे आपका बच्चा अगर जिद कर रहा है तो उसे उसकी पसंदीदा चीज़ दे या पसंदीदा खाना दे कर उसका ध्यान कही और लगा सकते है या आसपास की कोई चीज़ दिखा कर उस पर कहानी बता कर भी उसका ध्यान जिद से हटा सकते है.
उसकी बात को समझे
बच्चा हमेशा किसी न किसी कारण से जिद करता है तो पहले उस कारण को समझने की कोशिश करे. एक बार जिद का कारण समझ आ जाएगा जो बच्चे को समझाना थोड़ा आसान हो जाएगा.
झूठे वादे न करे.
हम अक्सर बच्चो को बाज़ार लेकर जाते है और बच्चा किसी चीज़ को देख कर जिद करने लगता है तो कह देते है “आगे से लेंगे ये अच्छा नही है” और फिर आगे जा कर बच्चा उसी चीज़ को देखता है तो जिद पकड़ लेता है. या फिर उसे कोई चीज़ दिलाने का वादा करते है और भूल जाते है लेकिन बाज़ार में वो चीज़ देख कर बच्चे को याद आ जाता है तो वह जिद करने लगता है तो ऐसे वादे न करे जो आगे चल कर जिद का रूप ले ले.
बहस न करे.
बच्चा अगर जिद कर रहा है तो आप उसके साथ बहस न करे बल्कि परिस्थितियों को समझे. उसकी जिद को डाट कर या हाथ उठा कर शांत करने की कोशिश बिलकुल भी न करे. इससे बच्चे के और ज्यादा जिद्दी बनने के चांस बढ़ जाते है.
उनके सवालों के जवाब दे.
बच्चो का स्वभाव होता है कि वह सवाल करते है। उनके सवालों के जवाब देना माता-पिता के लिए जरूरी है. कई बार बच्चो के सवालों का जवाब न मिलने पर वह बार बार सवाल करते है। उन्हें टालना या जवाब न देना सही नही है। इससे बच्चे में जिद की भावना जन्म लेती है और अगर बच्चा रोते हुए या जिद के समय सवाल करता है तो बहुत ही शांति और प्यार से उसके सवालों का जवाब दे.
इन सब तरीको के बाद भी परिस्थितियों के अनुसार कई बार बच्चो की जिद को मानना पड़ता है इसलिए आप भी अड़ियल स्वभाव त्याग कर उनकी बात को समझे और अपने बच्चे को एक बेहतर सीख देने और एक बेहतर इन्सान बनाने के बारे में सोचे.
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