आत्महत्या क्या है | आत्महत्या का मनोविज्ञान | suicide in hindi

तेजी से बदलते समय मे आत्महत्या मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन गया है। इससे पहले की हम आत्महत्या के मनोविज्ञान को समझने की कोशिश करे उससे पहले यह जानना जरूरी है की आत्महत्या किसे कहा जा सकता है। इसका जवाब मनोवैज्ञानिक  इडविन शेनिडमैन  ने दिया है और इन्हे इस क्षेत्र में शोध करने का सबसे प्रभावकारी वैज्ञानिक माना जाता है। इडविन शेनिडमैन ने आत्महत्या को परिभाषित करते हुए कहा है कि यह एक intentional death है यानि यह एक आत्म-प्रेरित मृत्यु है जिसमें व्यक्ति अपनी जिंदगी को समाप्त करने का intentional, direct  या चेतन प्रयास करता है।

इसमे चार तरह के लोगो आते है है जो जान-बूझकर अपनी जिन्दगी को समाप्त करते हैं या intentional death  की कोशिश करते हैं। ये हैं-

मृत्यु चाहने वाले व्यक्ति  (death seeker)

मृत्यु की पहल करने वाले व्यक्ति  (death initiator)

मृत्यु की उपेक्षा करने वाले व्यक्ति (death ignorer)

मृत्यु का सामना करने वाले व्यक्ति  (death darer)

 

मृत्यु चाहने वाले व्यक्ति (death seeker) वैसे व्यक्ति होते हैं जिनमे सूसाइड करते समय अपने मन में अपनी जिंदगी को समाप्त कर देने की एक दम साफ इच्छा होती हैं। इसके बारे में उनके मन में कोई दोराह नहीं होता है। जिन्दगी समाप्त करने की मात्र एक इच्छा ही उसके मन में होती है। परन्तु यह इच्छा की अवधि काफी छोटी होती है। कुछ घंटे बीत जाने बाद या अगले दिन यह इच्छा बदल कर अन्य इच्छाओं के साथ मिल जाती है

कई मानोवैज्ञानिकों  का मानना है कि जो लोग अपने जीवन को समाप्त करने में घातक औजारों का उपयोग करते हैं, उनमें ऐसी ही इच्छा की प्रबलता होती है। अतः ऐसे लोगों को मृत्यु चाहने वाले व्यक्ति (death seeker) की श्रेणी में रखा जाता है।

 

मृत्यु की पहल करने वाले व्यक्ति (death initiator) में भी अपने जीवन लीला को खत्म कर देने की स्पष्ट इच्छा होती है परन्तु साथ-ही-साथ इनमें यह भी विश्वास होता है कि मृत्यु तो होनी ही है परन्तु वे उसे सिर्फ तेज कर देना चाहते हैं ताकि वे जल्दी ही अपने आप को मृत्यु को सौप दें। अधिकतर बूढ़े लोगों में ऐसा ही विश्वास कायम हो जाता है। अतः इन लोगों को आत्महत्या करने वालों की इस श्रेणी में रखा जाता है।

 

मृत्यु की उपेक्षा करने वाले व्यक्ति (death ignorers) में वैसे व्यक्ति को रखा जाता है जिनमें यह विश्वास होता है कि suicide से उनका अस्तित्व खत्म  नहीं होता है बल्कि उसे एक नयी जिन्दगी की प्राप्ति होती है जिसमें हो सकता है उन्हें तुलनात्मक रूप से अधिक खुशी मिलेगी। अधिकतर वैसे आत्महत्या जो बचपन में किये जाते हैं या फिर धार्मिक प्रवृत्ति से प्रभावित व्यक्तियों द्वारा किया गया आत्महत्या को इसी श्रेणी का आत्महत्या माना जाता है।

 

मृत्यु का सामना करने वाले व्यक्ति (death darer) की श्रेणी मे ऐसे लोगो को रखा गया है जो आत्म हत्या का प्रयास करते है और अपने इरादो मे पक्के होते है।  दूसरे शब्दो मे कहे तो जिसमे दूसरों को लगे की वह suicide करना चाहते है परंतु मन से तो वो ऐसा करना ही नही चाहते जैसे कोई व्यक्ति ऊंची इमारत पर छत के किनारे किनारे चलता है तो इससे उसकी इच्छा मे स्पष्ट दोराह दिखाई देता है।  एक शोध मे यह स्पष्ट हुआ है की मृत्यु का सामना करने वाले व्यक्ति ऐसे व्यक्ति होते है जो दूसरों का ध्यान अपनी ओर खीचते है। दूसरों मे दोष भाव पैदा करने की कोशिश करते रहते है या मृत्यु प्राप्त करने की कोशिश कर के अपना गुस्सा दिखाते है।

 

आत्महत्या का मनोविज्ञान

 

आत्महत्या के बारे मे कुछ तथ्य तथा कुछ गलत धारणाएं

आत्महत्या के क्षेत्र मे किए गए शोधो मे कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए है और साथ ही साथ कुछ गलत धारणाएं भी सामने आई है जिसके बारे मे आप सबका जानना जरूरी है

 

आत्महत्या के कुछ तथ्य

 

(1) आत्महत्या की दर प्रति एक लाख व्यक्तियों में किये जाने वाले आत्महत्या के आधार पर ज्ञात किया जाता है जो भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न है। वर्ल्ड स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार कुछ देशों जैसे हंगरी, जर्मनी, आस्ट्रीया, डेनमार्क, फिनलैंड, बेलजियम, स्वीटजरलैंड, फ्राँस तथा जापान में यह सर्वाधिक है (अर्थात् प्रति एक लाख में 22 से लेकर 45 तक)। परन्तु अन्य देश जैसे इटली, आयरलैंड, पेरू, मिस्र आदि में सबसे कम अर्थात् प्रति एक लाख में 1 से 2 आत्महत्या होती है। अमेरिका तथा कनाडा में यह दर बीचो बीच का है अर्थात  प्रति  एक लाख में 12 से 13 तक आत्महत्या होती है।

 

(2) आत्महत्या करने वालों में से आधे ऐसे होते हैं जो पहले भी एक बार वैसा प्रयास कर चुके होते हैं परन्तु करीब दो-तिहाई आत्महत्या प्रयास करने वाले ऐसे होते हैं जो फिर दोबारा प्रयास नहीं करते हैं।

 

(3) पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आत्महत्या की दर सामान्यतः तीन गुना अधिक होता है।

 

(4) विधवा होने पर या तालक होने पर महिलाओं में आत्महत्या की जोखिम बढ़ जाती है।

 

(5) आत्महत्या की प्रवृत्ति बहुत वृद्ध व्यक्तियों तथा बहुत कम उम्र के व्यक्तियों दोनों में ही होता है। दूसरे शब्दों में कहे तो 75 साल की आयु से अधिक तथा 14 साल से कम आयु के व्यक्तियों में भी होता है।

 

(6) सूसाइड सभी तरह के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर के लोगों में होती है

 

(7) आत्महत्या से हुई मृत्यु के अतिरिक्त कोई दूसरी मृत्यु नहीं होती है जो दोस्तों एवं सम्बन्धियों में स्थायी तौर पर दु: ख, दोषभाव तथा disturbances पैदा करता हो।

 

(8) सूसाइड की दर बच्चों एवं किशोरों में दिनों-दिन बढ़ते जा रही है।

 

(9) आत्महत्या की दर depressive years में अधिक होती है।

 

आत्महत्या के बारे में कुछ गलत धारणाएँ (misconception) भी प्रचलित हैं जो इस प्रकार हैं

 

  1. वैसे लोग जो आत्महत्या के बारे में बातचीत करते हैं, आत्महत्या नहीं करेंगे।
  2. आत्महत्या बिना चेतावनी के किया जाता है।
  3. कुछ विशेष वर्ग के लोग ही आत्महत्या करते हैं।
  4. किसी धार्मिक समूह का मात्र सदस्य होने से यह समझा जा सकता है कि वह व्यक्ति सूसाइड नहीं करेगा।
  5. आत्महत्या की अभिप्रेरण आसानी से पहचाना जा सकता है
  6. वे सभी लोग जो आत्महत्या करते हैं, डिप्रेशन का शिकार होते हैं।
  7. एक व्यक्ति जो मृत्यु-योग्य शारीरिक बीमारी से ग्रस्त है, आत्महत्या नहीं करेगा।
  8. सूसाइड करना एक पागलपन है।
  9. सूसाइड करने की प्रवृत्ति जन्मजात होती है।
  10. सूसाइड सप्ताह के विशेष दिन, मौसम, वायुमण्डलीय दबाव आदि से प्रभावित होता है।
  11. आत्महत्या अंतरिक्षीय कारकों (cosmic factors) जैसे चन्द्रमा की अवस्थाओं या सूर्य की अवस्था (अर्थात्सुबह, दोपहर, शाम) आदि से प्रभावित होता है।
  12. सांवेगिक अवस्था उन्नत होने पर व्यक्ति सूसाइड नहीं करता है।
  13. आत्महत्या करने वाले व्यक्ति स्पष्टतः मरना चाहते हैं।
  14. आत्महत्या के बारे में चिन्तन बहुत कम होते हैं।
  15. एक depressed इंसान से आत्महत्या के बारे में पूछे जाने पर वह आत्महत्या करने को तैयार हो जायेगा।

 

दोस्तो अगर आपके दोस्तो, परिवार मे या आस पास मे किसी मे भी suicidal tendency दिखती है तो उसको अपने आस के किसी psychiatrist पर जरूर दिखाये ताकि सही मे समस्या का कारण को समझकर उसका proper इलाज या समाधान निकाला जा सके इससे पहले की देर हो जाए। हम सभी को मिलकर mental health के प्रति awareness फैलाने के जरूरत है ताकि एक healthy society का निर्माण हो सके। हमेशा याद रखे की ज़िंदगी अनमोल है। मुसीबतों का सामना करे न की हार मान ले।

उम्मीद करते है आपको हमारा यह आर्टिक्ल पसंद आया होगा। अगर आपके कोई सवाल है तो आप हमसे कमेंट के जरिये पूछ सकते है।

 

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  1. Anand patel 31/01/2021

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