अवसाद | डिप्रेशन के कारण | Causes of Depression in hindi

किसी भी समस्या को अच्छे से समझने के लिए यह जानना काफी आवश्ययक है की वह समस्या क्यो होती है, उसके क्या कारण है और किस वजह से इन कारणो की उत्पत्ति होती है। तभी हम उस समस्या का समाधान जान सकते है या उस समस्या से बच सकते है। Depression को अच्छे से समझने के लिए उसके पीछे छिपे कारणो (Causes of Depression) को जानना भी काफी जरूरी है तभी ठीक प्रकार से उसका निदान किया जा सकता है। तो चलिये इस आर्टिक्ल मे हम डिप्रेशन के कारणो यानि Causes of Depression को समझने के कोशिश करते है।

 

डिप्रेशन के कारण – Causes of Depression in hindi

 

  1. बायोलॉजिकल कारण (Biological Causes)

 

कई बार डिप्रेशन का कारण या तो जीन्स (genes) में होता है या कुछ ऐसे शारीरिक गड़बड़ी (physiological malfunction) से होता है जिसका आधार inherited हो सकता है । नीचे दिये गए तीन ऐसे संकेत है जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि डिप्रेशन का आधार जैविक biological होता है

 

(1) महिलाओं में स्वाभाविक दैहिक परिवर्तन की अवधि जैसे बच्चा जन्म देने के बाद या मासिक स्राव शुरू होने के पहले वे अपने आप को डिप्रेशन मे पाती है।

 

(2) विभिन्न संस्कृतियों, यौन (sexes), उम्र एवं प्रजातियों (races) के लोगों में डिप्रेसिव लक्षणों में लगभग समानता होती है जिससे अपने आप उसका जैविक आधार की पुष्टि होती है।

 

(3) कुछ दवाइयो के साइड इफैक्ट के रूप में डिप्रेशन को सामान्य व्यक्तियों में पैदा किया जा सकता है। जैसे, रिसरपाइन  जिसका उपयोग हाइ ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए किया जाता है, जिससे व्यक्ति में डिप्रेशन पैदा होताहै।

 

  1. मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Causes)

 

जब व्यक्ति अपनी कोई प्रिय वस्तु खोता है या उसे कोई हानी होती है तो उसमे कुछ अचेतन प्रतिकियाँ पैदा हो जाती है तो वह उसे डिप्रेशन की ओर ले जाती है।  इसका बीज बचपन मे ही बो दिया जाता है।  किसी बच्चे की आवश्यकताओं की पूर्ति काफी अधिक हो सकती है या काफी कम हो सकती है। इसका परिणाम यह होताहै कि व्यक्ति इस अवस्था मे fixed हो जाता है । इसका परिणाम यह होता है कि psychosexual maturation का विकास रुक जाता है और वह अपने आत्म-सम्मान के लिए दूसरों पर अधिक निर्भरता दिखाने लगता है।

अब प्रश्न यह उठता है कि बच्चपन की इस घटना से एक वयस्क में डिप्रेशन किस तरह विकसित होता है? जब ऐसे लोगों को वयस्कावस्था में किसी प्रिय वस्तु को खोते है या प्रियजनों की मृत्यु या बदलाव का सामना करना पड़ता है तो ऐसे व्यक्ति अपने मुखावस्था में वापिस लौट जाते हैं। इस अवस्था में वापिस होने के बाद ऐसे व्यक्ति की अपनी पहचान उस व्यक्ति के साथ मिल जाती है जिसे वह खो चुका होता है। दूसरे शब्दों में, ऐसा व्यक्ति प्रियजन को खुद के साथ जोड़ लेता है और तब उनके मन में जो भाव अपने प्रियजनों के प्रति थे, वे खुद के प्रति हो जाते हैं। कुछ व्यक्तियों में यह सब कुछ समय तक बनी रहती है और थोड़े समय के बाद व्यक्ति अपना एक भिन्न एवं स्वतंत्र पहचान बना कर अपने सामाजिक संबंधों को पुनः जीवित कर लेता है। परंतु कुछ लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं और उनमें अचेतन की यह प्रक्रिया काफी मुश्किले पैदा कर देती हैं।

उनके दुख ओर खुशी का अंतर इतना गहरा हो जाता है कि वह खुद को खोया खोया महसूस करने लगते है। सामाजिक संबंधो से अपने आप को दूर कर लेते है और अपनी हानी पर ही फोकस करते है। उससे ऐसे लोगों में अपने आप के प्रति घृणा का भाव पैदा हो जाता है जिससे उनमें negative moods, self-blame और social withdrawal आदि जैसे व्यवहार पैदा हो जाते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि ऐसे लोग और भी अधिक depressed हो जाते हैं।

 

causes of depression in hindi

 

मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रायड के अनुसार प्रियजनों या वस्तुओं की हानि होने पर दो तरह के लोग डिप्रेशन से सबसे ज्यादा प्रभावित होते है।  एक तो जिनके माता-पिता बच्चो कि आवश्यकताओं पूरी नही कर पाते या फिर जरूरत से ज्यादा कर देते हों। जिन बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति अपर्याप्त ढंग से होती है, वे पूरी जिंदगी दूसरों पर आधारित रहते हैं, अपने को स्नेह पाने के लायक नहीं समझते हैं और उनका आत्म-सम्मान कम होता है। जिन लोगों की आवश्यकताओंकी पूर्ति अत्यधिक होती है, वे जिंदगी में अन्य अवस्थाओं की ओर बढ़ना ही नहीं चाहते हैं । दोनों तरह के लोग पूरी जिंदगी दूसरों का स्नेह एवं approval पाने के लिए कड़ी मेहनत करते रहते हैं।

किसी प्रियजन के खोने या अलग होने पर ऐसे लोगों में क्षति (loss) का अत्यधिक तीव्र भाव उत्पन्न होता है तथा इन्हें छोड़कर चले जाने पर इन प्रियजनों के प्रति अत्यधिक क्रोध का भावना भी पैदा होती  है।

सवाल यह उठता है कि कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जिनको  प्रियजनों को बिना खोये हुए भी डिप्रेशन हो जाता है। ऐसा क्यों?म नोवैज्ञानिक फ्रायड ने इसकी व्याख्या करने के लिए काल्पनिक (imagined) या सांकेतिक धारा बनाई है जैसे जिन लोगो की नौकरी छुट जाती है वो अचेतन रूप से ऐसा महसूस करते है कि उनका उनकी पत्नी से संबंध टूट सकता है क्योकि नौकरी मे असफल होने से वह उन्हे बेकार और निकम्मा आदमी समझेगी।

 

इसके साथ साथ अलग अलग मनोविज्ञानिकों ने डिप्रेशन के अलग अलग psychological causes बताए है । जैसे मनोवैज्ञानिक कोहान ने डिप्रेशन  में खुद के प्रति ईर्ष्या या क्रोध पर दिया गया बल को अनावश्यक बताया है। उनके अनुसार आत्म-सम्मान (self-esteem) की कमी डिप्रेशन के पैदा होने का मुख्य कारण होता है

 

एक अन्य शोध में यह पाया है कि व्यक्ति के शुरुआती जिंदगी में यदि महत्त्वपूर्ण हानि होती है, तो वयस्कावस्था आने पर उसमें डिप्रेशन (depression) अधिक उत्पन्न होता है। जिन लोगो की वयस्कावस्था मे आवश्यकताओं की पूर्ति ठीक ढंग से नहीं हुई होती है, वे किसी प्रकार की हानि (loss) का अनुभव करने पर बहुत जल्दी डिप्रेशन मे आ जाते हैं।

 

  1. संज्ञानात्मक कारण (Cognitive Causes)

 

मनोवैज्ञानिक बेक का मानना था कि depression का कारण नकारात्मक चिंतन यानि negative thinking होता। उनका यह मत है कि डिप्रेसिव लोगों अपने बारे में, अपनी परिस्थितियों तथा भविष्य के बारे में इतना अधिक नकारात्मक सोचते है कि उनका व्यवहार अपने आप इससे प्रभावित होने लगता है। बेक के अनुसार maladaptive attitude, चिंतन में त्रुटि तथा automatic thoughts ही ऐसे कारक जो आपस में मिलकर नकारात्मक सोच पैदा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 

(i) Maladaptive attitudes –अपने प्रति, दूसरों के प्रति बच्चों का व्यवहार, उनकी अपनेअनुभवो, उनके पारिवारिक संबंधों तथा अपने आस-पास के लोगों द्वारा उनके बारे मेंकिये निर्णय पर आधारित होता है। इसमें कुछ बच्चे नकारात्मक व्यवहार विकसित कर लेते हैं।

 

(ii) Cognitive triad डिप्रेशन की उत्तम व्याख्या अपने बारे में, परिस्थिति के बारे में तथा भविष्य के बारे में उत्पन्न negative attitude के माध्यम से उत्तम ढंग से की जा सकती है। मनोविज्ञान मे इसे Cognitive triad का नाम दिया गया है जिसमे  एक डिप्रेसिव व्यक्ति तथ्यों को नकारात्मक ढंग से देखता है, परिस्थिति के नकारात्मक पहलू पर  ज्यादा ध्यान देता है तथा भविष्य के बारे में निराशावादी एवं निराशाजनक प्रत्याशाओं को पैदा करता है। ऐसे व्यक्ति अपनी अनुभूतियों को बोझ, बाधा या आघात (traumas) के रूप में समझते हैं जो व्यक्ति को लगातार परेशान करते रहता है तथा साथ-ही-साथ उसका उत्साह खत्म करता रहता है। इतना ही नहीं, ऐसे लोग अपने आप को अयोग्य, अपर्याप्त, कमजोर एवं दूसरों से कम समझने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने भविष्य के लिए काफी परेशान रहते हैं और वे अपने भविष्य को खोखला, दुःखभरा, एवं असफलताओं का संसार मानते हैं।

 

(iii) Errors in thinking – डिप्रेसिव व्यक्ति आदतन गलत तर्क अपनाते हैं जिससे cognitive triad और भी अधिक मजबूत हो जाता है। ऐसे गलत तर्को के कई प्रकार इस तरह हैं जैसे

 

Arbitrary inference – व्यक्ति सबूत होने के बावजूद भी नकारात्मक निष्कर्ष पर विश्वास करता है।

 

Selective abstraction – व्यक्ति किसी एक नकारात्मक पहलू पर अपना ध्यान केन्द्रित करता है तथा अन्य बड़े संदर्भ की उपेक्षा करता है।

 

Over-generalization – व्यक्ति एक साधारण एवं तुच्छ घटना के आधार पर बहुतबड़ा निष्कर्ष पर पहुँचने की भूल करता है।

 

Magnification – डिप्रेसिव व्यक्ति किसी एक मामूली एवं साधारण घटना का अपने डिप्रेशन का महत्त्वपूर्ण कारक बना लेता है। जैसे किसी स्टूडेंट को सिर्फ 8-10 क्लास नहीं करने पर. उसमें यह विश्वास पैदा हो जाता है कि वह फेल हो जाएगा, तो यह एक Magnification का उदाहरण होगा।

 

Minimization – व्यक्ति अपनी positive घटनाओ के महत्त्व को underestimate करता है और negative events को overestimate करता है

 

Personalization – व्यक्ति अपने आप कोन कारात्मक घटनाओं का कारण मान लेता है।

 

4. Automatic thoughts – डिप्रेसिव लोग automatic और unwanted thoughts का काफी ज्यादा सामना करते है जो उन्हे हमेशा उनकी परिस्थिति के निराशाजनक पहलुओं को याद दिलाते रहता है। ऐसे विचारो को Automatic इसलिए कहा है क्योंकि ये विचार मन मे अपने आप उत्पन्न होते है।

 

तो दोस्तो यह थे कुछ कारण ( Causes of Depression ) जिसकी वजह से व्यक्ति डिप्रेशन का सामना करता है। उम्मीद करते है आपको यह जानकारी फायदेमंद लगी होगी। अगर आपके कोई सवाल है तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। हमारे आने वाले सभी आर्टिक्ल की latest notification पाने के लिए हमे subscribe जरूर करे।

 

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