जानिए क्या होती है TRP और और क्या है टीआरपी का खेल

दोस्तो कई बार आप अखबारो या न्यूज़ चैनल्स पर सुनते होंगे की इस हफ्ते इस सिरियल की TRP सबसे ज्यादा है, बिग बॉस टॉप 10 TRP सीरियल्स की लिस्ट से बाहर हो गया तो नागिन 3 इसहफ्ते नंबर 1 टीआरपी शो बन गया। लेकिन क्या आप जानते है की ये TRP  क्या है?  कैसे कोई न्यूज़ चैनल अपने आपको देशका नंबर 1 न्यूज़ चैनल बता देता है?  कैसे ये पता चलता है की यह प्रोग्राम हिट है या सबसे ज्यादा देखा जा रहा है?  इसका जवाब है टीआरपी.

तो दोस्तों इस आर्टिकल में हम इसी टॉपिक पर बात करेंगे कि ये TRP क्या है, TRP कैसे मापी जाती है और इसके खेल से क्या मतलब है?

 

टीआरपी क्या है – WHAT IS TRP IN HINDI

टीआरपी यानि टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट साधारण शब्दों में कहेतो इस बातका आंकलन करनाहै  कि कौन सा चैनल या प्रोग्राम कितने लोगो द्वारा और कितने समय तक देखा जा रहा है. TRP की एक परिभाषा यह भी हो सकती है कि किस चैनल या प्रोग्राम को दर्शको द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है.  इस आधार पर पता लगाया जाता है कि कौन सा चैनल या प्रोग्राम कितना प्रसिद्ध है.

 

कैसे मापी जाती है TRP – How TRP is calculated in hindi

दोस्तों सबसे पहले हम आपको बता दे कि टीआरपी एक अनुमानित अकड़ा है यानि इस बात का दावा नही किया जा सकता कि जिस चैनल या प्रोग्राम की टीआरपी सबसे ज्यादा आ रही है वो लोगो में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है ऐसा इसलिए, क्योकि टीआरपी मापने वाला डिवाइस पुरे देश में 50 से 60 हज़ार घरो में ही है. और इस 50 से 60 हज़ार को एक सैम्पल के तौर पर लिया जाता है.  इस डिवाइस को People’sMeter कहा जाता है।  ये डिवाइस लोगो द्वारा देखे जाने वाले  चैनल के बारेमें डाटा रिकॉर्ड करता हैं

टीआरपी मापने के 2 पैमाने है.

1. दर्शको की संख्या – चैनल या प्रोग्राम की TRP मापने का एक पैमाना यह होता है कि एक समय में कितने लोग उसे देख रहे है.

2. समय – TRP मापने का दूसरा पैमाना है कि उसे औसतन कितने समय तक देखा जा रहा है.

इन दोनों पैमानों के आधार पर TRP मापी जाती है।  अब उसे एक उदाहरण से समझते है. माना की एक चैनल को 20 लोगो द्वारा 10 मिनट तक देखा गया , वही दुसरे चैनल को 10 लोगो द्वारा 30 मिनट तक देखा गया.

ऐसा में एक चैनल को 20×10 = 200 मिनट देखा गया और और दुसरे चैनल को 10×30= 300 मिनट तक देखा गया तो दुसरे चैनल की TRP ज्यादा मानी जाएगी.

 

क्यों मापी जाती है टीआरपी – Why TRP  is calculated in hindi

मनोरंजक चैनल या न्यूज़ चैनल दोनों का ही व्यवसाय विज्ञापन पर टिका है यानि जितने ज्यादा विज्ञापन होंगे उतने ही ज्यादा उनके पास पैसे आयेंगे. और और उनका चैनल आगे चलेगा और ऐसे ही जिस चैनल या जिस प्रोग्राम में ज्यादा TRP होती है उस चैनल या प्रोग्राम में विज्ञापन देने का खर्च भी बढ़ जाता है.

अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि जिस चैनल को ज्यादा लोग देख रहे है विज्ञापनदाता (विज्ञापन देने वाले) उस चैनल पर अपना विज्ञापन देने के बजाये ज्यादा TRP वाले प्रोग्राम को ही विज्ञापन क्यों देते है?  इस सवाल का जवाब वो कुछ इस तरह देते है कि जितना ज्यादा समय तक चैनल को देखा जाएगा उतना ही ज्यादा दर्शक उनके विज्ञापन को देखेंगे. यानि एक दर्शक अगर एक ही विज्ञापन को बार बार देखता है तो उसका प्रभाव ज्यादा होता है इसलिए ज्यादा TRP वाले चैनल को ज्यादा विज्ञापन मिलते है.

 

क्या है TRP का खेल? Why TRP is important in hindi

अब बात आती है इस खेल को समझने की. इस बात में कोई शक नही है कि मनोरंजन चैनल जैसे कलर्स, स्टार प्लस, जी-टीवी आदि की TRP न्यूज़ चैनल्स से हमेशा ज्यादा रहती है।  एक आकडे के अनुसार टीवी देखने वाला एक व्यक्ति औसतन एक मनोरंजन चैनल को 46 मिनट देखता है और एक न्यूज़ चैनल को 13 मिनट. ऐसे में कहा जा सकता है कि हमारे देश में मनोरंजन का ज्यादा बोल बाला है.

किसी भी न्यूज़ चैनल में एक खबर को दिखाने का औसत खर्चा 10 से 15 हज़ार है और इसके अलावा भी कई खर्चे होते है जो इससे बाहर है।  अगर देखा जाए तो एक न्यूज़ चैनल में एक महीने में करोडो रुपए खर्च होते है. और ये करोडो रूपये विज्ञापनदाताओ से आते है।   विज्ञापन उन्ही चैनल या प्रोग्राम को मिलते है जिनकी टीआरपी ज्यादा है. और सबसे ज्यादा TRP मनोरंजन की है. ऐसे में न्यूज़ चैनल के लिए जरूरी हो जाता है कि चैनल में चल रही न्यूज़ या प्रोग्राम को मनोरंजक बनाया जाए. ताकि ज्यादा टीआरपी आये और ज्यादा TRP का मतलब है ज्यादा विज्ञापन और ज्यादा पैसे मिलना.

कही न कही देखा जाए तो मीडिया एक उद्योग ही है और न्यूज़ इसका प्रोडक्ट जिसे लोगो तक पहुँचने के लिए काफी खर्चा होता है और उस खर्च को पूरा करने के लिए टीआरपी और विज्ञापन का सहारा लिया जाता है.

ऐसे में गलती न्यूज़ मीडिया की तो है ही साथ ही हम लोगो की भी है क्योकि ज़्यादातर लोग भी वही न्यूज़ देखना पसंद करते है जिसमे कुछ मसाला होऔर न्यूज़ चैनल भी लोगो को बनाए रखने क लिए वही खबर परोसते है और असली मुद्दे गायब हो जाते है।

 

दोस्तों आपको हमारा ये आर्टिकल कैसा लगा हमे कमेंट बॉक्स में बताये और अगर आपका भी इससे जुड़ा कोई अनुभव है तो हमारे साथ साझा करें। साथ ही अपने दोस्तों के साथ ये जानकारी शेयर करे ताकि वो भी इस खेल को आसानी से समझ पाए.

 

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  1. Shivansh Singh 18/12/2018

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