जानिए मार्शल आर्ट के पिता बोधिधर्म के बारे में bodhidharma history in hindi

मार्शल आर्ट्स में सबसे प्रमुख है कुंग फू और दुनियां में इसे सिखने सबसे अच्छी जगह है चीन का शाओलिन टेम्पल. यह बोद्ध धर्म का मंदिर होने के साथ साथ मार्शल आर्ट का एक ट्रेनिंग स्कूल भी है. दुनियां भर से यहाँ लोग कुंग फू सिखने की इच्छा से आते है लेकिन क्या आप जानते है जो शाओलिन टेम्पल में इस कला का लेकर आया वह एक भारतीय थे जिनका नाम बोधिधर्म था. शायद आप में ज्यादातर लोग नहीं जानते की कुंग फू असल में भारत की ही देन है जो आज यहाँ लगभग समाप्त हो चुकी है और चीन ने इसे अपना लिया है. तो चलिए जानते है की आखिर कुंग फू मार्शल आर्ट भारत से चीन तक कैसे जा पंहुचा.

 

Bodhidharma story and history in hindi –  बोधिधर्म का इतिहास

 

बोधिधर्म, जिन्हें जापान में दारुमा के नाम से भी जाना जाता है,  एक भारतीय बौद्ध भिक्षु थे, जिन्हें चीन में जेन बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि बोधिधर्म भारत के कांचीपुरम शहर में पैदा हुए थे, जो 450-500 ई.पू. के प्रारंभ में मद्रास शहर के पास स्थित था। वह कांचीपुरम शहर के राजा सुगंध के तीसरे पुत्र थे. बोधिधर्म/ Bodhidharma को कांचीपुरम का राजा बनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. उन्हें बुद्ध की शिक्षाओं में रुचि थी इसलिए 7 साल की छोटी उम्र से ही वे अपना ज्ञान दिखाने लगे।

बोधिधर्म ने अपने गुरु महाकाश्यप के अधीन प्रशिक्षण प्राप्त करना शुरू कर दिया और एक भिक्षु बन गए। उनका नाम बदलकर बोधितारा से बोधिधर्म रख दिया गया. बाद में उन्होंने एक मठ में रहना शुरू किया जहां उन्होंने बुद्ध धर्म का मार्ग अपनाया ।

अपने पिता की मृत्यु के बाद, बोधिधर्म/ Bodhidharma ने अपने गुरु के मार्गदर्शन में पूरे भारत में ज्ञान और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को फैलाना शुरू किया।

कई सालों बाद, अपने गुरु के देहांत के बाद, बोधिधर्म ने मठ छोड़ दिया और अपने गुरु के अंतिम अनुरोध को पूरा करने के लिए चीन चले गए. बुद्ध की वास्तविक शिक्षाओं को उन्होंने चीन में ही आगे बढ़ाया। हालाकिं चीन के लिए उनकी यात्रा का वास्तविक मार्ग अज्ञात है, अधिकांश विद्वानों का मानना ​​है कि वह समुद्र के मार्ग से मद्रास से चीन के गुआंगज़ौ प्रांत तक गए थे।

कुछ विद्वानों का यह भी मानना ​​है कि वह पीली नदी से लुओयांग तक पामीर के पठार से होकर गुजरे। लुओयांग उस समय बौद्ध धर्म के एक सक्रिय केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था. ऐसा कहा जाता है कि बोधिधर्म/ Bodhidharma को चीन यात्रा में तीन साल लग गए थे.

 

चीन में जब, बोधिधर्म ने बौद्ध धर्म का प्रसार करना शुरू किया , तब वास्तविक बौद्ध धर्म पर उनके शिक्षण के कारण उन्हें संदेह और भयंकर विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि बौद्ध शास्त्र केवल ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक मार्ग है, और आत्मज्ञान केवल ध्यान के अभ्यास से ही प्राप्त किया जा सकता है।

 

बोधिधर्म ने प्रामाणिक ध्यान-आधारित बौद्ध धर्म की शिक्षा को बहिष्कार और खारिज कर दिया. उन्हें वहां कई महीनों तक भिखारी के रूप में रहना पड़ा। उन्होंने लुओयांग प्रांत छोड़ दिया और हेनान प्रांत में चले गए जहां से उन्होंने शाओलिन मठ की यात्रा की।

शाओलिन/ shaolin temple में उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया इसलिए  वे पास की एक गुफा में रहने लगे , जहां उन्होंने ध्यान लगाया और नौ सालों  तक किसी से बात नहीं की.

 

उनकी एकाग्रता और समर्पण देखकर शाओलिन भिक्षु उनसे बहुत प्रभावित हुए और अंत में उन्हें मठ में प्रवेश दिया गया । उन्होंने भिक्षुओं को ध्यान के बारे में सिखाया लेकिन उन्होंने जल्दी ही यह एहसास किया कि वे सब ध्यान के कठोर और लंबे सत्रों को सहन करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं थे। बोधिधर्म ने भारतीय श्वास व्यायाम और साथ ही मार्शल आर्ट/ कुंग फू द्वारा उनकी ताकत और संकल्प को बढ़ाने की कोशिश की ।

 

बोधिधर्म शाओलिन में कई वर्षों तक रुके जहाँ उन्होंने ध्यान के साथ  कुंग फू की भी ट्रेनिंग दी. 100+ साल की उम्र में उन्होंने अपनी आखरी सांस ली. कुछ शिष्य ने उनसे  बदला लेने के लिए उन्हें जहर दे दिया क्योंकि उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में नहीं चुना गया था।

बोधिधर्म एक ऊर्जावान शिक्षक थे. अपने जीवनकाल में उन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किये। उनके विचारों का विरोध किया गया । इसके बावजूद उन्होंने प्रत्येक आदमी को जागृत करने के लिए प्रोत्साहित किया.

 

बोधिधर्म झेन बौद्ध धर्म और शाओलिन मार्शल आर्ट दोनों के पिता के रूप में जाना जाने जाते है लेकिन आज भी वे दृढ़ संकल्प,  इच्छा शक्ति, आत्म-अनुशासन और जागृति का एक प्रमुख प्रतीक है।

 

आज इनके द्वारा सिखाये गये मार्शल आर्ट्स दुनियां भर में लोकप्रिय है लेकिन दुःख की बात यह है की इनकी मात्रभूमि भारत में आज भी ज्यादातर इनके बारे में नहीं जानते.

 

 

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9 Comments

  1. Vishnu Kant 13/07/2017
  2. Vitthal kadam 26/09/2017
  3. MAMTA BHASKAR VANDANA SHINDE 25/10/2017
  4. Aditya sirvi 15/03/2018
  5. Raj mandal 23/05/2018
  6. Ashutosh Singh 30/07/2018
    • whats knowledge 30/07/2018
  7. Sandy desuza 26/09/2018
  8. Rajendra Dinkar Kuswadkar 15/11/2019

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