विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 38 मिलियन भारतीय आज किसी न किसी मानसिक समस्या का सामना कर रहे है. लेकिन आज भी हमारे देश में मानसिक समस्याओ पर लोग खुल कर बात करना पसंद नहीं करते. कई लोगो को लगता है की अगर वह अपनी मानसिक या व्यवाहरिक समस्या किसी को बताते है तो वे समाज में सहानुभूति या मजाक का विषय बन जाएंगे तो कई लोग सोचते है की मेंटल डिसऑर्डर इंसान की अपनी ही गलतियों का नतीजा होते है. भारत के कई कई हिस्सों में आज भी यह सोचा जाता है की सभी मानसिक समस्याएँ भुत बाधा या प्रकोप का नतीजा होती है. ऐसे में तंत्र मंत्र के जरिये लोग इसका इलाज़ करना ज्यादा उचित समझते है. ऐसे में समस्या घटने की बजाय और बढ़ जाती है और रोगी अकेले ही घुटता रहता है. ऐसे में हमारे लिए यह जान लेना ओर भी जरुरी हो जाता है की आखिर mental disorder क्यों होते है? क्या ये अचानक से हो जाते है या इसके पीछे भी कई कारण होते है.
मनोविज्ञानिको के अनुसार मानसिक विकारो के कई कारण होते है. इन्ही कारणों की वजह से इंसान अपना तालमेल सामाजिक वातावरण के साथ नहीं बैठा पाता जिससे उसका व्यवहार असामान्य लगने लगता है. तो आइये इसके पीछे के कुछ मनोविज्ञानिक कारणों के बारे में जानते है?
मानसिक रोगों के कारण – causes of mental disorder in hindi
Early deprivation or trauma
बच्चो के विकास के शुरुआती दिनों में जब उनके साथ किसी प्रकार की अपूर्णता या नकरात्मक घटना हो जाती है तो इनसे उनका व्यतित्व विकास ठीक से नहीं हो पाता. इससे उनके व्यवहार में कई तरह की समस्याएं उत्पन हो जाता है. ये घटनाये कई तरह की हो सकती है जैसे
- Deprivation
कई बार बचपन में बच्चो को माता पिता का प्यार उतना नहीं मिल पाता जितना एक सामान्य बच्चे को मिलना चाहिए. कई बार समय की कमी की कारण भी ऐसा होता है और कई बार बच्चो का तिरस्कार भी कर दिया जाता है. ऐसे बच्चे अपने आपको अकेला महसूस करते है. साथ ही इनका कौशल और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता जिसके कारण आगे चलकर उनमे असामान्य व्यवहार उत्पन हो जाता है. ऐसे बच्चो में विश्वास की कमी भी देखी जाती है जिसके कारण इन्हें भविष्य में रिलेशनशिप बनाने में कठिनाई होती है.
- childhood trauma
बचपन में जब बच्चो के साथ किसी प्रकार की नकरात्मक घटना घटती है जैसे परिवार में किसी की मृत्यु, या शोषण तो इनसे उनके व्यक्तित्व विकास पर असर पड़ता है और उनकी परिस्तिथियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, ऐसे सदमो से उनके व्यवहार में असामान्यता आ जाती है. अगर बचपन में ही उनका निवारण न निकल पाया हो तो इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलता है.
parenting
माता पिता अपने बच्चो का पालन पोषण किस तरह से करते है यह भी काफी हद तक उनके विकास को तय करता है. कई पेरेंट्स अपने बच्चो को कुछ ज्यादा ही छुट दे देते है तो कई उनके साथ कुछ ज्यादा ही सख्त हो जाते है. मनोविज्ञानिको के अनुसार अपर्याप्त पेरेंटिंग कई तरीको से होती है जैसे
- over protection
कई बार माता पिता अपने बच्चो की सुरक्षा को लेकर कुछ ज्यादा ही चिंतित हो जाते है और हर संभव तरीके से उन्हें सुरक्षा प्रदान करते है. ऐसे में वे उन बेसिक कामो को भी खुद कर देते है जिन्हें बच्चो को करवाना चाहिए. मनोविज्ञानिको के अनुसार बच्चो की अति सुरक्षा की कारण उनका सामजिक , व्यक्तित्व और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता जिससे बाद में कई समस्याएँ देखेने को मिलती है.
- restriction
कई पेरेंट्स अपने बच्चो के लिए सख्त नियम तय करते है जिससे बच्चो में डर और निर्भरता आ जाती है. इसका असर भविष्य में भी देखेने को मिलता है. ऐसे लोग खुल कर अपनी बात रखने में कठिनाई महसूस करते है.
- overpermisivness
कई माता पिता अपने बच्चो की हर डिमांड को पूरा कर देते है चाहे वह महंगी से महंगी क्यों न हो लेकिन बच्चो में अनुशासन भावना पैदा नहीं कर पाते. कई बार ऐसे बच्चो में गुस्से, हठ, स्वार्थीपन, असहयोग और अपनी हर बात मनवाने की प्रवृत्ति देखने को मिलती है.
cognition
इंसान अपने बारे में क्या सोचता है, अपने आस पास के वातावरण के बारे में क्या सोचता है, काफी हद तक उसका व्यवहार तय करता है. इसी सोच से वह अपनी एक पहचान बनाता है. लेकिन कई लोगो में अपने और समाज की लिए नकारात्मकता सोच पैदा हो जाती है जिसके कारण उसमे निरस्कार और निराशा की भावना पैदा हो जाती है. इससे उनका आत्मविश्वास घटता है और उनका व्यवहार प्रभावित होता है.
ऐसे लोगो में तनाव चिंता, डिप्रेशन, anxiety disorder और कई तरह के रिलेशनशिप प्रोब्लेम्स देखने को मिलते है.
situations
हमारी परिस्तिथियाँ भी काफी हद तक हमारी सोच और व्यव्हार को तय करती है. कई बार इंसान के जीवन में कुछ ऐसी परिस्तिथियाँ उत्पन हो जाती है की उसका व्यव्हार असामान्य हो जाता है और उनका अपने ऊपर से नियंत्रण कम हो जाता है. जैसे रिलेशनशिप में दिक्कत, नौकरी का न मिलना, एग्जाम, लड़ाई झगडे, नुकसान. ट्रामा आदि
ऐसे में व्यक्ति अपने आपको कमजोर महसूस करता है और कई तरह की मानसिक समस्याओं से घिर जाता है.
ये सभी कारण किसी भी मानसिक समस्या के विकसित होने के बुनियादी कारण है. हलाकि हर mental illness जैसे obsessive compulsive disorder, schizophrenia, multiple identity disorder के अपने कुछ मनोविज्ञानिक और बायोलॉजिकल कारण होते है जिसका इलाज़ संभव है. लेकिन इसके लिए जरुरी है उस व्यक्ति या उसके घर वालो का एक कदम जो की समस्या पार बात करना और उसका इलाज़ करवाना है.
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वैसे मानसिक बीमारी और कुछ हमारी वो अधूरी इच्छाए है जो बार बार दबा दी जाती है.
मानसिक बीमारियों से निजात पाने का सही तरीका वक़्त पर सही बात बोलना है और जो आपने बताया है वो बिलकुल सटीक है. शेयर करने के लिए धन्यवाद आपका ब्लॉग पढ़ कर अच्छा लगा.
Kya kisi baat ke bare me baar baar sochna koi mansik bimari h
I am clinical psychologists cont
Yes
I am suffering from lack of confidence. Please tell me how can I increase my confidence.
How manydays any patiant very well?
घोटा विचार आना
Mere husband thik rehte h par kuch mahino baad unhe achanak se neend nhi aayi h 1 din 2 din ho jata h baat nhi karte jaldi se sunte nhi h aur akele me haste h essay lagta h kaise vo kisse ke sath baat kar rahe h
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