नवरात्री हिन्दुओ का पर्व है जिसमे माँ दुर्गा के प्रति आस्था प्रकट की जाती है, नवरात्री का अर्थ है नौ राते, इस दौरान भक्त प्रतिपदा से नवमी तक देवी शक्ति (लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा) के नौ रूपों की उपासना करते है. साल में नवरात्री चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन, माघ महीने में आती है, लेकिन चैत्र नवरात्री और आश्विन महीने की नवरात्रि प्रमुख है। जिसे पुरे भारत में खासकर उत्तरी भारत मे भक्त बड़ी धूम धाम से मनाते है.
नवरात्री में किन नौ देवियों की पूजा होती है
नवरात्री के पहले से लेकर नौवे दिन दिन तक नौ देवियों की पूजा और अर्चना की जाती है, नवरात्री के पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता छठे दिन कात्यायनी सातवे दिन कालरात्रि आठवे दिन महागौरी नौवे दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
चैत्र नवरात्री और महत्त्व
नवरात्रों का धार्मिक महत्व के साथ साथ आध्यात्मिक और वैज्ञानीक महत्व भी है, नवरात्रे का त्यौहार प्रतीक है बुराई शक्तियों के अंत का और अच्छाई के जन्म का. नवरात्री के नौ दिन में किये जाने वाले व्रत और पूजन का हमारे जीवन पर भी बहुत असर पड़ता है, जीवन में आत्म अनुशासन, शुद्धिकरण और संयम बनाये रखने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है.
चैत्र नवरात्री विक्रम संवत के शुरुआती दिन यानि चैत्र प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है, पुराणों के अनुसार नवरात्रे के पहले दिन देवी आदिशक्ति ने अवतार लिया और देवी के कहने पर ब्रह्म ने चैत्र प्रतिपदा से सृष्टि की रचना करना प्रारम्भ किया. जिसके कारण चैत्र मास शुक्ल की प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है. चैत्र नवरात्री वसंत ऋतू की शुरुआत का प्रतीक भी है
नवरात्री में भक्त व्रत (fast) रखते है, नियम, साधना और पूजन करते है, जो की आध्यात्मिक रूप से महत्व पूर्ण है, यह व्यक्ति में संयम और अनुशासन का प्रवाह करता है और मानसिक शक्ति प्रदान करता है. नवरात्रों के दिनों में भक्त पूरी पवित्रता से माता की आराधना करते है, जो की मन और आत्मा की शुद्धी के लिए जरूरी है.
अगर नवरात्रों के महत्व को ज्योतिषशास्त्र के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो चैत्र नवरात्रा मे ही सूर्य 12 राशियों के भ्रमण का चक्र पूरा करता है, और अगला चक्र शुरू करने के लिए पहली राशी मेष में प्रवेश करता है. मेष राशी अग्नि तत्व की है और सूर्य का मेष राशी में प्रवेश करना गर्मियों की शुरुआत का सूचक माना जाता है.
वैज्ञानिक रूप से भी चैत्र नवरात्रो का बहुत महत्व है, जब चैत्र और आश्विन महीने की नवरात्रो की शुरुआत होती है तो ऋतुओ में बदलाव हो रहा होता है, चैत्र नवरात्री गर्मियों की शुरुआत के समय और आश्विन नवरात्री सर्दियों की शुरुआत के समय मनायी जाती है. इन ऋतू परिवर्तनो के कारण हमारे गलत खान पान से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है और हमारे बीमार होने के ज्यादा अवसर होता है. अत: नवरात्रों में रखे जाने वाले व्रत हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखते है.
नवरात्री का पर्व शुरुआत है बदलाव का, आत्मा मन और शरीर के शुद्धिकरण का. बूरी आदतों को त्याग कर अच्छी आदतों को अपनाना. जीवन में शांति लाने और तनाव कम करने में भी इसकी महत्व पूर्ण भूमिका है. आशा है की नवरात्री का यह पर्व आपके जीवन में खुशहाली लाये.
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बहुत ही उम्दा लेख …. शानदार प्रस्तुति …. Thanks for sharing this!! 🙂 🙂