आपने कई लोगो को देखा होगा जिन्हें शोपिंग का बहुत शोक होता है . चाहे उस चीज की जरुरत हो या न हो लेकिन खरीदने की तीर्व इच्छा हमेशा मन में बनी रहती है. खरीदारी का जरुरत से ज्यादा शोक ऑनलाइन शोपिंग में ओर अधिक आम हो जाता है जब सब कुछ घर बैठे बैठे एक क्लिक में available है. कई लोग अपनी इस आदत से परेशान भी है क्योकि ऐसा करने से वे अपने आप को चाह कर भी नहीं रोक पाते. इससे न सिर्फ पैसो का नुकसान होता है बल्कि एक तरह का obsession (सनक) और मानसिक कष्ट भी देखने को मिलता है. कई बार तो इस आदत के कारण लाखो रूपए क्रेडिट कार्ड से पानी की तरह बह जाते है. जब यह लत irresistible (जो रुक न सके) और uncontrollable हो जाती है तो यह एक तरह से मानसिक विकार का रूप ले लेती है जिसे मनोविज्ञान में Compulsive buying disorder (कंपलसिव बाईंग डिसऑर्डर) कहा जाता है.
क्या होता है कंपलसिव बाईंग डिसऑर्डर – Compulsive buying disorder in hindi
Compulsive buying disorder एक तरह का विकार है जिसमे व्यक्ति अपने आप को अनियंत्रित खरीदारी करने से नहीं रोक पाता. इस अवस्था में पीड़ित व्यक्ति को शोपिंग करने की अत्यधिक इच्छा होती है जो धीरे धीरे सनक/ obsession का रूप ले लेती है जो irresistible और impulsive होती है. इससे पीड़ित को न सिर्फ मानसिक संघर्ष का सामना पड़ता है बल्कि, financial (आर्थिक), सामाजिक, पारिवारिक और शादीशुदा रिश्ते में भी असर देखने को मिलता है. अक्सर लोग इस बात को समझ नहीं पाते जिसके कारण परिवार में आपसी मन मुटाव और झगडे देखने को मिलते है.
cause of Compulsive buying disorder in hindi – कंपलसिव बाईंग डिसऑर्डर के कारण
- इस डिसऑर्डर में हुए शोधो के अनुसार जिस व्यक्ति को shoping addiction होता है वह Anxiety, Impulsivity, Low self-esteem, eating disorder, Perfectionism, impulsiveness, mood swings जैसी समस्याओ से भी ग्रसित होता है.
- ऑनलाइन शोपिंग भी ज्यादा शोपिंग करने की आदत को बढ़ावा देती है.
- जिन लोगो में self esteem/आत्म विश्वास की कमी होती है वे ज्यादा खरीदारी करके इसे पूरा करने की कोशिश करते है
- कई लोग self-worth और social acceptance को बढ़ाने के लिए भी इसका सहारा लेते है.
- real self और ideal self के बीच का अंतर भी एक प्रमुख कारण है. इस अंतर को मिटाने के लिए वह कई तरीके की लत देखी जाती है.
management of Compulsive buying disorder in hindi
- अगर मनोविज्ञानिक पद्धति की बात करे तो counseling, cognitive behaviour therapy, group therapy के जरिये इस लत से छुटकारा पाया जा सकता है
- meditation और योगा के जरिये कई तरह की लत से मुक्ति पाई जा सकती है.
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अच्छी पोस्ट ……बहुत से लोगों को ये बीमारी होती है ……बहुत से लोग बिना वजह ही चीजों को खरीद लेते है जिनकी कोई ज़रूरत ही नहीं होती है…. इस पोस्ट से बहुत से लोगों को लाभ मिलेगा
Bahut hi badiya article likha hai aapne thanks for share this post
हमेशा की तरह एक और बेहतरीन लेख ….. ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ….. शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 🙂 🙂