डांसिंग प्लेग मध्यकालीन यूरोप मे घटी एक ऐसी रहस्यमयी घटना थी जिसमे मध्ययुगीन यूरोप के लोगो ने तब तक नृत्य किया जब तक की वे मर नही गये. इन लोगो ने ऐसा क्यों किया. इस पोस्ट मे हम इसी बात को जानेंगे की आखिर क्या था dancing plague mystery.
यूरोप मे अंधकार युग (200 इसवी से 500 इसवी) और मध्य युग (500 इसवी से 1500 इसवी) एक ऐसा काल था जब मानसिक रोगो को पैशाचिकी (demonology) से जोड़ कर देखा जाता था और ऐसा माना जाता था की यदि किसी इंसान को मानसिक रोग है तो इसका अर्थ है की उस पर किसी प्रेत या शैतान का साया है. ऐसे लोग असमान्य व्यवहार करते थे. लेकिन 500 इसवी के बाद मानसिक रोगो के इतिहास मे एक नयी प्रवृति ने जन्म लिया और धीरे धीरे एक महामारी बन गयी. यह प्रवृति थी सामूहिक पागलपन (mass madness) की. इसमे एक लोग जब कोई असमान्य व्यवहार करता था, तो बाकी लोग भी उसे देख देख कर प्रभावित हो जाते थे, और वैसा ही व्यवहार करने लगते थे. जैसे कही एक जगह कोई व्यक्ति नाचता गाता, या अपने को भेड़िया समझ उछलता कूदता या एक दुसरे के कपडे फाड़ता तो बाकी लोग भी उसे देख ऐसा करने लगते थे.
डांसिंग प्लेग का रहस्य dancing plague mystery in hindi
16वी सदी के यूरोप में स्ट्रासबर्ग की सड़क पर एक महिला फ्राउ ट्रॉफी (Frau Troffea) ने अचानक ही नृत्य करना प्रारंभ किया. बिना संगीत और खुशी के वह नाचने लगी. देखते ही देखते स्ट्रासबर्ग के चार सौ दूसरे लोग भी इस नृत्य मे शामिल हो गये. ये लोग महीनो तक बिना मनोरंजन के अपने ही जूनून मे नृत्य करते रहे. इनमे से कुछ की थकावट के कारण या दिल के दौरे और स्ट्रोक से मृत्यु हो गयी.
डांसिंग प्लेग से संबंधित तथ्य dancing plague facts in hindi
हालाँकि यूरोप में घटी बड़े पैमाने पर सामूहिक नृत्य की यह पहली घटना नहीं थी. यूरोप के दूसरे देशो जैसे इटली, हॉलैंड, बेल्जियम, पूर्वोत्तर फ्रांस, लक्ज़मबर्ग और जर्मनी मे भी मिलती जुलती घटनाये घटी, 1021 में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर जर्मनी के कोल्बीगक गांव में इसी तरह की एक बड़ी घटना घटी थी. इस तरह के सामूहिक नृत्य के उन्माद (dancing mania) को इटली मे टेरेंटीज्म (tarantism) कहा गया. इन घटनाओ को 16 वीं सदी के ऐतिहासिक रिकॉर्डस में भी दर्ज किया गया.
डांसिंग प्लेग सिधांत dancing plague theories in hindi
डांसिंग प्लेग एक अनसुलझा रहस्य
नृत्य उन्माद (dancing plague) एक ऐसी घटना थी जिसका रहस्य बाद के सालो मे अनसुलझा रहा. मध्य युग मे लोग यह विश्वास करते थे की डांसिंग प्लेग का मुख्य कारण दुष्ट आत्मा का आधिपत्य (demonic possession) था. हालांकि, इटली में, लोग यह मानते थे की मकड़ी (टेरेंटूला)के काटने से लोग बेकाबू होकर नाचने लगते थे, और इस कारण उन्होंने इस “बीमारी” को टेरेंटीज्म की संज्ञा दी। लेकिन ऐसा परिदृश्य इतने बड़े पैमाने पर घटे मामलों में शायद ही संभव है.
16 वीं शताब्दी के जर्मन-स्विस चिकित्सक पैरासेल्सस (Paracelsus) ने इसे कोरियोमेनिया (choreomania) कहा और इसके तीन संभावित अंतर्निहित कारण बताये, ये कारण थे एक असामान्य मानसिक स्थिति, एक अस्पष्टीकृत शारीरिक बीमारी या वासना.
डांसिंग प्लेग के रहस्य को सुलझाने के आधुनिक सिधांत
ऐसा क्यों हुआ की यूरोप मे लोगो ने समूह मे मृत्यु के लिये नृत्य किया. इस रहस्य को सुलझाने के लिये आधुनिक सिधांत भी दिये गये. हाल ही मे इतिहासकारो ने यह अनुमान लगाया है की नृत्य करने वालो ने एर्गट पी लिया हो, एर्गट जहरीला मोल्ड होता है, यह नम राई पर बढ़ता है और मतिभ्रम और ऐंठन पैदा करता है। इतिहासकार जॉन वॉलर, ने अपनी पुस्तक “ए टाइम टू डान्स, ए टाइम टू डाय: मे 1518 मे घटे डांसिंग प्लेग के रहस्य को सुलझाने की कोशिश की है. उन्होंने इस बीमारी का काफी लंबे समय तक अध्ययन किया और इस रहस्य को हल किया है. जॉन वॉलर ने यह माना की इसका कारण भौतिक कम और मनोवैज्ञानिक ज्यादा था, उन्होंने डांसिंग प्लेग का संभावित कारण तनाव को बताया, उन्होंने कहा की यह मनोविकृति तनाव से प्रेरित थी,
उन्होंने बताया की उस समय यह क्षेत्र संकट मे चल रहा था, अकाल और भुखमरी से लोग कई लोग मर चुके थे. चेचक और सिफलिस (syphilis) जैसी बीमारियों ने इस क्षेत्र को ढक लिया था, जिससे तनाव असहनीय हो गया और जिसका परिणाम जन-मानसिक बिमारी हुआ.
जॉन वॉलर ने यह भी बताया की यह अन्धविश्वास का समय था. चिंता और झूठे डर ने इस क्षेत्र को पकड़ लिया था. इसी तरह का एक डर इसाई चर्च की एक कथा से पैदा हुआ था. कुछ लोगो का मानना था कि सेंट विटस नामक कैथोलिक संत के पास लोगों को बाध्यकारी नृत्य वाले प्लेग का शाप भेजने की शक्ति थी। जब बीमारियां, अकाल की भयावहता और अन्धविश्वास एक साथ मिल गये, तो हो सकता है की सेंट विट्स से संबंधित अंधविश्वास ने तनाव से प्रेरित हिस्टीरिया को पैदा किया हो.
हालाँकि बाध्यकारी डांसिंग प्लेग से संबंधित कोई भी सिद्धांत इसके रहस्य के समाधान की पूरी तरह से व्याख्या नहीं कर पाता. वैसे तो पहले भी बाध्यकारी डांसिंग प्लेग की घटना यूरोप मे घटी थी लेकिन स्ट्रासबर्ग मे घटी डांसिंग प्लेग की घटना बड़े पैमाने पर घटी आखिरी घटना थी. भले ही डांसिंग प्लेग से संबंधित स्रोत दुर्लभ और अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं, पर हर कोई इससे सहमत है कि यह घटना कोई कथा या उपन्यास नहीं थी। यह वास्तव में हुआ और यह सबसे पहले दर्ज एक मानसिक महामारी का मामला था जिसने मध्ययुगीन यूरोप की दुनिया को हिलाकर रख दिया था.
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