दोस्तो मै यहा आपसे एक ऐसी कहानी शेयर करने जा रहा हु जो लालो की ईमानदारी (honesty of lalo) और उसके प्रेम पर आधारित है जिसका फल उसे मिलता है जब उसका साधारण से भोजन की रोटी गुरु के लिए दूध बन जाती है.
गुरु नानक देव महान यात्री थे. उन्होने अपने जीवन मे कई स्थानो की यात्रा की. गुरु नानक अपने साथी बाला और मर्दाना के साथ पूरे भारत में यात्रा करने के लिए गए थे। उन्होने उत्तर, दक्षिण, पूर्व पश्चिम सभी दिशाओ कि यात्रा कि। वे जहाँ भी जाते रात को किसी गाँव मे ठहरते और अगली सुबह फिर यात्रा शुरू कर देते. गुरु नानक और उनके मित्र भजन गाते और गाँव के लोग उन्हे सुनने उनके पास जाते थे. उन्होने उत्तरी भारत के दूरदराज के एक गांव का दौरा किया, एक दिन गुरु नानक अपने मित्रो के साथ सईदपुर जो अब एमीनाबाद (Eminabad) कहलाता है पहुचे। गुरु जी के वहा पहुचने से पहले हि यह बात वहा के लोगो तक पहुच गई और लोग यह खबर सुनकर उत्साहित हो गए. वहा एक गरीब और मेहनती बढ़ई रहता था जिसका नाम लालो था. वह गुरु जी से मिलने के लिए भागा. उसने कहा कि उसने बाबा नानक के बारे में सुना है और वह उनकी सेवा करना चाहता है. वह गुरु जी के चरणों मे गिर पड़ा और उनसे अपने घर चलने कि विनती कि. गुरु जी लालो के पास ठहरे जिसने गुरु जी कि प्यार से सेवा कि. गुरु जी और उनके साथियो ने लालों के साधारण से भोजन को स्वीकार कर लिया. गुरु जी को भाई लालों के घर का साधारण सा खाना अति प्रसन्न आया. गुरु जी कुछ दिनो के लिए वहा ठहर गए.
इसी शहर मे एक अमीर आदमी भी रहता था जिसका नाम मलिक भागो था. वह उस क्षेत्र का गवर्नर था. वह एक भ्रष्ट व्यक्ति था और उसने गलत तरीके से बहुत सारा धन कमाया था. वह गरीब किसानो से अतिरिक्त कर लेता था और उनकी ज़्यादातर फसल को ले लिया करता था. वह लोगो के साथ अच्छी तरह व्यवहार नहीं करता था लेकिन भगवान को खुश करने के लिए हर साल एक बड़े त्यौहार का आयोजन किया करता था। जब भागो ने गुरु जी के आने कि बात सुनी तो वह गुरु जी को अपने यहा ठहराने कि तैयारी करने लगा. उसने एक बहुत बड़ी दावत का आयोजन किया. उसके नौकरो ने सारे भारत से कीमती और स्वादिष्ट खाना मंगाया. गुरु जी समेत कई लोगो को भोज के लिए निमंत्रित किया. लेकिन बाबा नानक वहा नहीं गए. भागो बहुत गुस्सा हो गया क्योकि गुरु नानक ने उसका निमंत्रण ठुकरा दिया था. उसने अपने दूत को गुरु जी को लाने के लिए भेजा. पहले तो गुरु जी ने जाने से मना कर दिया पर दूत ने गुरु जी से कहा कि वह उसके साथ नहीं जाएंगे तो भागो उसको(दूत) को दण्ड देगा. फिर गुरु जी ने वहा चलने का निश्चय किया. जब वह भागो के घर पहुचे तो उन्होने वहा कुछ नहीं खाया. भागो ने बाबा से पूछा कि आप भोजन क्यो नहीं खा रहे. आप एक निम्न जाति के बढ़ई के घर भोजन कर सकते है तो इस शानदार, स्वादिष्ट भोजन को क्यो नहीं खाते. तो गुरु जी ने कहा कि मै तुम्हें दिखाता हु कि क्यो नहीं. उन्होने किसी से कहा कि वह लालों के घर जाए और वहा से कुछ भोजन ले आए. जब भोजन आ गया तो गुरु जी ने अपने एक हाथ मे लालों के घर से मंगाई हुई रोटी को उठा लिया और दूसरे हाथ मे भागो कि दावत कि एक रोटी उठा ली. सभी लोग बड़ी हैरानी से उनकी तरफ देख रहे थे. उन्होने दोनों रोटियो को दबाना शुरू किया और तब कुछ अनोखा हुआ. लालो कि रोटी से दूध निकलने लगा सभी लोग हैरान हो गए, यह चमत्कार था। लेकिन भागो कि रोटी से खून निकला. सभी लोग चौंक गए. मलिक भागो ने गुस्से से पूछा कि यह क्या सिद्ध करता है. गुरु जी ने धैर्य से उत्तर दिया. लालो का भोजन साफ है. लालो ईमानदारी से कमाता और खाता है. लालो का भोजन संत के लिए दूध कि तरह है. गुरु जी ने आगे कहा कि तुम्हारा भोजन साफ नहीं है. तुमने इसे ईमानदारी से नहीं कमाया है. तुम उनके प्रति भी दयालु नहीं हो जो तुम्हारे लिए काम करते है. तुम उनका खून निचोड़ते हो. यही कारण है कि तुम्हारी दावत कि रोटी से खून निकला है.
भागो कुछ और ना कह सका. उसने गुरु जी के आगे सर झुका दिये. उसने गुरु जी से वादा किया कि वह लोगो के प्रति दयावान रहेगा और अपने हाथ से ईमानदारी से कार्य करेगा. उसे इस दिन एहसास हुआ कि सारे साल लोगो के साथ बुरा बर्ताव करने और एक बार दावत का आयोजन कर भगवान को खूश नहीं किया जा सकता. इसके बाद भागो एक अच्छा इंसान बन गया जो लोगो के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करने लगा.