भारत त्यौहारो का देश है. चाहे धर्म कोई भी हो यहाँ त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाये जाते है. सर्दी का मौसम खत्म होने को है और अब आने वाली है होली. होली/Holi यानि रंगों का त्यौहार सिर्फ एक त्यौहार न होकर झूम उठने का उत्सव है, जो वापस हमें हमारे बचपन में ले जाता है. चाहे बच्चे हो या बड़े होली के रंग में खो जाते है और जातिभेद वर्णभेद और आपसी मनमुटाव भुलाकर एक दुसरे पर रंग लगाकर दोस्ती का नया रंग लगा देते है. होली के दिन हम सिर्फ रंगों से खेलते ही नहीं बल्कि अपनी सुनी जिन्दगी में दुबारा ख़ुशी के ढेरो रंग भर देते है. होली हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है.
जानिए क्यों मनाया जाता है होली का त्यौहार – why do we celebrate holi in hindi
History of holi festival in hindi
होली कब पहली बार मनाई गयी इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है है सबसे पहले इसकी शुरुआत आर्यों के समय में हुई थी. तब इसे होलाका कहा जाता था और इस दिन आर्यों द्वारा नवात्रैष्टि यज्ञ किया जाता था . ऐसा नहीं है की होली सिर्फ हिन्दुओ द्वारा मनाई जाती है. मुगलकालीन समाज में भी भी होली खेलने का वर्णन मिलता है. अकबर से लेकर बहादुर शाह जफ़र के द्वारा होली मनाये जाने का उल्लेख इतिहासिक किताबो में है. शाहजहाँ के काल में होली को ईद-ए-गुलाबी कहा जाता था. इसके आलावा कई प्राचीन चित्रों में जहाँगीर को होली खेलते दर्शाया गया है.
होली से जुडी पौराणिक कहानियां – holi story in hindi
जिस तरह हर त्यौहार को मनाने के पीछे एक वजह होती है होली/Holi के पर्व के पीछे भी कई पौराणिक कथाएं है. इनका उल्लेख कई धार्मिक किताबो में मिलता है
- story of Prahlad and Holika in hindi – प्रहलाद और होलिका की कहानी
होली को लेकर यह कहानी सबसे प्रसिद्ध और प्रमाणिक कथा मानी जाती है. इस कहानी के अनुसार प्राचीन समय में दैत्यों का एक महाशक्तिशाली राजा था जिसका नाम हिरण्यकशिपु था. हिरण्यकशिपु विष्णु विरोधी था और अपने आप को इश्वर मानता था. उसके आदेशनुसार प्रजा का कोई भी व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा नहीं कर सकता था. ऐसा करने पर उन्हें मृत्युदंड दिया जाता. लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था और अपने पिता के बार बार मना करने के बावजूद उसने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी. फलस्वरूप हिरण्यकशिपु ने कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की लेकिन विष्णु कृपा से वह हर बार बच जाता.
अंत में हिरण्यकशिपु ने भक्त प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की सहायता ली जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था. आदेशनुसार होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी. इश्वर कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका स्वयं आग से जल गई. तब से इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका का दहन किया जाता है.
- Holi in Mathura – Krishna killed Putna
मथुरा में होली को भगवान कृष्ण से जोड़ कर देखा जाता है. कथा के अनुसार जब कंस को पता चला की उसकी बहन देवकी की आठवी संतान जीवित है तो उसने आस पास के सभी गावं के नवजात शिशुओ को मारने के लिए पूतना नाम की राक्षसी की सहायता ली. पूतना ने जब कृष्ण को अपने जहरीले दुग्धपान से मारने की कोशिश की तो नवजात कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया. तब गाँव वालो ने नाच गा कर इस दिन को मनाया. तब से मथुरा में होली मानाने के प्रचलन माना जाता है.
- Manu’s and Nar-Narayan Deva’s birthday
पुराणो के अनुसार होली के दिन ही नर नारायण देव का जन्म हुआ था. यह भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है. साथ ही हिन्दू पुराणों के अनुसार धरती पर जन्म लेने वाले पहले इंसान मनु का भी जन्म इसी दिन हुआ था.
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इस कहानी के अनुसार प्राचीन समय में दैत्यों का एक महाशक्तिशाली राजा था जिसका नाम हिरण्यकशिपु था. हिरण्यकशिपु विष्णु विरोधी था और अपने आप को इश्वर मानता था. उसके आदेशनुसार प्रजा का कोई भी व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा नहीं कर सकता था. ऐसा करने पर उन्हें मृत्युदंड दिया जाता. लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था और अपने पिता के बार बार मना करने के बावजूद उसने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी. फलस्वरूप हिरण्यकशिपु ने कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की लेकिन विष्णु कृपा से वह हर बार बच जाता. बहुत सुन्दर ! हालाँकि ज्यादातर को ये कहानी मालूम होगी लेकिन जिन्हें नही मालुम उनको जरूर जानकारी हो जायेगी ! अच्छा लिखा आपने
bahut achi post likhi hai aapnne holi ke uper
apne achi story batai hai