एकलव्य(Eklavya) का नाम तो आपने सुना ही होगा। एकलव्य महाभारत का एक महान और दबा हुआ पात्र है। जिसे इतिहास ने पूरी तरीके से नजरंदाज कर दिया। बहुत से लोग सिर्फ इतना जानते है की किस तरह द्रोणाचार्य ने गुरुदक्षिणा मे एकलव्य का अंगूठा मांग लिया ताकि एकलव्य कभी भी ठीक से धनुष ना चला पाए और अर्जुन विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी बन जाए। लेकिन इसके बाद एकलव्य(Eklavya) का क्या हुआ इसके बारे मे शायद चंद लोग ही जानते है।
क्या आप जानते है की एकलव्य श्री कृष्ण का चचेरा भाई था। एकलव्य वासुदेव(कृष्ण के पिता) के भाई देवाश्रवा का पुत्र था। एक कथा के अनुसार एकलव्य(Eklavya) वन में खो गया था और वो निषादराज हिरण्यधनु को मिल गया था तभी से वो निषाद वंश का कहलाया जाता है। एकलव्य अपना अंगूठा दान करने के बाद अपने पिता पिता हिरण्यधनु के पास चला आता है और भगवान श्री कृष्ण के कटर विरोधी जरासंध का सेनापति बन जाता है। हरिवंशपुराण और विष्णु पुराण के अनुसार रुकमणी के स्वयंवर के समय जरासंध की सेना की तरफ से एकलव्य(Eklavya) यादव सेना पर आक्रमण कर देता है जिसके कारण यादव सेना मे खलभली की स्थिति पैदा हो जाती है और अंत मे एकलव्य श्री कृष्ण द्वारा युद्ध मे अपने प्राण त्याग देता है। बाद मे उसका बेटा केतुमान भीम के हाथो मारा गया।
बाद मे इसी एकलव्य(Eklavya) का द्रौपदी के भाई Dhrishtadyumna(धृष्टद्युम्न) के रूप मे जन्म हुआ जिसने महाभारत मे द्रोणाचार्य का वध किया और अपने पिछले जन्म मे द्रोणाचार्य द्वारा किए गए छल का बदला लिया।
also read
तो क्या करे ऐसा जो 2016 मे बदल दे आपकी किस्मत
जानिए क्या है आपकी मंजिलों मे speed breaker
ये है होली से जुडी पुराणिक कहानियां holi story in hindi
बुलंद होसलों की कहानी- best motivational story in Hindi
जानिए क्या है महाशिवरात्रि की पौराणिक कहानी mahashivratri story in hindi
Aapne kafi achhi janakari share kiya hain Thanks.