दुख को सुख मे बदलने की कला Happy life in Hindi
किसी ने ठीक ही कहा है की ज़िंदगी का रोना भी कोई रोना है, ज़िंदगी रोकर काटो या हँसकर वह तो कट ही जाती है। सुख और दुख ज़िंदगी के खेल है। इन्हे खेल की तरह खेलते हुए चलने का नाम ही ज़िंदगी है। अगर दुखो को नजरंदाज न किया जाये तो जीना मुश्किल हो जाता है। दुख का प्रत्यश रूप जितना बड़ा दिखाई देता है अंदर से वह उतना हो खोखला और कमजोर होता है। अगर विचारो को मजबूत बनाकर रखा जाये तो दुख हवा के झोखे के साथ गायब होने वाले पानी के बुलबुलों की तरह होते है। दुख, तकलीफ, आपदाए इंसान की ज़िंदगी के साथ जुड़ी हुई ऐसी अप्रसंगिक घटनाये है जो क्षति पहुंचाकर हमे विचलित कर देती है। कभी कभी तो अविवेकी इंसान सहनशक्ति के अभाव मे अपने होश खो बैठता है। मुसीबतों को टालने की कोशिश करते हुए भी हमारा मन विचलित हो ही उठता है। आगे बढ़ने के सारे दरवाजे बंद होते देखकर सिर पकड़ कर बैठने के सिवाए कोई ओर रास्ता नजर नहीं आता। आखिर ऐसा क्यो होता है?
कारण यह है की हमारी नकारात्मक सोच और चिंतन हम पर हावी हो जाते है। कहते है की इंसान जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है। अगर सोच सकरात्मक होगी तो दुख मे भी कही न कही सुख की अनुभूति होगी।
राजू और हरीश की अपनी कपड़ो की दुकान थी। दुर्भाग्यवश आग लगने से दोनों की दुकाने जल गई लेकिन वो दोनों किसी तरह से बच गए। चारो तरफ शोर मच गया। दोनों तरफ के दोस्त और रिश्तेदार उनके घर उनसे मिलने के लिए पहुंचे और गहरी सहानंभूति प्रकट की। राजू बहुत दुखी और निराश था। भगवान पर सारा दोष मढ़ते हुए बोला – हाय अब मेरा क्या होगा? मेरे परिवार का पालन – पोषण कैसे होगा? भगवान को मै ही मिला था क्या? काश मै भी आग मे जल जाता ताकि यह सब न देखना पढ़ता ।
वही दूसरों और जब लोग हरीश के पास पहुँचकर उसका हाल चाल पूछने लगे तो सभी हैरान रह गए। वह बड़ा शांत था। उसके चहेरे पर आशा की किरण झलक रही थी क्योकि उसकी सोच सकरात्मक थी। उसने कहा – मै तो बड़ा खुशनसीब हूँ, भगवान का लाख लाख शुक्रिओ जो मेरी जान बच गई। दुकान तो मै मेहनत करके दुबारा बना लूँगा लेकिन अगर मेरी जान चली जाती तो मेरे परिवार का क्या होता।
इस प्रकार देखा गया की परिस्थिति तो एक ही थी लेकिन एक आशावान था और दूसरा निराश। दोनों की सोच मे बहुत अंतर था। यह ठीक है की हम अपनी परिस्थितियो और घटनाओ को नहीं बदल सकते लेकिन दृष्टिकोण बदलना तो हमारे हाथ मे ही है।
Exams के समय आप देख सकते है की कई छात्र तो प्रैशर का डटकर सामना करते है तो कई हार मान लेते है और डिप्रेशन मे चले जाते है या तो exams देने ही नहीं जाते। कई तो कम नंबर आने पर अपनी जान तक देने की कोशिश करते है बिना यह सोचे की ये तो ज़िंदगी का बहुत छोटा सा पड़ाव है।
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प्रकृति ने हमे रास्ता बताया है की दुख तकलीफ़ों के समय रोने, सिर पीटने या डरने की बजाय अपने आप पर, अपने कर्मो(actions) पर विश्वास रखिए जिससे की आगे बढ़ने के लिए शक्ति, प्रेरणा और लक्ष्य मिले। किस्मत भी उन्ही का साथ देती है जिनमे कुछ करने का साहस होता है।
हर दिन एक जैसे नहीं होते। प्रकृति का नियम है की रात के बात दिन जरूर आता है। यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। बुरे वक्त मे हमे भी सुख रूपी सुबह का खुशी खुशी इंतजार करते रहना चाहिए जो हमारे लिए एक नयी ऊर्जा का निर्माण करती है। दूसरों से तुलना करके अपने भाग्य को कोसने की बजाय अपनी अच्छी बुरी आदतों, कमजोरियों और ताकतों को परखें और हिम्मत न हारकर आगे बढ़ते रहे। यही है खुशहाल ज़िंदगी (happy life) का सबसे बड़ा मंत्र.
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nice dude…..
Positive thinking k sath aage bade..
Very nice….
Hmm.sahi kana.positivity is the best way to cope up with problems
very nice
Wahh bhot ache kya baat hai is tarhe ka stories padhte he ek hausala milta hai ache kam karne ka aur aisi stories padh kr insan kbi khud se ni haar sakta i dam sure
Nice one…eshe padh k mujhe aaj khud ki kamiyo ka PTA chala
Mai sosal media per apna book hindi me likh ker bechna chahta hoo . Iske lea mujha kya karna hoga. Mai apna buasaike kese banwoo baesike banane ki gankari or uplod karne ki jankari mujhe dei.
Nice post sir
बहुत ही उम्दा जानकारी
धन्यवाद