रोहित ने बड़े उत्साह के साथ exam की तैयारी शुरू की। लेकिन फिर भी वह टॉप नहीं कर पाया जिसकी वजह से वह बहुत उदास और निराश रहने लगा। वह अपने आपको असफल (failure) महसूस करने लगा इसलिए उसने पहले की तरह प्रयास करना छोड़ दिया। रोहित की इस परेशानी का पता जब उसके अध्यापक को पता लगा जो उसके मार्गदर्शक थे तो उन्होंने एक दिन उसे अपने घर बुलाया और पूछा, ‘‘क्या बात है, आजकल तुम काफी उदास और परेशान रहते हो और पहले की तरह तैयारी करना भी छोड़ दी ?’’ ‘ उसने कारण बताया की ‘उसने दिन रात मेहनत की पर जैसा वो चाहता था वैसे results नहीं आए इसलिए वो हताश हो चुका है
अध्यापक कुछ समय के लिए शांत रहे और फिर कुछ सोचकर उन्होंने उससे कहा की मेरे पीछे पीछे आओ। वो उसे टमाटर के पोधों के पास ले गए और बोले की इस टमाटर के इस खराब और मरे हुए पौधे को देखो।जब मैंने इस पोधे को बोया था तो जो जो चीज इसके लिए सही हो मैंने वो सभी कुछ किया । मैंने इसे समय-समय पर सही मात्रा मे पानी दिया, खाद भी डाली और कीटनाशक का छिड़काव भी किया, पर फिर भी यह खराब हो गया।’’‘‘तो क्या?’’, रोहित बोला। इतनी सारी मेहनत, इतना पैसा और समय देने के बाद भी अगर जैसा रिज़ल्ट हम चाहते है वो न मिल पाये तो इतना सब कुछ करने से क्या फायदा है।
अध्यापक बोले ऐसा नहीं है और उन्होने एक दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा की एक बार जरा इस दरवाजे को खोल कर देखो। रोहित ने दरवाजे को खोला और देखा की सामने बड़े-बड़े टमाटरों के ढेर पढे हुए थे। उसने पूछा की ‘‘ये सब कहां से आए?’’,
अध्यापक बोले ‘’ टमाटर के एक पोधे के खराब होने का मतलब यह नहीं है की सभी के सभी पोधे खराब हो गए। इसी तरह तुमने मेहनत तो की पर टॉप नहीं कर पाये लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की तुम्हारी दिन रात की मेहनत खराब गई और तुम असफल (failure) हो गए । तुमने पाया तो बहुत कुछ लेकिन तुम्हें सिर्फ इसका नकरात्मक रिज़ल्ट दिख रहा है और और सकरात्मक पहलू छिपा हुआ है जो सही समय आने पर दिखेगा। exam मे लिखते वक्त कई चीजे माइने रखती है जैसे की लिखने की स्पीड, तबीयत, मनोस्थिति और भी बहुत कुछ जो सिर्फ मेहनत का पैमाना नहीं है। जो तुमने सीखा वो ज़िंदगी के हर मोड पर काम आयेगा । मेहनत करने के बावजूद मनचाहा न मिलने का मतलब यह नहीं है की आप असफल हो गए। इसका मतलब है की आपने सफलता तक पहुचने की एक ओर सीढ़ी चढ़ी है। एडीसन ने जब पहली बार बल्ब बनाया था तो उन्हे भी 10,000 बार मनचाहा नहीं मिला था। हैरी पॉटर की लेखिका जे के रौलिंग के मेहनत करने के बावजूद जब उन्होने अपना पहला नॉवेल लिखा था तो वो भी कई बार रिजैक्ट हुआ था लेकिन उन्होने मेहनत करना नहीं छोड़ा। ऐसे और भी हजारो उदहारण मिल जाएंगे। अगर ये सब भी अपने आपको एक failure समझते तो कभी आगे नहीं बड़ पाते। निराश होने की जगह ये सोचो की तुमसे कहा कहा चूक हुई है और उसे सुधारने की कोशिश करो। ये बात हम सब पर लागू होती जो कुछ करना चाहते है लेकिन जैसे ही कुछ मनचाह नहीं मिलता उसमे सुधार करने की बजाय काम करना छोड़ देते है। जब रेस लंबी हो तो ये मायने नहीं रहता की कोन कितनी तेज दोड़ रहा है मायने यह रखता है की कौन कितनी ज्यादा देर तक दोड़ सकता है।
रोहित अब सफलता का पाठ पढ़ चुका था। वह अच्छी तरह से समझ चुका कि उसे अब आगे क्या करना है और वह एक नई आशा और उमंग के साथ बाहर निकल पड़ा है और आप?
Failure is simply the opportunity to begin again, this time more intelligently – हेनरी फोर्ड
विफलता बस फिर से शुरू करने का अवसर है, इस बार और अधिक समझदारी से – हेनरी फोर्ड
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very very useful artilcle
very inspiring article
VERY VERY INSPIRING
बहुत ही प्रेरणाप्रद कहानी अपने लिखी है , आपने अपने आर्टिकल्स में उदाहरण बहुत ही सटीकता से प्रस्तुत किया है जिससे की कहानी में एक नयी जान आ गयी है , धन्यवाद और बहुत ही लाजवाब कहानी ।
aapki kahani mughe aur to good lagi ummid karta hu sabi ko good lage aage bhi ise tarah se motivetion strkoys likhate rahiye
very nice inspiring story