क्या मानव जाति बनी बनाई अवतरित हुई है या इसके उदभव के पीछे कोई ओर कारण है। करोड़ो सालो तक जीवन पेड़, पौधो और पशुओ तक ही सीमित था। ऐसा माना जाता है की करीब चार अरब साठ करोड़ साल पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ और पृथ्वी पर जीवो की उत्पत्ति करीब तीन अरब पचास करोड़ साल पहले हुई। लेकिन सवाल ये है की आधुनिक मानव कैसे और कब अस्तित्व मे आया। मानव के पूर्वज कौन थे। तो आज के पोस्ट मे हम इसी सवाल पर बात करेंगे की कैसे हुई मानव की उत्पत्ति।
कैसे आयी मानव जाती अस्तित्व मे how human came into existence in hindi
मानव क्रम विकास की प्रक्रिया से वजूद मे आया है, इस बात का साक्ष्य हमे मानव की उन प्रजातियों के जीवाश्मों से मिलता है जो अब लुप्त हो चुकी है। ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने सबसे पहले क्रम विकास के सिद्धांत के बारे मे बताया। चार्ल्स डार्विन ने अपनी पुस्तक ऑन दि ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज मे बताया की मानवजाति बहुत साल पहले जानवरो से ही क्रमिक रूप से विकसित होकर अपने वर्तमान रूप मे आयी है।
डार्विन का सिद्धांत मुख्य रूप से तीन बातो पर आधारित था।
विकिरक परिवर्तन (radiant variation)
एक सामान्य जीव के विकास से विकसित जीवो मे परिवर्तन उत्पन्न होता है। इस परिवर्तन से इनके मध्य अंतर उत्पन्न होता है। इस प्रकार प्रत्येक जीव नए परिवर्तित रूपो को जन्म देता जाता है।
अनुकूलनशीलता (adaptability)
नवीन परिवर्तित जीव विशेष वातावरण मे दूसरे जीवो की अपेक्षा जीवित रहने मे अधिक समर्थ है।
प्राकृतिक चयन (natural selection)
वातावरण से अनुकूलित अनेक जीवो के अनेक जैविक गुण स्थायी रहेंगे तथा अन्य जीव नष्ट हो जायेंगे या लुप्त हो जायेंगे.
क्रम विकास के इस सिद्धांत को एक ठोस आधार प्रदान किया भूविज्ञान की स्थापना और जीवाश्मशास्त्र के अध्यन की शुरुआत ने। जीवाश्म हमे लाखो या करोड़ो साल पहले रहने वाले वनस्पतियों और प्राणियों की जानकारी देते है। जीवाश्म एक अत्यंत पुराने पौधे, जानवर या मानव के वे अवशेष है जो एक पत्थर के रूप मे बदलकर चट्टान मे समा जाते है। भूशास्त्रि इन जीवाश्मों का अध्यन करते है और बताते है की जीवाश्म कितना पुराना है। क्रम विकास के सिद्धांत की पुष्टि बाद के वैज्ञानिक अनुसंधानो ने कर दी। वैज्ञानिक अब आमतौर मानव जाति की उत्पत्ति के विषय मे क्रम विकास के सिद्धांत को स्वीकार करते है।
मानव जाति का क्रम विकास evolution of human in hindi
मानव के विकास का क्रम करीब 360 से 240 लाख पहले शुरू हुआ। क्रम विकास को समझने के लिये प्राणियों के वर्गिकरण को भी समझना होगा। प्राणिशास्त्री प्राणियों का वर्गिकरण ऑर्डर, सबआर्डर, सुपर फैमिली, फैमिली, जीनस और स्पीशीज श्रेणियों मे करते है।
लगभग 360 लाख साल पहले एशिया तथा अफ्रीका मे स्तनपायी प्राणियों की प्राइमेट (नरवानर) नाम की श्रेणी का उदभव हुआ था। शुरुआती नरवानर पेड़ो जी पर जीवन बिताते थे। नर वानरो को दो सबऑर्डर प्रोसिमी और एंथ्रोपोइडिया मे बांटा जाता है। प्रोसिमी मे (आदिम प्राणी) और एंथ्रोपोइडिया मे (बंदर, वानर, मानव) आते है। एंथ्रोपोइडिया को तीन सुपर फैमिली (महा परिवार) मे बांटा जाता है। इनमे दो सुपर फैमिली बंदरो की है। उसके बाद करीब 240 लाख साल पहले तीसरा महापरिवार होमिनाइड जिसमे वानर शामिल थे उत्पन्न हुआ। होमिनाइड से होमिनिड उपसमूह विकसित हुआ। होमिनिड जिस परिवार के सदस्य होते है उसका नाम है ‘होमिनिडेइ’। होमिनिडो को आगे जीनस शाखाओ मे बांटा जाता है। इन शाखाओ मे आस्ट्रेलोपिथिक्स और होमो आते है। आस्ट्रेलोपिथिक्स की दो प्रजातीया है आस्ट्रेलोपिथिक्स आफ्रिकेनस और आस्ट्रेलोपिथिक्स रोबस्टस।
मानव और उसके निकटतम पूर्वज “होमो” श्रेणी मे आते है, अपने मस्तिष्क के बड़े आकार के कारण ये आस्ट्रेलोपिथिक्स से भिन्न थे। वैज्ञानिको ने होमो को होमो हैबिलिस, होमो एरेक्टस और होमो सैपियंस नामक प्रजातियों मे बांटा है। मानव होमो सैपियंस प्रजाति का हिस्सा है। निएंडरथल्स शुरुआती होमो सैपियंस थे। करीब पचास हजार साल पहले निएंडरथलो की आबादी घटने लगी और 34 हजार साल पहले यह प्रजाति लुप्त हो गयी। होमो सैपियंस सैपियंस के विकास के साथ मस्तिष्क का आकार बड़ा और विकसित हुआ। मानव ने अपने आपको सांस्कृतिक रूप से ढाला और इस प्रकार क्रम रूप से विकसित होकर मानव जाति अस्तित्व मे आई।
ये लेख भी बहुत महत्वपूर्ण है
ये है दुनियाँ के कुछ महान पागल
इन तरीको से रोका जा सकता है मन का भटकाव
सूरज के खत्म होने तक जीवित रह सकते है ये जीव