हर स्टूडेंट की ज़िंदगी मे Exams का महत्व काफी ज्यादा होता है चाहे वह स्कूल के Exam हो या कॉलेज के. परीक्षा लेने का लक्ष्य यह होता है कि साल भर हम जो भी पढ़ते है उससे हमने क्या समझा और कितना याद रहा. हालांकि हमारा education system और मार्क्स पाने की रेस अपने आप मे एक debatable issue है.
इस बात मे कोई संदेह नहीं है की हर छात्र का पढने का तरीका अलग अलग होता है और वैसे ही रूटीन भी अलग-अलग अलग होता है। कई लोग सेशन शुरू होते ही पढाई में लग जाते है तो कुछ लोग थोडा समय रुक कर पड़ना शुरू करते है और परीक्षा आने तक कवर कर लेते है लेकिन कई स्टूडेंट ऐसे होते है जो पूरा साल पढाई नही करते और अंत में चीजों को रटते है। ऐसे मे कई छात्र Exam से पहले काफी stress ले लेते है और घबरा जाते है। दोस्तो इस आर्टिक्ल में हम उन समस्याओ पर बात करेंगे जिनका सामना बच्चे परीक्षा के समय करते है।
Causes of examination stress in students – छात्रों में Exam के समय तनाव के कारण
स्ट्रेस को पैदा करने के कुछ stressoss होते है तो सबसे पहले हम stressoss को जान लेते है;-
तैयारी में कमी – Lack of preparation
सबसे पहले हम यह बात करेगे कि कई बार बच्चे पढाई को हल्के में लेकर बाकि चीजों पर ध्यान लगाते है, खेल-कूद जरूरी है लेकिन पढाई भी उतनी ही जरूरी है। इस बात को बच्चे गंभीरता से न लेकर अपना टाइम खराब करते है और फिर परीक्षा के समय आने पर किताबो को कंप्यूटर की तरह दिमाग में भरने की कोशिश करते है जो की संभव नही होता और फिर इसके बाद शुरू होती है Anxiety और घबराहट जिसके कारण बच्चे किताबो में ध्यान नही लगा पाते.
माँ-बाप और टीचर की बच्चो से उम्मीद – Expectation of parents and teachers
Exam का समय आते ही न सिर्फ बच्चो को बल्कि उनके माँ-बाप और टीचर को भी टेंशन शुरू हो जाती है. वो सोचते है कि उनके बच्चे आस-पड़ोस के या उनके रिश्तेदारों के बच्चो से ज्यादा नंबर लेकर आये, इसके लिए वह अपने बच्चो की तुलना दुसरे बच्चो से करने लगते है, खासकर ऐसा दसवीं और बाहरवी की परीक्षा में देखा जा सकता है हालाकि यह एक हद तक एक उदहारण देने या अपने बच्चो को उत्साहित करने के लिए सही है लेकिन बार बार अपने बच्चो की तुलना दुसरो से करना उनपर दबाव बनाने जैसा है.
इसके अलावा जो टीचर उन्हें पढ़ाते है वो पूरे साल की मेहनत का फल चाहते है. सभी टीचर्स चाहते है कि हमारा पढाया हुआ हर बच्चा अच्छे नंबर लेकर आये. तो Exam का समय छात्र ही नही बल्कि टीचर्स के लिए भी तनाव से भरा रहता है, टीचर उम्मीद करते है कि हर बच्चा अच्छे नंबर लाकर अगली क्लास में पहुंचें इसके लिए टीचर किसी एक विषय पर बहुत ज्यादा फोकस करते है जिससे बच्चा दुसरे विषय पर ध्यान नही दे पाता. वो भी कई बार तनाव का कारण बनता है.
छात्रों की आशाएं – Expectations of students
ऐसा जरूरी नही है की दबाव सिर्फ दुसरो से ही आता है, कई बार दुसरो से खुद की तुलना करने और उनसे अच्छा करने के चक्कर में स्ट्रैस में आ जाते है. खुद को दुसरो से बेहतर बनाने के अलावा जो बाते ज्यादा तनाव पैदा करती है वो है कि question paper कितना आसान या मुश्किल आएगा. कई बार बच्चे इस टेंशन में भी पढ़ नही पाते.
एकदम से रूटीन में बदलाव आना – change in routine
Exam का समय आते ही बच्चे अपना रोजमर्रा का टाइम-टेबल बदलते है और अधिकतर समय पढाई को ही देना चाहते है लेकिन कई बार बच्चे इसे पूरा नही कर पाते सामान्यत: बच्चे पढाई के साथ साथ खेल-कूद, गेम्स और दोस्तों के साथ घुमने का शोक रखते है और अचानक से रूटीन में बदलाव, समस्या पैदा करता है जो की Anxiety और Low mood को जन्म देता है.
तो यह थे कुछ सामान्य बिंदु जिनकी वजह से बच्चो को Exams के समय तनाव महसूस होता है। इसके अलावा stress की वजह से बच्चे की तबियत खराब हो जाती है, शारीरिक काम बहुत कम हो जाता है, ज्यादा से ज्यादा पढने की कोशिश की जाती है जिससे कई चीज़े समझ नही आती या तो आपस में मिक्स हो जाती है इसलिए कई बार बच्चे परीक्षा में पूछे गए सवालों के जवाब भूल जाते है या फिर वे कुछ और जवाब लिख कर आ जाते है.
How to deal with Exam stress in hindi – एग्जाम स्ट्रेस को कैसे करे दूर
परीक्षा के समय होने वाले तनाव से बचने के लिए हमे कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहियें
बहुत ज्यादा नया समझने की कोशिश न करे
परीक्षा समय नजदीक आते ही जो कुछ भी आपने पूरे साल पढाई की है उसी पर या उससे सम्बंधित सवालों पर ही फोकस करना एक सही रास्ता है बजाय इसके की आप किताब लेकर बैठ जाए और उन्हें रटना शुरू कर दे जिसे अपने पूरे साल नही पढ़ा.
बार-बार ब्रेक लें
मनोविज्ञान के अध्ययनों के अनुसार, औसत मानव मस्तिष्क केवल एक कार्य पर लगभग 45 मिनट तक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित कर सकता है। इसके अलावा, तंत्रिका विज्ञान में शोध से पता चलता है कि बहुत लंबे समय तक एक ही चीज पर ध्यान केंद्रित करने से मस्तिष्क की सही प्रक्रिया करने की क्षमता कम हो जाती है।
कैफीन का सेवन
एक्जाम के दौरान कई स्टूडेंट्स ज्यादा कॉफी पीते है। कैफीन आपकी बॉडी में एड्रेनालाईन हार्मोन बड़ाता है, जिससे अस्थायी रूप से आपका मूड अच्छा हो जाता है, लेकिन इसे ज्यादा लेने से यह आपको बाद में थका हुआ और depressed बना देता है। यह शरीर मे कोर्टिसोल के स्तर को भी बढ़ाता है जो “stress hormone” है।
सीमित मात्रा में कैफीन आपकी याददाश्त पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए यदि आप आमतौर दिन मे एक कप कॉफी लेते हैं, तो कोई समस्या नहीं है।
अपनी सेहत का ख्याल रखे
Exams के समय भोजन और नींद का ध्यान रखे. संतुलित भोजन ले जिससे शरीर ठीक रहे और पूरी नींद ले जिससे पढ़ते समय आपको नींद न आये और आप आराम से फोकस कर पायें। और दिन मे कम से कम 10 ग्लास पानी जरूर पिये। पर्याप्त पानी न पीने से आप सुस्त और तनाव महसूस कर सकते हैं।
खुद को खुश और माहोल को सकारात्मक रखे
परीक्षा के समय खुश रहने और माहोल सकारात्मक होने से हमारी रूचि और ध्यान बना रहता है जो चीजों को याद रखने और समझने में हमारी मदद करता है. इसलिए जब जब पड़ते समय आपको लगे की आप पर टेंशन हावी हो रही है तो अपना पसंदीता काम करे. उदाहरण के तौर पर आप अपने पसंदीता गाने सुन सकते है या विडियो गेम खेल सकते है।
खुद का comparision दूसरों से न करे
कई स्टूडेंट्स यह सोच सोचकर परेशान हो जाते है की उनके दोस्तो ने उनसे ज्यादा पढ़ लिया है। ऐसे मे उनके नंबर मुझसे ज्यादा आने वाले है। इस तरह की सोच आपमे डर पैदा कर सकती है इसलिए दूसरों के बारे मे सोचने से बचे और अपनी तुलना दूसरों से बिलकुल भी न करे।
Exam वाले दिन ये करें
Exam से एक रात पहले टेंशन फ्री होकर जल्दी सो जाए और मन में सकारात्मक विचार लेकर समय से तैयार हो जाए. लम्बी सांसे ले, इससे मन में शांति आती है और चीज़े याद रहती है
एक्जाम को सीखने के अनुभव के रूप में ले
याद रखे कोई भी Exam ज़िंदगी का आखिरी एक्जाम नहीं होता इसलिए हिम्मत बिलकुल भी न हारे और नंबर पर फोकस न करते हुए बेहतर करने पर ध्यान दे। इससे आप टेंशन फ्री होकर अपना best effort दे सकते है।
परीक्षा का लक्ष्य किसी विषय पर आपके ज्ञान के स्तर का आकलन करना है। इससे आपको अपनी पाठ्यक्रम सामग्री के बारे में अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचानने में मदद मिलती है। आप अपनी गलतियों से सीख सकते हैं। परीक्षा में खराब प्रदर्शन खराब हो जाने का मतलब यह बिलकुल भी नहीं है की आपमे काबिलियत नहीं है। इसलिए बिलकुल भी न घबराए और अच्छे से एक्जाम दें।
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लेखक के बारे मे
शुभम प्रजापति एक स्कूल काउन्सलर है जो मनोविज्ञान से संबंधित विषयो पर लिखने का शोक रखते है। ये छात्रों और अभिभावकों के साथ मिलकर उनके शैक्षणिक, व्यवहारिक और सामाजिक विकास में मार्गदर्शन करते है
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Nice post