(debt)उधार यानि तनाव और चिन्ता का दूसरा नाम. जितना बड़ा उधार उतनी बड़ी चिन्ता और चिंता जो चिता का दूसरा नाम है. इंसान उधार में पड़कर इसी चिता के बोझ तले जीता है. खुशियों में भी वह ख़ुशी का मजा नहीं ले पाता और इसी गम में डूबा रहता है की कब वो इसके बोझ से निकलेगा. पैसे के बारे में ज्यादा समय सोचने से मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी उस पर पड़ता है जिसके फलस्वरूप वह बीमारियों को न्यौता देता है. इसी बात को बहुत पहले तेनाली राम ने एक शानदार कहानी के सहारे पेश किया.
एक बार की बात है जब आर्थिक परेशानी में फंसकर तेनालीराम ने राजा कृष्णदेव राय से कुछ रूपए उधर लिए थे. समय बीतता गया और पैसे वापस करने का समय भी पास आ गया. परन्तु तेनाली के पास पैसे वापस लौटाने का कोई प्रबंध नहीं हो पाया था, सो उसने उधार चुकाने से बचने के लिए एक योजना बनाई.
एक दिन राजा को तेनालीराम की पत्नी की ओर से एक पत्र मिला. उस पत्र में लिखा था की तेनालीराम बहुत बीमार है. तेनाली राम बहुत दिनों से दरबार में भी नहीं आ रहा था इसलिए राजा ने सोचा की स्वयं जाकर तेनाली से मिला जाए. साथ ही राजा को भी संदेह हुआ कि कही उधार से बचने के लिए तेनालीराम की कोई योजना तो नहीं है.राजा तेनालीराम के घर पहुंचे. वहा तेनालीराम कम्बल ओड़कर पलंग पर लेटा हुआ था. उसकी ऐसी अवस्था देखकर राजा ने उसकी पत्नी से कारण पुछा. वह बोली महाराज इनके दिल पर आपके दिए हुए उधार का बोझ है. यही चिंता इन्हें अंदर ही अंदर खाए जा रही है और शायद इसी कारण ये बीमार हो गए.
राजा ने तेनाली को सांत्वना दी और कहा, ‘तेनाली, तुम परेशान मत हो. तुम मेरा उधार चुकाने के लिए नहीं बंधे हुए हो. चिन्ता छोड़ो ओर शीघ्र स्वस्थ हो जाओ.’ यह सुन तेनालीराम पलंग से कूद पड़ा और हंसते हुए बोला, ‘महाराज, धन्यवाद. महाराज ने कहा ‘यह क्या है तेनाली? इसका मतलब तुम बीमार नहीं थे. मुझसे झूठ बोलने का तुम्हारा साहस कैसे हुआ?’ राजा ने क्रोध में कहा. तेनाली ने कहा नहीं-नहीं, महाराज, मैंने आपसे झूठ नहीं बोला. मै उधार के बोझ से बीमार था. आपने जैसे ही मुझे उधार से मुक्त किया, तभी से मेरी सारी चिन्ता खत्म हो गयी और मेरे ऊपर से उधार का बोझ हट गया. इस बोझ के हटते ही मेरी बीमारी भी जाती रही और मै अपने को स्वस्थ महसूस करने लगा. अब आपके आदेशानुसार मै स्वतंत्र, स्वस्थ व प्रसन्न हूँ. हमेशा की तरह राजा के पास कहने को कुछ ना था, वे तेनाली की योजना पर मुस्करा पड़े.
इस कहानी के द्वारा तेनाली ने बहुत सुन्दरता से उधार के बोझ का इंसान पर पड़ने वाला प्रभाव बताया है और इसका निदान भी की (debt)उधार लेने से बचा जाये. हालांकि यह उतना आसान भी नहीं है क्योकि पैसे के दबाव में और कठिन परिस्थितियों में जब इंसान को कोई राह दिखाई नहीं देती तो उसे उधार लेने का कदम उठाना ही पड़ता है.
आज जब बहुतसी रिसर्च सामने आई है और यह बात सामने आई है की (debt)उधार का इंसान पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है जो आपको तनाव और चिंता में डाल सकता है. अत: हम आपसे यही कहेंगे की उधार के जंजाल में जाने से बचे.
debt is the slavery of the free – publilius syrus
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