नीम एक ऐसा पेड़ है जिसके फायदों के बारे में शायद ही कोई ऐसा हो जो न जानता हो. नीम का स्वाद जितना कडवा है, उसके फायदे उससे दो गुना ज्यादा मीठे है. यह एक ऐसा पोधा है जिसकी पत्तियों से छाल तक में चमत्कारिक गुण है . आयुर्वेद में नीम सिर्फ एक पेड़ न होकर एक औषधि के रूप में देखा जाता है जिससे संस्कृत में ‘अरिष्ट’ और वानस्पतिक शास्त्र में Azadiracta Indica कहा जाता है. इसमें ऐसे एंटीबायोटिक गुण है जो कई तरीको की बिमारियों जैसे एलर्जी,डायबिटीज, कैंसर,एलर्जी,चर्म रोगों,बवासीर से लड़ने में सहायक होते है. इसलिए इसे सर्व-रोग-निवारिणी भी कहते है. किस्से कहानियों में नीम/neem के पेड़ को लेकर कई बाते सुनने को मिलती है जिनमे से एक है आयुर्वेदिक् विद्वान चरक और यूनानी हकीम लुकमान की कहानी जो neem/नीम के पेड़ के महत्व पर आधारित है
नीम के पेड़ की रोचक कहानी – story on importance of neem tree in hindi
पुराने समय की बात है. यूनान में एक प्रसिद्ध हकीम रहा करते थे जिनका नाम था लुकमान. वह अपनी यूनानी चिकित्सा पद्धति के लिए काफी जाने जाते थे. एक बार उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा और उसके रामबाण इलाजों के बारे में सुना की कैसे पेड़ पोधो की सहायता से भारत में भी बड़ी से बड़ी बिमारियों का इलाज़ किया जा सकता है. हकीम लुकमान ने सोचा क्यों न भारत के किसी वैध की परीक्षा ली जाये. उन्होंने तुरंत अपने एक दूत को बुलाया और कहा की यह चिट्ठी सीधे ले जाकर हिंदुस्तान के वैध चरक को दे देना लेकिन जाते वक्त सिर्फ इमली के पेड़ के नीचे ही सोना.
दूत ने वैसे ही किया और वह पुरे रास्ते हमेशा रात में इमली के पेड़ के नीचे ही सोया. जब वह वैध चरक के पास पंहुचा तो इमली/imli के पेड़ के नीचे सोने की वजह से उसके शरीर में काफी सारे छाले निकले हुए थे. उसने हकीम लुकमान का दिया हुआ ख़त सीधे चरक को दे दिया. जब वैध चरक ने ख़त खोलकर देखा तो वह खाली था. उसमे कुछ नहीं लिखा था. चरक ने कुछ देर सोचा और फिर उसे पूरी बात बताने को कहा. दूत ने बताया की किस तरह उसे ख़त और इमली के पेड़ के नीचे सोने के निर्देश दिए गए थे.
चरक को पूरी बात समझ आ गई और उन्होंने भी दूत को एक ख़त दिया और कहा की मेरी ओर से लुकमान को यह ख़त दे देना और जाते समय सिर्फ नीम/neem के पेड़ के नीचे ही सोना. दूत न ऐसा ही किया और प्रत्येक रात नीम/neem के पेड़ के नीचे सोया. जब वह हकीम लुकमान के पास पंहुचा तो नीम/neem के नीचे सोने से उसके शरीर में पड़े छाले गायब हो चुके थे. उसने पूरी बात लुकमान को बताई और चरक का दिया हुआ ख़त दिया. वह ख़त भी खाली था. लुकमान मुस्कुराये क्योकि उन्हें उनका जवाब बिना लिखे भी मिल चूका था और दूत दोनों विद्वानों को सिरफिरा समझकर चुप चाप लोट गया.
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