पिछले दिनों सुर्खियों में रही पद्मावती/ Padmavati यानी संजय लीला भंसाली कि फिल्म पद्मावती ने काफी चर्चा बटोरी है. इस फिल्म के चलते संजय लीला भंसाली के साथ हिंसक घटना भी सुनने में आई. हिंसक तत्वों का कहना है कि फिल्म में अलाउदीन खिलजी और रानी पद्मावती के रोमांस को दिखाया जाना गलत है और संजय लीला भंसाली फिल्म में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर लोगो के सामने रख रहे है. ऐसा नही है कि इतिहास पर आधारित फिल्म का विरोध पहली बार हो रहा है. इससे पहले भी 2008 में आशुतोष गोवारिकर कि “जोधा-अकबर” फिल्म पर इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगा था. उसके बाद एकता कपूर ने सीरियल “जोधा अकबर” बनाया . विरोध करने वालो का कहना था कि इतिहास में जोधा नाम कि कोई रानी नही थी जिसका प्रयोग बार बार किया जा रहा है इसके साथ ही कई गुटों ने फिल्म “बाजीराव मस्तानी” का भी विरोध किया था लेकिन सब विरोधो के बाद भी ये फिल्मे रिलीज़ हुई और हिट भी रही.
पद्मावती/ Padmavati फिल्म भी कुछ इसी तरह के विरोधो से घिरी है लेकिन इस पर अलग अलग संस्थाओ का अलग अलग मत है. पिछले दिनों राजस्थान टूरिज्म का एक ट्विट आया था जिसमे कहा गया कि पद्मावती, खिलजी कि प्रेमिका थी हालाकिं बाद में उस ट्विट को हटा लिया गया. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह एक काल्पनिक कहानी है. इनकी कहानी तत्कालीन कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अवधी भाषा में पद्मावत ग्रंथ रूप में लिखी है. जायसी ने “पद्मावत” 1540 में लिखा और खिलजी का काल 1316 तक था. और कई इतिहासकारों ने पद्मावती को एक काल्पनिक किरदार बताया. फिर भी इतिहास में जो कहानी प्रचलित है वो कहानी हम आपके सामने रखने की कोशिश कर रहे है. रानी पद्मावती की biography मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा 1540 CE में लिखे गए पद्मावत ग्रंथ पर आधारित है.
History of rani Padmavati in hindi – रानी पद्मिनी का इतिहास
Padmavati story in hindi – रानी पद्मिनी की कहानी
चित्तौड़ की रानी पद्मिनी जिन्हें पद्मावती के नाम से भी जाना जाता था 13 वीं -14 वीं शताब्दी की महान भारतीय रानियों में से एक है. रानी पद्मिनी को उनकी सुन्दरता के लिए जाना जाता था और इतिहास में कई बार उनके सोंदर्य का उल्लेख किया गया है. पदमिनी, सिंहला की राजकुमारी थी. उनके पिता गंधार्व्सेना श्रीलंका में स्थित सिंहला राज्य के राजा थे, उनके पिता ने पदमिनी के लिए एक स्वयंवर रखा जिसमे बहुत सारे हिन्दू राजाओ और राजपूतो को बुलाया गया.
वही चितौड़ गढ़ के राजा रावल रत्न सिंह की 13 रानियाँ होने के बाद भी वो स्वयंवर में गए और वहा आये सभी राजाओ को हरा कर रानी पदमिनी को जीत लिया. और उन्हें अपने साथ चितौडगढ़ ले आये. और उसके बाद रत्न सिंह को रानी से प्रेम हो गया और उन्होंने उसके बाद कभी शादी नही की. रत्न सिंह सिसोदिया वंश के थे. राजा रत्न सिंह का राज्य एक बहुत ही खुशहाल राज्यों में से एक था जहा बड़े बड़े कलाकार, बुद्धिजीवी और श्रेष्ठ योधा थे और राजा भी उन सब की कदर करते थे.
रत्न सिंह के राज्य के एक संगीतकर “राघव चेतन” जिसे प्रजा एक अव्वल दर्जे का संगीतकार मानती थी और राजा भी उनके संगीत की तारीफ किया करते थे लेकिन राघव चेतन अपने प्रतिद्वंद्वियों पर कला जादू करता था और हर बार जीत जाता था. ये बात किसी तरह राजा तक पहुच गई और राजा ने उसे दण्ड दिया और फिर उसे राज्य से बाहर निकालने का आदेश दिया.
राघव चेतन ये सब बर्दाश नही कर पाया और उसने बदला लेने की योजना बनाई. वह दिल्ली चला गया और वहां के सुल्तान अल्लाउदीन खिलजी के पास जाकर रानी के सौन्दर्य का बखान करने लगा. अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था. अल्लाउदीन खिलजी रानी के बारे में सुन कर खुद को रोक नही पाया और रानी को देखने के लिए महमान बन कर रत्न सिंह के महल जा पंहुचा.
रत्न सिंह के महल पहुँच कर भी खिलजी रानी का चहरा देख नही सका. क्योकि परम्परा के अनुसार रानी किसी पराये मर्द को अपना मुहँ नही दिखाती और घूँघट में ही रहती थी . यह बात जान कर खिलजी ने रत्न सिंह से आग्रह किया की वह रानी को देखना चाहते है लेकिन रानी ने मना कर दिया. रत्न सिंह ने रानी को समझाया की खिलजी एक बहुत बड़े साम्राज्य के सुल्तान है. उन्हें मना करना ठीक नही होगा. यह सब जान कर रानी मान गई लेकिन रानी ने एक शर्त रखी की खिलजी, शीशे में उन्हें देख सकता है वो भी रतन सिंह और कुछ दासियों के सामने. यह शर्त खिलजी ने स्वीकार कर ली.
रानी पद्मावती/ Padmavati को शीशे में देखते ही खिलजी रानी के मोह में पड़ गया और उसकी सुन्दरता का कायल हो गया. और उसी दिन अपने सैनिको के दम पर छल से राजा रत्न सिंह को बंधी बना लिया . और राजा के बदले रानी पदमिनी की मांग करने लगा. रानी पद्मावती भी राजपूतो के खानदान से थी. वो हार कैसे मान सकती थी?. रानी के अपने सेनापति गौरा और उनके भतीजे बादल के साथ मिल कर एक योजना बनाई. गौरा और बादल चितौडगढ़ के महान योद्धा थे. उनकी योजना थी की रानी अपनी 700 सखियों के साथ खिलजी के पास जाएगी और खिलजी रत्न सिंह को छोड़ देगा. यह पैगाम खिलजी को भेजा गया की रानी के साथ उसकी 700 सखियों उसे विदा करने आएगी और खिलजी मान गया. लेकिन 700 रानियों की जगह 700 सैनिक उन पालकियो में बैठ कर पहुंचे जिसमे रानी की जगह पर सेनापति गौरा बैठे थे. खिलजी के पास पहुच कर रानी यानी गौरा ने पहले रत्न सिंह से मिलने की मांग की. कड़े पहरे के बीच एक बंद तम्बू में रत्न सिंह को रानी से मिलवाया गया और रत्न सिंह को वहां से छुडवा लिया .रत्न सिंह बादल के साथ चितौडगढ़ सकुशल वापिस आ गए जबकि गौरा की वहा मृत्यु हो गई. इतना सब होने के बाद खिलजी ने चितौडगढ़ पर हमला कर दिया लेकिन वह रत्न सिंह के किले के दरवाजे को नही तोड़ पाए. अब खिलजी ने आदेश दिया की रत्न सिंह के किले को चारो तरफ से घेर लिया जाए जिससे कुछ दिनों बाद किले में खाने पिने की समस्या आने लगी तो राजा को दरवाजा खोलना पड़ा लेकिन राजा रतन सिंह का आदेश था की मरते दम तक लड़ते रहना. और राजा की भी उस युद्ध में मृत्यु हो गई.
यह सुन कर रानी पद्मावती/ Padmavati ने अपनी पवित्रता को कायम रखने के लिए आग में कूद कर आत्मदाह कर लिया जिसे जोहर कहा जाता था. बताया जाता है की इसमें महल की 1600 महिलाये भी उनके साथ थी.
हालाकिं अमीर ख़ुसरो द्वारा लिखा गया खज़ा’इनउल फुतूह जो अलाउद्दीन खिलज़ी के चित्तौड़गढ़ अभियान का एकमात्र स्रोत है, पद्मावती का युद्ध अभियान में कोई जिक्र नहीं करता. अमीर ख़ुसरो अलाउद्दीन खिलज़ी के दरबार के एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे
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mujeh ye baat samaj nahi aya ke agar ratan shing ki daeth hoti hai to rani aatmahatya kiun karti hai larna chahiye tha na
Ye story bahut hi acchii h Aur knowledgeable h thanks ki ap logo ki wajah se muze Aur muz jaishe Kai baccho ko ye story padne miliii
Mujhe ya kahani bahut acchi lagi or meri family ko bhi … Is kahani se bahut kuch pata cala jise bahut kam log jante he rani padmavati ka itihas…
Thanx.
Thanks for sharing such Informative Post
The story is really good. From it we can know many things of history and specially about rani padmavati. Thanks
Best
this story is a superb about padmavati from rajestan this is complete history about padmavati ….
jukkkaassssssssssssssssssssss…………..superbbbbbbbbbbbbbbbbb….very thankfull to this writer..
jguwgugwqu
us ke bat kya hua अल्लाउदीन खिलजी ka kai se uska rajsasan chala or kitne sal chala us ke bat raja kon bana अल्लाउदीन खिलजी us ki mut kaise huei
Nice post
thanks for this story brother you did a good job for us
Please reply me ,which book have all details about Allauddin Khilji and thier rules.
OUTSTANDING