आत्महत्या से बचने के उपाय – how to prevent suicide

आत्महत्या से बचने के उपाय – how to prevent suicide

दोस्तों हम इस आर्टिकल के द्वारा आपको ये बताने की कोशिश कर रहे है की आत्महत्या (suicide) के बारे में सोचना एक बहुत बड़ी कायरता है. अक्सर हमारे जीवन में जब घोर निराशा छा जाती है और हमारा मन विचलित हो जाता है. ये मन बहकने लगता है और हमें गलत कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है. ऐसे विचारो के लिए या तो आप खुद जिम्मेदार हो सकते है या किसी दुसरे के दबाव में या किसी दुसरे के कारण आप ये कदम उठाने के बारे में सोच सकते है. इन विचारो के बारे में कुछ भी कारण हो सकता है जैसे की तनाव, डिप्रेशन (अवसाद), किसी कारणवश निराशा. अत: हम आपको कुछ ऐसी बाते बताने जा रहे है जो आपको इन कारणों से निकलने में मदद करेगी.

 

खाली दिमाग शैतान का घर होता है. इसलिए खाली मत बैठिये, अपने लिए कोई ना कोई लक्ष्य जरूर निर्धारित करिए. और उसे पाने के लिए निरंतर मेहनत करिए

अगर आप कुछ पाना चाहते है और आपको बार बार कोशिशो से भी वह नहीं मिल रहा तो frustration का होना
लाजमी है, किन्तु यहा संसार का अंत नहीं हो जाता, ये संसार अपार संभावनाओ वाला है. आपको अपनी मंजिल कही ना कही मिल जाएगी. यह सोचिये की आपसे नीचे भी कई लोग है, वे भी जी रहे है और खुश है.

कभी भी आत्महत्या (suicide) जैसा विचार मन में आये तो अपने घर वालो के बारे में सोच ले जो आप पर निर्भर हो सकते है, आपको प्यार करने वाले हो सकते है, जो आपके बिना नहीं रह सकते, ऐसा सोचना उन्हें दोखा देना है. अगर आप किसी बात से परेशान है तो अपने घरवालो या किसी करीबी को जरूर बता दे, ऐसी कोई परेशानी नहीं जिसका हल ना निकाला जा सके और उस परेशानी का हल नहीं है तो भी बाते बता देने से आपका मन हल्का हो जाएगा.

कई बार दुसरो के बहकाने से, आलोचनाओ से, चिढ़ाने से, बेइज्जती करने से आपमें बहुत निराशा छा जाती है. और आप इस बारे में सोच सकते है. लेकिन इस दौरान हम एक बात भूल जाते है अपने माँ-बाप, पति/पत्नी-बच्चो के बारे में जिनके प्रति हमारी जिम्मेदारी बनती है. खास कर माँ बाप के प्रति जिन्होंने हमें पाला, हर खुशिया दी और अब हमारी जिम्मेदारी है की हम उनको वो सब खुशियाँ दे ना की किसी दुसरे की किसी बात से निराश हो जाए, जिनका हम से कोई लेना देना नहीं, जो थोड़ी बाते करेंगे और घर पर जाकर आराम से मौज करेंगे और आप बेकार ही अपने मन में चिंता लगा कर बैठे है. खैर कभी आपके साथ ऐसा हो तो अपने माँ-बाप या पति/पत्नी-बच्चो के बारे में सोचे. उनको खुशिया देना अपना अंतिम लक्ष्य समझे बस सारी नकरात्मक बाते निकल जायेंगी.

कई बार हम काफी गुस्से में होते है. और इस गुस्से में कुछ समझ नहीं आता और कई नकरात्मक बाते हमारे मन में आती है. लेकिन ये गुस्सा कुछ देर का होता है और फिर मन शांत हो जाता है.    आंतरिक शांति कैसे प्राप्त करे
STUDENTS कम नंबर आने पर या फेल होने पर ऐसा कदम उठाने के बारे में सोचते है. इसके पीछे कारण है या तो उनकी अपने से आशाये बंधी होती है या माँ – बाप की. इस कारण उन पर आशाओ पर सही उतरने का दबाव होता है और फिर अगर ये आशये पूरी नहीं होती तो मायूसी का होना लाजमी है. लेकिन ऐसे में स्टूडेंट्स को ये जरूर सोचना चाहिए की उनके नीचे भी कई स्टूडेंट्स है जो काफी मेहनत के बाद भी औसत अंक भी नहीं पा पाते या जिनके पास शिक्षा ही नहीं है या जो शिक्षा पाना चाहते है लेकिन उन्हें नहीं मिल पाती. अल्बर्ट आइन्स्टाइन क्लास में ज्यादा अंक नहीं लाते थे ऐसे ही कई और उदहारण है जिन्होंने अच्छे अंक ना पाने के बावजूद दुनिया जीत ली. अत: अपार संभावनाओ वाले इस संसार में ख़ुदकुशी (suicide) के बारे में सोचना कायरता है.  एक बेटी की अपनी मम्मी के नाम चिठ्ठी

 

हमेशा अच्छे दोस्तों की संगत में रहे और अच्छी किताबे पढ़िए. अच्छी शिक्षा देने वाली मूवी देखिये.  इनसे आपके विचारो मे सकारात्मक उर्जा आएगी.
योगा, शारीरिक व्यायाम और मेडिटेशन करने की आदत डालिए ये आपके तनाव और डिप्रेशन को कम करने में सहायक है .

 

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7 Comments

  1. yogesh mane 22/02/2017
  2. Deepak Kr 10/07/2017
    • whats knowledge 11/07/2017
      • Rajkumar Maddheshiya 16/11/2018
      • Shiv Singh rathore 15/03/2019
      • Hindu Amar Singh 23/09/2019
  3. Vinay 04/09/2018

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