कक्षा का पहला दिन था। सभी बच्चे बहुत उत्साह मे थे। जैसे ही मनोवैज्ञानिक अध्यापक कक्षा मे पहुचे। बच्चो ने खड़े होकर अध्यापक को सम्मान दिया और बैठ गए। मनोवैज्ञानिक अध्यापक ने अपना परिचय उन्हे कराया और उसके बाद बच्चो का परिचय लिया। उसके बाद कक्षा शुरू हुई। अध्यपक के पास की मेज पर एक cup पढ़ा हुआ था। यह cup आधा पानी से भरा हुआ था। अध्यापक ने कप उठाया और कहा बच्चो ये बहुत ही अनोखा cup है, वह बच्चो से पूछने लगे की बताओ बच्चो ये अनोखा क्यो है, क्या है इसके अंदर। कुछ बच्चो ने उत्तर दिया की सर जी cup आधा खाली है तो कुछ ने उत्तर दिया की सर जी कप आधा भरा हुआ है। अध्यापक थोड़ा सा मुस्कुराये और कहा इसी कारण ये cup अनोखा है। ये हमारा सोचने का नजरिया बताता है। उन्होने आगे कहा वो बच्चे जिन्होने cup को आधा खाली बताया वे निराशावादी है और वो बच्चे जिन्होने cup को आधा भरा हुआ बताया है वे आशावादी है। इसके उत्तर से आपके व्यक्तित्व के बारे मे पता चलता है की जीवन के प्रति आप किस प्रकार की सोच रखते हो। optimism (आशावाद) ज़िंदगी जीने का एक ऐसा नजरिया है जिसमे आशावादी हमेशा सकारात्म्क विचार रखते है इसलिए उन्हे ये कप आधा भरा हुआ नजर आया। फिर इससे विभिन्न परिस्थितियो मे आपकी घटनाओ से निपटने की काबिलियत के बारे मे भी पता चलता है।
आगे अध्यापक कहते है की आज कक्षा मे आपका पहला दिन है और मनोविज्ञान के छात्र होने के नाते आपको ये पाठ समझना बहुत जरूरी है। वह छात्रो को बताते है की आशावाद और निराशावाद इंसान की वह दो आंखे है जिससे वह इस संसार को देखता है। घटनाओ और परिस्थितियो के प्रति हम जो दृष्टिकोण अपनाते है वह हमारे लक्ष्यो, कामयाबियो, प्रगति और जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करता है। cup आधे खाली की जगह आधा भरा हुआ देखना आशावादियों का प्रशंसनीय गुण है। इसका मतलब है की वे जीवन के प्रति सकारात्म्क दृष्टिकोण रखते है। इसका मतलब है की विभिन्न परिस्थितियो और मुश्किलों से वे निरशवादियों या आम लोगो की तुलना मे ज्यादा बेहतर ढंग से निपटेंगे और तेजी से उसमे सफलता पा लेंगे। अगर चीजे सही नहीं जा रही हो तो भी आशावादी निराश नहीं होता बल्कि उसके समाधान के लिए सकारात्म्क उपाय अपनाता है। अच्छी बात यह है की अगर हम अपने सोचने के तरीके मे परिवर्तन लाये और नकारात्मक विचारो से बचे तो हम अपने जीवन मे एक बढ़ा परिवर्तन ला सकते है। कुछ चीजे जीवन मे सफल होती है तो कुछ नहीं होती ऐसी स्थिति मे हमे ज्यादा सकारात्म्क रवैया अपनाना चाहिए ताकि आप अपने जीवन को आधा भरा हुआ देख सके आधे खाली की अपेक्षा। इससे आपका जीवन जीवित रहेगा।
अंत मे एक बात हमेशा याद रखे
एक पेड़ से लाखो माचिस की तिलियाँ बनती है लेकिन एक तीली लाखो पेड़ जला सकती है ठीक इसी तरह हमारे नकरात्मक विचार हमारे हजारो सपनों को जला सकता है इसलिए Be positive
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bhai great job
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