हर इंसान की चाह है की वह एक सफल(successful) व्यक्ति के रूप मे उभरकर दुनियाँ के सामने आए। दुनियाँ उसका लोहा माने। वह एक यादकर personality के रूप मे अपने आपको स्थापित करे और सदियो तक याद रखा जाए। लेकिन हर इंसान ऐसा कर नहीं पाता। लेकिन वह क्या है जो हमे सफल(successful) लोगो से अलग करता है? उनके पास ऐसा क्या था जो जिसने उन्हे महान बना दिया और इतिहास मे अमर कर दिया। दोस्तो उनके पास अनोखा कुछ नहीं था। वही सब जो आपके और हमारे पास भी है। फर्क केवल सोने और जागने का है। वे जग चुके थे, आप अब भी सो रहे है। उन्होने अपनी शक्तियों को पहचान लिया था , आप नहीं पहचान पा रहे है। दरअसल हम सफलता(success) पाने की चाह मे सोते हुए भाग रहे रहे है। आप कह सकते है की सोता हुआ कैसे भाग सकता है? दोस्तो आपने सुना तो होगा की कुछ लोग नींद मे चला करते है। उनकी कोई मंजिल नहीं होती। वे नींद मे चलते है और अंत मे जाकर कही भी पड़ जाते है। इसी प्रकार हम भी जागते हुए दिखाई तो दे रहे है पर ज़ेहानी तौर पर सो रहे है। दिल से , दिमाग से, विचारो से सभी तरफ से सो रहे है। एक दूसरे की देखा देखी मे हर इंसान भागा जा रहा है लेकिन जाना कहाँ है इसका ठीक से पता नहीं है।
जब तक जागेंगे नहीं, जब तक अपने आपको, अपनी शक्तियों को नहीं पहचानेंगे तब तक हम अपनी क्षमताओ को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर सकते। सच कहा जाए तो आप अपने बारे मे उतना भी नहीं जानते जितना अपने पड़ोसी या दोस्त के बारे मे जानते होंगे। आपको अपने बारे मे उतना नहीं पता लेकिन अपने दोस्त और पड़ोसी की पूरी शक्ति का ज्ञान होगा की वह क्या कर रहा है और क्या कर सकता है, उनकी पहुच कितनी है, उनमे कितनी ताकत है, कितने आत्मविश्वास है, वह कितना साहसी और दिलेर है। यदि आज आप अपने क्षेत्र मे पीछे है तो इसका यही एकमात्र कारण है की आज तक आपने अपने अंदर छिपी हुई अनन्त क्षमताओं और असीमित शक्तियों को नहीं पहचाना। जब तक आप अपनी strengths और weakness के बारे मे नहीं जानेगे तब तक आप अपनी ज़िंदगी को एक सही दिशा नहीं दे सकते।
भारत के सबसे प्रसिद्ध mathematician रामानुजन बचपन से ही मेधावी स्टूडेंट थे। मैथ्स में उनकी प्रतिभा के बारे मे सभी मानते थे, लेकिन मैथ्स में प्रतिभा और रुचि होने के बावजूद वह चेन्नई में क्लर्क की पोस्ट पर काम कर रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि मैथ्स में रिसर्च करने की बजाय वह बतौर क्लर्क अच्छा काम कर सकते है। लेकिन बहुत जल्द ही उन्हें यह महसूस हुआ कि उनका future गणित में ही है और उसके बाद उन्होंने क्लर्क की पोस्ट से इस्तीफा दे दिया। रामानुजन ने थोड़ों देर से सही लेकिन अपने टैलंट को पहचाना और उसके अनुसार फैसला किया।
इसमे कोई शक नहीं है की मेहनत सफलता की पूंजी है। बिना मेहनत किए हम कुछ नहीं पा सकते लेकिन सिर्फ मेहनत ही हमारा भविष्य तय नहीं करती। अगर ऐसा होता तो शेर नहीं गधा जंगल का राजा होता। इसलिए बिना सही दिशा के हमारी मेहनत भी फिकी पढ़ जाती है और हमे नाकामयाबी का सामना करना पढ़ता है। इसलिए अपनी क्षमताओं के अनुरूप अपनी मेहनत को एक नई दिशा दे और दूसरों की देखा देखी न करके अपने टैलंट और इच्छा के हिसाब से काम करे।
मेहनत और सही दिशा एक पक्षी के दो पंखो के समान है अगर इनमे से एक मे भी दिक्कत आ जाए तो पंछी ठीक से नहीं उड़ सकता।
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Article By
RAJIV MISHRA
MA HISTORY FROM PATNA UNIVERSITY
UPSC ASPIRANT
We wish him a great future
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nice story
Nice