किसी भी काम के दोरान रुकावटे आना आम बात है लेकिन हम मे से ज़्यादातर लोग रुकावटों से घबराते हैं। रुकावटों के सामने घुटने टेक देते है और काम को पूरा किए बिना ही छोड़ देते है। कई बार हम एक-दो अड़ंगो को झेल भी लेते है, मगर अड़ंगे ज्यादा हो तो हम हार मान लेते है और फिर ये रुकावटें या अड़ंगे हमारी सोच और व्यवहार पर हावी हो जाती हैं। हम जैसे-जैसे ही ढीले और कमजोर पड़ते हैं, यह हमारी चयन और तर्क शक्ति को खत्म कर देती हैं। फिर हम उन चीजों का चुनाव करने लगते हैं, जो हमारे लिए प्रतिकूल होती हैं। रिचर्ड वाइजमैन यूनिवर्सिटी ऑफ हटफोर्टशायर में मनोविज्ञान के प्रोफेसर कहते हैं कि अवरोधक या रुकावटे हमारे रवैये के अनुसार अपना रंग दिखाते हैं। अगर आप सक्रात्मक(positive) हैं, तो ये सड़कों पर लेटे स्पीड ब्रेकर(speed breaker) की तरह है जो सिर्फ कुछ पलों के लिए आपकी गति(speed) को धीरे करती है। इससे अधिक कुछ नहीं। हम इसके पास आते हैं, हल्का-सा ब्रेक(brake) लगाते हैं और फिर वापिस अपनी गति से अपनी मंजिल की और बढ़ जाते है। महान साहित्यकार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ कहते है कि रुकावटें हमारी सफलता और मजबूती का पैमाना बन सकती हैं। हम जितनी बाधाएं , रुकावटे और मुसीबते पार करते रहते हैं, हम उतने ही मजबूत बनते रहते हैं।
आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ रुकावटों के बारे में जो आगे बढ़ते वक्त हमारे लिए स्पीड ब्रेकर(speed breaker) का काम करती है…
बहाना ढूंढनाः अपनी गलती को कबूलने और सुधार करने के बजाए तरह तरह के बहाने बनाना।
समस्या से भागनाः समस्याओ के समाधान करने की बजाए उन समस्याओं से भागना
सही होने की चाहः हर काम मे सिर्फ सही होने की चाह रखना
कुछ न करनाः मुश्किले आते ही घबरा जाना हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाना
लापरवाहीः जरूरी काम को टालने का रवैया रखना।
असफलता से न सीखनाः पुरानी असफलताओं के पर पछताना और शर्मशार होना। उनके solution की बजाए उनही पर रोना
दूसरों की राय पर चलनाः अपने फैसले लेने की बाजाए दूसरों की राय पर निर्भर रहना
चेतन भगत के अनुसार अगर चुनौतियों और रुकावटों से आसानी से पार पाया जा सकता तो , तो वो चुनौतियाँ चुनौतियाँ नहीं रह जातीं. अगर हम किसी भी चीज में फ़ेल हो रहे हैं,तो इसका मतलब है अपनी अपनी क्षमता या सीमा तक पहुँच रहे हैं. चेतन भगत ने ये बातें यूं ही नहीं कहीं। क्या आप जानते है की चेतन भगत की पहली किताब को 9 publishers ने reject कर दिया था। जब उन्होने फिल्मों के लिए लिखने का target बनाया उनकी पहली movie release के करीब पहुँचने में पांच साल लग गए थे। अमिताभ बच्चन को भी पहली बार bbc रेडियो मे रिजैक्ट कर दिया गया था। Thomas Edison भी बिजली का बल्ब बनाने से पहले लगभग 10 हजार से ज्यादा बार असफल हुए थे । मगर इन असफलताओ और चुनौतियों को उन्होंने speed breaker की तरह लिया और अपनी अपनी मंजिल की और आगे बढ़ते रहे।
हमेशा याद रखें, अगर आप कोई भी काम करेंगे , तो बाधाएं और चुनौतियाँ तो जरूर आएंगी । बस हमे इन असफलताओ और चुनौतियों से हार मानने की बजाए उनका सही तरह से सामना करना चाहिए और अपनी मंजिल की और आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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what a nice article.very very useful for me.
excellent work
cool
Very good story sir