Mothers day माताओं को उनके प्यार और सहयोग के बदले सम्मान देने का दिन है. यह भारत अमरीका चीन सहित कई देशो में मनाया जाता है. यह दिन लोगो को अवसर प्रदान करता है की वो अपनी माँ को उनको जन्म देने, उनकी सुरक्षा और देखभाल करने और पाल पोसकर बड़ा करने के लिए धन्यवाद करे. मदर डे की शुरुआत प्राचीन यूनान और रोम के समय से देखी जा सकती है. मदर डे का इतिहास यूके में मनाये जाने वाले mothering sunday में भी देखा जा सकता है. लेकिन आज जो मदर डे मनाया जाता है उसकी शुरुआत में कुछ मुख्य महिलाओ ने प्रमुख भूमिका निभाई. इनमे जूलिया वार्ड हॉवे (julia ward howe) और एना जारविस (anna jarvis) का नाम शामिल है.
मदर डे का इतिहास – ग्रीक और रोम – History of mothers day in hindi
मदर डे का प्रारंभिक इतिहास प्राचीन यूनान में मनाये जाने वाले त्यौहार प्राचीन वार्षिक वसंत त्यौहार (ancient annual spring festival) में देखा जाता है, जो की मातृदेवी को समर्पित था. यूनानी इस अवसर पर cronus की पत्नी rhea जो की यूनानी पौराणिक कथाओ के अनुसार कई देवी देवताओ की माता थी को सम्मानित करते थे.
प्राचीन रोमन वासी भी वसंत त्यौहार मनाते थे जिसे hilaria कहा जाता था ये त्यौहार मातृदेवी cybele को समर्पित था और उन्हें सम्मान दिया जाता था. यही से यूरोप में माताओं को सम्मान देने की नींव पड़ी.
mothering sunday history in hindi – मदर सन्डे का इतिहास
शुरुआती ईसाईयों ने लेंट के चौथे रविवार (fourth sunday of lent) के त्यौहार के दौरान virgin mary (ईसा मसीह की माता) को सम्मानित करके मदर डे मनाया. इंग्लैंड में सभी माताओं को इसमें शामिल कर लिया गया, तब इसे mothering sunday कहा गया. मदर डे का इतिहास 1600 इसवी में इंग्लैंड में मनाये जाने वाले mothering day से भी जुड़ा हुआ है. यहाँ mothering sunday माताओं को सम्मान देने के लिए वार्षिक रूप से लेंट के चौथे रविवार को मनाया जाता था. इस अवसर पर चर्च में वर्जिन मेरी (virgin mary) को सम्मान देने के लिए प्राथना की जाती थी, इसके बाद बच्चे अपनी माँ को उपहार और फूल देकर सम्मानित और शुक्रिया अदा करते थे. इस दौरान जो लोग अपने घरो से दूर रह रहे होते थे उन्हें प्रोत्साहित किया जाता था की वो अपनी माता के पास जाकर उन्हें सम्मान और श्रद्धांजलि दे. 19वी शताब्दी तक mothering sunday मनाना बंद हो गया और ये दोबारा दुसरे विश्व युद्ध के बाद ही शुरू हो पाया.
मदर डे की शुरुआत में जूलिया वार्ड हॉवे (julia ward howe) और एना जारविस (anna jarvis) की भूमिका
julia ward howe एक लेखक और कार्यकर्त्ता थी. 1870 में इन्होने ‘mother’s day proclamation’ लिखा जिसमे विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए माताओं को एकजूट होने की बात कही गयी. सबसे पहले इन्होने 1872 में mothers day को आधिकारिक रूप से मनाये जाने का सुझाव दिया. जूलिया वार्ड हॉवे ने सुझाव दिया की मदर डे को 2 जून को वार्षिक रूप से मनाना चाहिए, जो की शांति के नाम समर्पित होना चाहिए. उन्होंने इस दिन आधिकारिक रूप से छुट्टी की घोषणा करने के लिए भी कहा. इनका यह विचार फला फुला और जिसका परिणाम आज मनाये जाने वाले मदर डे के रूप में था, जो की आज मई में मनाया जाता है.
एना जारविस (anna jarvis)
सामाजिक कार्यकर्त्ता anna jarvis को US में mother’s day के संस्थापक के रूप में पहचाना जाता है. इन्हें mother of mothers day भी कहा जाता है. इन्होने माताओं को सम्मान दिलाने के लिए बड़ी मेहनत की. इन्होने विवाह नहीं किया और ना ही इनके कोई बच्चे थे. इन्हें मदर डे मनाने की प्रेरणा अपनी माँ से मिली. जारविस ने माना की माँ अपने बच्चो के लिए काफी बलिदान देती है इसलिए उनका सम्मान होना चाहिए.
उन्होंने 1908 में grafton की methodist church में पहला अधिकारिक मदर डे मनाया. हजारो लोगो ने इस कार्यकर्म में भाग लिया. इसकी सफलता को देखते हुए उन्होंने मदर डे को अमेरिकन कैलेंडर में स्थान दिलाने के लिए अखबारों और राजनीतिज्ञों को कई पत्र लिखे. 1912 तक कई राज्यों, नगरो और चर्चो ने mother’s डे को एनुअल हॉलिडे के रूप में मनाना शुरू कर दिया. इसे बढ़ावा देने के लिए उन्होंने mother’s day international association की स्थापना की. 1914 में उन्हें कामयाबी मिली जब अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दुसरे रविवार को mothers day मनाये जाने की घोषणा की.
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