कुत्तों से डर की बीमारी है साइनोफोबिया Cynophobia in hindi

आपने अपने आस पास कई ऐसे लोगो को देखा होगा जो कुत्तों से काफी डरते है. कुत्ते का भोंकना भी उनमे डर पैदा कर देता है. हालाकिं इनमे से ज्यादातर लोगो को किसी कुत्ते ने नहीं काटा होता लेकिन फिर भी उनके अंदर एक अजीब सा डर बना रहता है. समय के साथ यह डर कई बार बढता रहता है. क्या आप जानते है ऐसा क्यों होता है? मनोविज्ञानिको के अनुसार कुत्तो से डर की यह स्थिति Cynophobia/साइनोफोबिया को जन्म देती है.

 

क्या होता है साइनोफोबिया – cynophobia in hindi

 

साइनोफोबिया एक ऐसी मनोविज्ञानिक अवस्था है जिसमे इंसान को बेवजह कुत्तों से काफी डर लगता है. यह डर आमतोर पर तर्कहीन और निरंतर होता है जिसमे व्यक्ति कुत्तों के भौंकने या कुत्तों के आसपास होने से भी असहज महसूस करता है.  वयस्क रोगी यह जानते कि उनका डर अत्यधिक, अनुचित या तर्कहीन है लेकिन फिर भी वे अपनी भावनाओ को नियंत्रित नहीं कर पाते. साइनोफोबिया वाले लोग कुत्तों से जितना भी संभव हो दूर रहने की कोशिश करते हैं. इस डर की शुरुआत ज्यादातर 10 से 13 साल की उम्र के बीच होती है.

आमतोर पर यह डर पुरुषो की तुलना में महिलाओ में ज्यादा देखने को मिलता है.

 

 

क्यों होता है साइनोफोबिया – Causes of cynophobia in hindi

 

  • अधिकांश डरो की तरह, कुत्तों से डर की शुरुआत भी किसी कुत्ते के साथ हुए नकारात्मक अनुभव के कारण होती है (विशेष रूप से बचपन में ) जैसे बचपन में किसी कुते द्वारा काटा जाना या भोकते हुए पीछा करना.  ऐसे नकारात्मक अनुभव इंसान के दिल में लंबे समय तक एक डर की स्थिति पैदा कर देते है.

 

  • बचपन में किसी दूसरे व्यक्ति को कुत्ते का शिकार होते हुए देखने या किसी करीबी के नकरात्मक अनुभव सुनने से भी यह डर पनपता है.  जैसे अगर किसी दोस्त या रिश्तेदार पर कुत्ते ने हमला किया, या माता-पिता ने बचपन में बच्चो को डराने के लिए कुतो के डर का सहारा लिया , तो यह  Cynophobia  के विकास के खतरे  को बढाता है.

उदहारण के तौर पर कई माता पिता बच्चों को अजनबी कुत्तों के पास न जाने की चेतावनी देते हैं। कुत्ते के व्यवहार की अपूर्ण या ग़लत           समझ के साथ एक बच्चे की उपजाऊ कल्पना, कुत्तों के प्रति  भय को जन्म देती  है।

 

  • इसके आलावा साइनोफोबिया जेनेटिक भी होता है.

 

 

कैसे किया जाता साइनोफोबिया  का ईलाज  – How to Cure Cynophobia in hindi

 

साइनोफोबिया का सामना कर रहे लोग जानते है की बेवजह कुत्ते उन्हें नहीं काटेंगे लेकिन फिर भी वे अपने आप पर काबू नहीं रख पाते. ऐसे में मनोविज्ञानिक कई तरह की टेक्निक्स का इस्तेमाल करके उनके डर को दूर करने की कोशिश करते है.

 

Exposure Therapy

एक्सपोजर थेरेपी में सिनीफोबिया से परेशान लोगो को उनके  डर यानि कुत्तो  के साथ समय व्यतीत करवाया जाता है। यह प्रोसेस step by step करवाया जाता है जिसमे रोगी अलग-अलग सत्रों में अपने डर और विचारो को थेरेपिस्ट के साथ साझा करता है. इसके बाद रोगी के डर को दूर करने के लिए थेरेपिस्ट कुत्ते के खिलोने,   कुत्ते के चित्रों या Puppy का सहारा लेता  है। इससे  चिकित्सक रोगी के भय के अलग अलग स्तरो  को समझता है और सटीक कारणों का विश्लेषण करता है । मामले की प्रकृति के आधार पर चिकित्सक अलग अलग रिलैक्सेशन टेक्निक्स का इस्तेमाल करके रोगी को सेल्फ कण्ट्रोल करना सिखाता है.

 

Cognitive Behavioral Therapy (CBT)

संज्ञानात्मक व्यवहारिक चिकित्सा  पूरी तरह से कुत्तों के भय से जुड़े नकारात्मक विचारों और विश्वासों को दूर करने पर केंद्रित है। चिकित्सक इन विचारों से निपटने और नकरात्मक विचारों को संशोधित करने के लिए अनूठे तरीके विकसित करता है। आम तौर पर कुत्तों को खतरनाक जानवरों के साथ नहीं जोड़ा जाता  लेकिन किसी  घटना से जन्मे डर के कारण सिनीफोबिया विकसित होता है । सीबीटी डर की जड़ों को पहचानने में मदद करता है, और इसके अनुसार सकारात्मक बदलाव लाता है.

इसके आलावा कुत्तो के डर को दूर करने के लिए आप  अपने घर में pet के तौर पर puppy को रख सकते है. इससे मन में दबा डर और नकरात्मक विचार अपने आप धीरे धीरे दूर हो जाएंगे.

 

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