ऐसे दिया जाता है मानसिक अस्पताल में इलेक्ट्रिक शॉक shock therapy in hindi

आपने टीवी सीरियल और फिल्मो में शॉक थेरेपी/ shock therapy के बारे में तो देखा होगा. शॉक थेरेपी मतलब किसी मानसिक रोगी को इलेक्ट्रिक करंट देना. अक्सर हमारी फिल्मो में दिखाया जाता है की गंभीर रूप से पीड़ित मानसिक रोगी को मेंटल हॉस्पिटल में तेजी से कई मिनटों तक बिजली का करंट दिया जाता है. इसलिए कई लोगो को लगता है की मेंटल हॉस्पिटल में मानसिक रोगियों का इलाज़ करंट देकर किया जाता है जो इंसान को ओर पागल कर देता है. क्या ऐसा सच में होता है? क्या कोई इंसान बिजली का तेज झटका बर्दाश कर सकता है? अगर सच्चाई की बात की जाये तो ऐसा बिलकुल भी नहीं है. यह सोच हमारे टीवी की देन है जिसने मनोविज्ञान में होने वाले इस इलाज़ के बारे में एक गलत अवधारणा पैदा की है.

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की shock therapy क्या होती और रोगी को कैसे दी जाती है.

 

शॉक थेरेपी क्या है – shock therapy in hindi

 

Shock therapy एक प्रकार की मनोचिकित्सा है जिसकी शुरुआत १९३८ में हुई. इसे मनोविज्ञान में विद्युत् आक्षेपी चिकित्सा/ electroconvulsive therapy कहा जाता है. इस उपचार में रोगी के मस्तिष्क/brain में 1 से 1.5 सेकंड तक हल्की करंट की धारा दी जाती है जिससे उसके दिमाग में रासायनिक परिवर्तन होता है. यह रासायनिक परिवर्तन रोगी को सही करने के लिए किया जाता है.  गंभीर रूप से depressed लोगो और आत्महत्या के बारे में बार बार विचार करने वाले लोगो के लिए shock therapy लाभदायक मानी जाती है.

 

कैसे दी जाती है शॉक थेरेपी – how is electroconvulsive therapy administered

 

शॉक थेरेपी में रोगी के मस्तिष्क के दोनों तरफ इलेक्ट्रोड लगा दिए जाते है और इनके जरिये 60 से 130 वाल्ट का करंट करीब 1 – 2 सेकंड तक मरीज को दिया जाता है. इसके बाद मरीज अचेतन अवस्था में चला जाता है और कुछ समय/दिनों तक के लिए कन्फ्यूज्ड रहता है. इससे मरीज की मेमोरी पर भी कुछ समय के लिए असर देखने को मिलता है. अवसाद से पीड़ित रोगियों के लिए यह एक कारगर इलाज़ माना जाता है. आमतोर पर जब मरीज पर दवाइयों का असर नहीं होता तब मनोचिकित्सक इसका इस्तेमाल करते है. इसे देने से मरीज violent या पागल बिलकुल नहीं होता. हालाकिं अब shock therapy का उपयोग बहुत कम किया जाता है.

 

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  1. MUKESH KUMAR 07/03/2017

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