जानिए क्या है जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 article 370 in hindi

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ बढती जा रही है और अब भारत की जनता इससे छुटकारा पाना चाहती है. पुलवामा हमले के बाद पूरा देश आक्रोश में है और पाकिस्तान से बदला लेना चाहता है तो वही एक मांग यह भी उठ रही है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाया जाए. अब ये धारा 370 क्या/article 370  है, इसे कब लाया गया और इसके तहत जम्मू-कश्मीर के पास क्या विशेष अधिकार है और इसे कैसे हटाया जा सकता है तो आइये जानते है इस लेख में इन सभी सवालों के जवाब.

 

History of  article 370 in hindi –  धारा 370 का इतिहास 

क्या है धारा 370 – what is article 370 jammu kashmir in hindi

भारत की 562 रियासतों में से, कश्मीर उन रियासतों में से था, जिन पर अंग्रेजों ने सीधे शासन नहीं किया। ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर, 1846 की संधि के तहत महाराजा गुलाब सिंह को हमेशा के लिए राज्य हस्तांतरित कर दिया, और बाहरी दुश्मनों से अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए एक मामूली वार्षिक भुगतान तय किया

भारत की स्वतंत्रता के साथ, 1947 में कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह के पास तीन विकल्प थे: स्वतंत्र रहना, भारत में विलय करना या पाकिस्तान में विलय करना।

1947 में जब भारत से पाकिस्तान अलग हुआ तो सभी राज्य के रियासतों ने स्वतंत्र रहने की मांग रखी. और सभी को एक जुट करने का जिम्मा सरदार वल्लाबभाई पटेल को दिया गया. पटेल बाकि सभी रियासतों को अखंड भारत बनाने में कामयाब रहे लेकिन जम्मू-कश्मीर में चुक गए क्योंकिं जम्मू-कश्मीर के राजा हरी सिंह स्वतंत्र देश की मांग को लेकर अड़े रहे.

जब हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर को स्वतंत्र घोषित किया, तो पाकिस्तान ने इस क्षेत्र को पाने के लिए तुरंत एक गोरीला युद्ध शुरू किया। अभी बातचीत चल ही रही थी की पाकिस्तान ने कबाइलियों की आड़ मे जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया और उसे हथियाने की कोशिश करने लगे. वह पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर में घुस आये और एक तिहाई हिस्से पर अपना कब्ज़ा कर लिया. महाराजा ने अपने क्षेत्र की रक्षा करने में असमर्थता का एहसास करते हुए, भारत सरकार से मदद के लिए अनुरोध किया। भारत सरकार ने जोर देकर कहा कि वे  कश्मीर मे अपनी सेना तभी भेजेंगे जब वह राज्य को  भारत को सौंप देगा। महाराजा इसके के लिए सहमत हो गए और भारत सरकार और महाराजा ने 26 अक्टूबर, 1947 को परिग्रहण संधि  पर हस्ताक्षर किए। उन शर्तो में जम्मू-कश्मीर के विशेष अधिकार भी शामिल  थे जिसे सविधान में धारा 370/article 370  के रूप में शामिल किया गया.

अनुच्छेद 370 एक “अस्थायी प्रावधान” है जिसे संविधान के भाग XXI में प्रारूपित किया गया

संविधान के शिल्पकार डॉ बीआर अंबेडकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया था। तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने 1949 में कश्मीरी नेता शेख अब्दुल्ला से इसका मसौदा तैयार करने को कहा था। हालांकि, केंद्रीय मंत्री गोपालस्वामी अय्यंगार, और जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के पूर्व दीवान, ने अंततः अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार किया था ।

 

धारा 370 के तहत दिए गए विशेष अधिकार – Special Provisions for Jammu and Kashmir

  • जम्मू-कश्मीर के लोगो के पास दोहरी नागरिकता है. उनके पास भारत की और जम्मू-कश्मीर की अलग अलग दो नागरिकता है.
  • जम्मू कश्मीर में अलग राष्ट्रीय ध्वज होता है.
  • जम्मू कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान,गीत आदि का अपमान करने पर कोई सजा का प्रावधान नही है.
  • जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है और जबकि बाकि राज्यों का 5 साल का.
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर में मानना बाध्य नही है.
  • भारत के अन्य उच्च न्यायालयों की तुलना में जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय के पास सीमित शक्तियाँ हैं। यह किसी भी कानून को असंवैधानिक घोषित नहीं कर सकता है
  • आर्टिक्ल 370 के अनुसार रक्षा, विदेश मामलों, वित्त और संचार को छोड़कर, संसद को अन्य सभी कानूनों को लागू करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता है।
  • अनुच्छेद 370 के तहत, केंद्र के पास राज्य में अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल घोषित करने की कोई शक्ति नहीं है। यह केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के दौरान  राज्य में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
  • जम्मू-कश्मीर में RTI, CAG और RTE जैसे कोई भी कानून लागू नही होते.
  • महिलाओ पर शरियत कानून लागू है.
  • अल्पसंख्यक (हिन्दू और सिखों) को 16% आरक्षण नही मिलता.
  • जम्मू-कश्मीर में पंचायत नही है.
  • भारत में अन्य राज्य का कोई नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन नही खरीद सकता. जबकि कश्मीर के लोग किसी भी राज्य में जमीन खरीद सकते है.
  • कोई कश्मीरी लड़की भारत के किसी अन्य राज्य के लड़के से विवाह करे तो उसकी नागरिकता खत्म हो जाती है जबकि कोई कश्मीरी लड़की किसी पाकिस्तान के लड़के से शादी करे तो उस लड़के को भी कश्मीर की नागिरकता मिल जाती है.

ये सभी अधिकार संविधान की धारा 370/article 370  में शामिल है और इन सभी के अलावा जम्मू-कश्मीर के नागरिको के पास और भी कई अधिकार है जो समय-समय पर राज्य सरकार ने दिए है.

 

क्यो धारा 370 हटाई नही जा सकती- why should dhara 370 not be removed in hindi

देखा जाए तो धारा 370/article 370  के अंतर्गत भारत की केंद्र सरकार के पास जम्मू-कश्मीर में केवल रक्षा और कूटनीति का ही अधिकार है और बाकि सारे अधिकार वहाँ की राज्य सरकार के पास है. और वहां का अपना एक अलग संविधान है.

2015 में जब यह मुद्दा उठा तो  दिसंबर 2015 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 370 संविधान का “स्थायी” प्रावधान नहीं है और केवल संसद ही अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए एक कदम उठा सकती है जो जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्त दर्जा प्रदान करता है।

इससे पहले, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के अनुसार इसके शीर्षक “अस्थायी प्रावधान” के बावजूद, अनुच्छेद 370 संविधान का “स्थायी प्रावधान” है। अनुच्छेद 370 के खंड (3) के तहत प्रदान किए गए तंत्र के रूप में इसे निरस्त, या संशोधित नहीं किया जा सकता है।

3 अप्रैल 2018 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक समान राय देते हुए घोषणा की कि धारा 370 ने स्थायी स्थिति हासिल कर ली है। इसमें कहा गया है कि भारत के राष्ट्रपति इसके निरस्तीकरण के लिए आवश्यक अनिवार्य प्रावधानों को पूरा नहीं कर सकते।

अब भारत सरकार को धारा 370 हटाने के लिए संसद में बिल पास करने के साथ साथ जम्मू कश्मीर की विधानसभा में भी बिल  पास करवाना जरूरी है जो भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.

 

दोस्तों जम्मू-कश्मीर का मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान का न रह कर अब एक वैश्विक मुद्दा बन गया है और बहुत से ऐसे देश है जो नज़र लगाए बैठे है कि भारत सरकार इस मामले में कुछ चुक या गलती करे और वो सब भारत को घेर ले. इसलिए शक्ति का प्रयोग कर के इस धारा 370 को हटाना सबको मुश्किल में डाल सकता है हालाकि धीरे-धीरे इनमे से जम्मू-कश्मीर के कई विशेष अधिकारों को खत्म किया जा रहा है.

 

दोस्तों आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे नीचे कमेंट में जरुर बताएं और साथ ही अपने दुसरे दोस्तों के साथ ये लेख शेयर करे ताकि उन्हें भी धारा 370 के बारे में जानकारी मिल सके.

 

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2 Comments

  1. Mithun 22/02/2019
  2. Arbaz Khan 07/03/2019

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