हिंदी कहानिया-जुबान की कीमत

दोस्तों हम अक्सर आपके लिए हिंदी कहानिया लेकर आते रहते है, आज की कहानी जुबान की कीमत पर आधारित है जिसमे एक कहानी के द्वारा समझाया गया है की अक्सर हमारे किये वादे किसी के लिए कितने जरूरी हो सकते है.

हिंदी कहानिया-जुबान की कीमत

किसी नगर में एक अमीर व्यापारी रहता था, लेकिन वह काफी कंजूस राजा था. हर दिन कई लोग उसके घर के बाहर भीड़ लगाकर खड़े हो जाते इस उम्मीद में की वह उनकी कुछ मदद करेगा. लेकिन वह उन्हें हमेशा निराश करके भेज देता. वह उनसे जूठे वादे करता और उन्हें पूरा नहीं करता था. एक दिन रैदास नाम का कवि उसके घर पहुंचा, उसने उस अमीर व्यापारी से कहा की वह अपनी कविताए उसे सुनाना सुनाना चाहता है. अमीर व्यापारी कविताओं को काफि पसंद करता था अत: उसने व्यापारी को कविताए सुनाने की इजाजत दे दी.

रैदास ने एक एक करके अपनी कविताए सुनाने शुरू की, अमीर व्यापारी बहुत खुश था और वह ओर खुश हुआ जब उसने रैदास द्वारा अपने ऊपर लिखी गई कविता सुनी. उन दिनों यह रिवाज था की अमीर व्यक्ति या राजा प्रशंसा में उपहार या इनाम दिया करते थे और गरीब कवियों के लिए कमाने का यह एकमात्र तरीका था. इसलिए अमीर व्यापारी ने भी रैदास को कुछ उपहार देने का वादा किया और कहा की वह अगले दिन आकर अपना उपहार ले जाए, रैदास इससे बहुत खुश हुआ.

अगले दिन जब रैदास उस व्यापारी के घर पहुंचा. रैदास ने उसे अपना वादा याद कराया तब अमीर व्यापारी ने कहा की तुम अच्छे कवि हो, तुमने जो मुझ पर कविता लिखी थी वह मुझे बहुत पसंद आयी लेकिन बाकी सभी कविताए साधारण सी थी. अमीर व्यापारी ने ये भी कहा की उसने जो रैदास से उपहार देने के वादे किये थे वह केवल उसे प्रोत्साहन देने के लिए किये थे इसलिए नहीं की उसने उसे काफी प्रभावित और खुश किया था. व्यापारी के यह कहने से रैदास काफी निराश हो गया था लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकता था. वह चुपचाप वहाँ से चला गया. घर जाते समय उसने अपने भाई कुबेर को देखा जो घुड़सवारी कर रहा था. रैदास ने कुबेर को रोका और उसे सारी घटना के बारे में बता दिया. कुबेर रैदास को अपने घर ले गया और उसके साथ मिलकर एक योजना बनाई ताकि अमीर व्यापारी को सबक सिखाया जा सके. कुबेर ने रैदास से कहा की वह पांच सिक्के लेकर अपने दोस्त के घर जाए और उसे रात्रिभोजन का आयोजन करने के लिए प्राथना करे जहाँ उस अमीर व्यापारी को भी आमंत्रित किया गया हो

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रैदास का एक पक्का मित्र था जिसका नाम मायादास था. रैदास उसके पास गया और उसे अपनी योजना बताई. अगले दिन मायादास उस अमीर व्यापारी के घर गया और उसे रात्रि भोजन के आमंत्रित किया. मायादास ने कहा की वह अपने महमानों को सोने के बर्तन में खाना परोसेगा जिसे मेहमान खाना खाने के बाद अपने घर ले जायेंगे. इसे सुनकर व्यापारी बहुत खुश हो गया और उसने मायादास को हाँ कर दी. जब अमीर व्यापारी रात्रि भोजन के लिए मायादास के घर पहुंचा तब वहां रैदास को देखकर हैरान हो गया, वहां रैदास के सिवा ओर कोई मेहमान नहीं आया हुआ था. मायादास ने अमीर व्यापारी का स्वागत किया, व्यापारी भूखे पेट ही आया था और वह रात्रि भोज के लिए काफी उत्साहित था. उसकी भूख बढ़ती जा रही थी और उसने मायादास से कहाँ की वह भोजन परोसे. मायादास यह सुनकर हैरानी में पढ़ गया और कहा की वह किस भोजन की बात कर रहा है. अमीर व्यक्ति ने मायादास को अपनी बात याद करायी जब उसने उसे रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया था. तब रैदास ने कहा की क्या उसके पास इस बात का प्रमाण है. उस अमीर व्यक्ति के पास कोई जवाब नहीं था. रैदास ने उस व्यापारी को उस घटना की याद करायी जब व्यापारी ने कुछ इसी तरह रैदास के साथ किया था. अमीर व्यापारी को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने माफ़ी मांगी. उसने कहा की रैदास अच्छा कवि है और उसने उसे कोई इनाम नहीं दिया था. उसने खुद कहा था की वह रैदास को इनाम देगा लेकिन उसने रैदास के साथ धोखा किया. अपनी भूल का पछतावा करने के बाद उसने अपने गले से हार निकाला और रैदास को उपहार स्वरुप दे दिया. और फिर सबने ख़ुशी ख़ुशी भोजन खाया.

कहानी का सबक – हिंदी कहानिया

कई बार आपकी जुबान से निकले शब्द दुसरो के लिए खुशियाँ , आशा और विश्वास बन जाते है और इन्हें तोडना दिल तोड़ने के बराबर है, दिल टूटने पर काफी दर्द होता है इसलिए वादे तभी करने चाहिए जब आप उसे पूरा करने की हिम्मत भी रखते हो.

 

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