मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर क्या है? Major Depressive Disorder in hindi

Major depressive disorder एक प्रमुख डिप्रेशन है जैसा कि नाम से ही साफ हो जाता है कि इसमे इंसान काफी डिप्रेशन के दौर से गुजर रहा होता है। यह ऐसी घटनाए होती है जिसमे इंसान में विषादी मनोदशा (depressed mood) होती है। ऐसे मे वे सभी तरह के कामो मे और आनंद मे अपनी रुचि पूरी तरह से खो देता है।  Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM-IV-TR )के अनुसार इसके अलावा Major depressive disorder के लिए नीचे लिखे 5 लक्षण व्यक्ति में कम से कम 2 सप्ताह तक देखे गए हो-

 

DSM-IV-TR criteria for major depressive disorder

 

  • उदास (sad) एवं विषादी मनोदशा (depressed mood)

 

  • दिनचर्या के कामो मे या सामान्य कामो मे रुचि (interest) और आनन्द की कमी होना

 

  • नींद आने मे मुश्किलें महसूस होना और बेड पर लेटने पर बहुत देर तक नींद नहीं आना, आधी रात में नींद खुल जाने पर दुबारा नींद नहीं आना, सुबह में जल्द नींद खुल जाना या कुछ रोगियों में इन सबों के विपरीत बहुत ज्यादा नींद आना

 

  • काम के स्तर (action level) में बदलाव जैसे सुस्ती होना या उत्तेजना का अनुभव करना

 

  • भूख कम लगना तथा शारीरिक वजन में कमी या इसके विपरीत भूख अधिक लगना या शारीरिक वजन में वृद्धि

 

  • ऊर्जा की कमी तथा थकान महसूस होना

 

  • नकारात्मक आत्म-संप्रत्यय (negative self-concept), अपने आप को दोषित करने की प्रवृत्ति, दोष-भाव (guilt feeling) एवं अयोग्यता का भाव

 

  • किसी भी काम मे ध्यान लगाने मे मुश्किल होना, मंद चिंतन तथा अनिर्णयकता

 

  •  मृत्यु या आत्म-हत्या का विचार बार-बार मन आना

 

Major Depressive Disorder information in hindi

मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर व्यक्ति में होने का औसत आयु 40 से 50 साल की होती है। यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है।

 

जिन व्यक्तियों को Major depressive disorder हुआ होता है, उनमें से करीब 15 % रोगियों में मनोविक्षिप्ति (psychosis) के लक्षण भी विकसित हो जाते हैं। ऐसे लोगों में delusion तथा hallucination जैसी समस्याएँ ज्यादा देखी गई है। मनोविक्षिप्ति के लक्षण दिखाने वाले विषादी व्यक्ति तरह-तरह के स्थिर व्यामोह जैसे ‘ मेरी गलती से वह बीमार पड़ी है’ या उसे यह विश्वास हो सकता है कि वह अपनी मृत पत्नी को देख रहा है, आदि-आदि विकसित हो जाते हैं। कुछ रोगियों में इस तरह के बड़े विषादी घटनाओं के अनुभव का एक इतिहास भी पाया जाता है। इस मानसिक समस्या को  बार-बार होने वाला बड़ा विषादी विकृति (recurrent major depressive disorder) कहा जाता है।

Major depressive disorder का स्वरूप मौसमी (seasonal) भी हो सकता है और ऐसी स्थिति में मौसम में परिवर्तन होने से यथा गर्मी से जाड़े की ऋतु आने से डिप्रेशन की स्थिति पैदा हो सकती है। और ऐसी परिस्थिति मे या तो व्यक्ति गतिहीन हो जाता है या फिर जरूरत से ज्यादा एक्टिविटी करने लगता है

इस विकृति का स्वरूप पोस्टपार्टम (postpartum) भी हो सकता है और ऐसी अवस्था में बच्चे के जन्म होने के चार सप्ताह के भीतर विषादी अनुभूति होने लगती है। इस विकृति का स्वरूप विषादप्रवण (melancholic) भी हो सकता है जिसमें व्यक्ति किसी पर सुखमय घटनाओं का कोई असर नहीं होता है,

 

सुबह में अधिक डिप्रेशन मे होता है,उसमें महत्त्वपूर्ण पेशीय क्षुब्धता होती है, सुबह जल्द नींद खुल जाती है, भूख में कमी हो जाती है तथा अत्यधिक दोषभाव (guilt feeling) हो जाता है।

 

Major depressive disorder को एक केस उदाहरण से समझने की कोशिश करते है…

रिचा एक 31 वर्षीय विवाहित महिला थी जिसका अभी हाल में ही प्रमोशन हुआ था था और वह अपने फर्म की एक होनहार एम्पलॉय समझी जाती थी। लेकिन वो खुद अपने इस पदोन्नति से खुश नहीं थी और अपने आप को इसके काबिल नहीं समझती थी। वह पिछले कई महीनों से काफी निराश रहती थी, चिड़चिड़ापन तथा थका-थका महसूस करती थी। उसकी यह निराशाजनक मानसिक स्थिति और भी उस समय गंभीर हो गयी जब उसके फर्म का एक क्लायंट जिसके कार्यों के निगरानी का दायित्व सीधे रिचा पर था, फर्म छोड़कर दूसरे फर्म में चली गयी ।इसके लिए रिचा अपने आप को दोषी ठहराने लगी और वह इस घटना को अपने व्यवसायिक अयोग्यता (professional incompetence) का एक प्रतिबिम्ब मानने लगी हालांकि उस क्लायंट द्वारा फर्म छोड़ने के कारण कुछ ऐसे थे जो रिचा के नियंत्रण के बाहर थे।

क्लायंट के चले जाने के बाद मीना की ऑफिस जाने में रुचि काफी कम हो गयी और ऑफिस का काम उसे एक बोझ लगने लगा। वह अपने काम पर ध्यान भी नही लगा पा रही थी और वह हमेशा अपनी अयोग्यता पर अपने आप को कोसती रहती थी। वो अपने आप को बीमार घोषित कर चुकी थी और सारा समय घर में टीवी के सामने बैठ कर बिताती करती थी।  हालांकि वह टीवी के किसी भी प्रोग्राम को ध्यान से नहीं देखती थी। वह हमेशा सुस्त बनी रहती थी लेकिन वह कभी भी ठीक से नहीं सोती थी। उसकी भूख समाप्त हो गयी थी। उससे लोग मिलने-जुलने की कोशिश भी करते थे लेकिन वो इन लोगों से मिलना-जुलना कोई-न-कोई बहाना लगाकर टाल देती थी। असल मे उसे किसी से बातचीत करना अच्छा नहीं लगता था। वो पिछले पाँच साल से अपने पति से अलग रह रही थी और उसके अच्छे मित्र भी अब उससे दूर रहने लगे थे।

कभी-कभी रिचा को यह अनुभव होता था कि वो मर जाती तो ज्यादा अच्छा होता। वो आत्महत्या करने के विचार पर भी बार-बार सोचा करती थी परंतु साथ-ही-साथ उसे ऐसा भी लगता था कि ऐसा करने से परिस्थिति पहले से और भी गंभीर हो सकती है। ”

केस उदाहरण के गहन अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि मीना में मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर के सभी लक्षण मौजूद थे।

 

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