क्या आप भी है Missing Tile Syndrome के शिकार
नैना एक 23 साल की लड़की है. वह पढाई के साथ साथ स्पोर्ट्स में भी अच्छी है लेकिन नैना की एक समस्या है. वह हर चीज को बारीकी से देखना और करना पसंद करती है जिसके कारण अक्सर उसका ध्यान चीजो की सकरात्मक विशेषताओ की जगह कमियों पर ज्यादा जाता है. उसे हमेशा लगता है की कुछ ओर बेहतर हो सकता था फिर चाहे खाना हो, कपडे हो, पढाई हो या आस पास का माहोल. अपनी इस आदत के कारण वह अपनी उपलब्धियों का पूरा मजा नहीं उठा पाती और असंतुष्ट रहती है.
यह कहानी सिर्फ नैना की नहीं बल्कि उन लाखो लोगो की भी है जिनका ध्यान हमेशा कमियों पर ही जाता है फिर वह चाहे अपनी हो या दुसरो की. ऐसे लोगो को हमेशा लगता है कुछ न कुछ मिसिंग है. यह सोच युवाओ में और भी ज्यादा देखने को मिलती है. काश मेरे पास भी मेरे दोस्त जैसा iphone होता, उसके कपडे मुझसे से ज्यादा अच्छे है, वो मुझसे अच्छा दिखता है, पडोसी की कार हमारी कार से ज्यादा अच्छी है, काश मेरे पास बंगला होता, काश काश और काश …..ऐसे में हमारे पास जो है हम उसका मजा भी ठीक से नहीं उठा पाते और हमेशा नाखुश रहते है.
इंसान की इस प्रवृत्ति को “द मिसिंग टाइल सिंड्रोम/ missing tile syndrome” कहा जाता है । इसका मतलब यह है कि हम उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते है जो हमारे पास नहीं हैं और यह सोच दुःख और असंतुष्टि का कारण बन जाती है ।
कैसे पाए मिसिंग टाइल सिंड्रोम – How to overcome missing tile syndrome
हम सब इंसान हैं जो कभी भी परिपूर्ण नहीं हो सकते हैं. हर इंसान में कमियां है लेकिन यह उसका जीवन के प्रति नजरिया तय करता है की वह उन खामियों को किस तरह देखे और कैसे उन्हें दूर करे या अपने उपर हावी न होने दे. और यह सोच तभी मजबूत हो सकती है जब हम इन बातो का ध्यान रखे ;
Covetousness – लोभ
लोभ या लालच ऐसी चीज है जिसका कोई अंत नहीं. यह समय के साथ और भी ज्यादा होने लगती है अगर सही समय पर इसे अपने ऊपर हावी न होने दिया जाये. याद रहे कुछ पाना अलग बात है लेकिन अनियंत्रित पाने की लालसा अलग. पाने की लालसा आपको कभी संतुष्ट रहने नहीं दे सकती.
Think positive – सकरात्मक सोचे
जब भी आपका ध्यान नकरात्मक चीजो या कमियों पर जाये तो उस पर दुखी होने की बजाय यह सोचे की आप कैसे बेहतर पा सकते है लेकिन इसके लिए कभी भी अपनी तुलना दुसरो से न करे. कोई भी चीज कभी भी परफेक्ट नहीं हो सकती इसलिए कमियों को भी मजबूती बनाये. हमेशा यह सोचे की आपके पास जो है आप उसमे कैसे खुश रह सकते है. प्रयास करे लेकिन तुलना नहीं.
Contentment – संतुष्टि
संतुष्टि मन की सबसे सकरात्मक स्थिति है. यह हमें जिन्दगी के हर छोटे छोटे पलो में भी बड़ी खुशियों का एहसास करवाती है. एक असतुष्ट व्यक्ति बड़ी बड़ी उपलब्धियों के बाद भी दुखी और तनाव में रहता है जभी एक संतुष्ट आदमी हर उपलब्धी में खुश.
संतुष्टि का मतलब यह नहीं है कि आपको खुद को सुधारना नहीं चाहिए। इसका मतलब है की प्रयास के बाद जो मिला उसमे खुश रहना चाहिए और बेहतर नतीजों के लिए सकरात्मक से रूप से आगे बढ़ना चाहिए.
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Apka ye article bilkul sahi hai mai apki baato se sehmat hu kyonki mai bhi is bimari se gujar raha hu. Par ab mujhe pata hai mujhe kaise is se bahar nikalna hai