आत्मा इंसान के अस्तित्व का एक ऐसा रहस्य है जिसके बारे में सदियों से चर्चा हो हो रही है और इसके बारे में हर शोधकर्ता और दार्शनिकों ने अपने अलग अलग मत दिए लेकिन आज तक इसकी कोई ठोस तरीके से पुष्टि नहीं कर पाया. धर्म के नजरिये से देखे तो निसंदेह लगभग हर धर्म आत्मा के अस्तित्व को स्वीकारता है लेकिन क्या विज्ञानं इसकी पुष्टि करता है? क्या सच में कोई ऐसी चीज है जो हमारे मरने के बाद भी जीवित रहती है? क्या सच में पूर्व जन्म होता है? क्या शरीर को चलाने के लिए आत्मा की जरुरत होती है? क्या आत्मा तय करती है की हमारा जन्म स्त्री के रूप हो या पुरुष के रूप में? अगर आत्मा है तो वह दिखती क्यों नहीं और शरीर के किस भाग में निवास करती है . इस तरह के तमाम सवाल आत्मा, spirit या soul शब्द सुनकर आपके दिमाग में आते होंगे. इस आर्टिकल में हम आत्मा के अस्तित्व को लेकर हुए कुछ शोधो के बारे में चर्चा करेंगे जो आत्मा के होने की कुछ हद तक पुष्टि करते है.
Scientific proof of soul in hindi – आत्मा विज्ञानं और मनोविज्ञान
Quantum theory of soul’s existence in hindi
Quantum theory of consciousness का सिद्धांत अमरीकी विज्ञानिक स्टुअर्ट हेमराफ (Stuart Hameroff) और ब्रिटिश विज्ञानिक रोजर्स पेनरोस (Roger Penrose) द्वारा दिया गया है. इस सिद्धांत को आर्वेक्स्ट्रेड ऑब्जेक्टिव रिडक्शन (आर्च-ओर) orchestrated objective reduction (Orch-OR) भी कहा जाता है. इसके अनुसार हमारी soul यानि आत्मा माइक्रोटयूबुल्स (microtubules) के अन्दर निवास करती है. यह माइक्रोटयूबुल्एक एक तरह के ढाँचे है जो हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं (brain cells) के अन्दर है. इस थ्योरी के अनुसार जब इंसान की मृत्यु होती है तब हमारे मस्तिष्क के अन्दर मौजूद यह माइक्रोटयूबुल्स अपनी क्वांटम अवस्था को खो देते है. यानी जब इंसान का दिल धडकना बंद हो जाता है और वह सांस लेना बंद कर देता है तब माइक्रोटयूबुल्स के अन्दर मौजूद consciousness यानि आत्मा शरीर को छोड़ कर ब्रह्मांड में वापस विलीन हो जाती है लेकिन इसकी क्वांटम सूचनाएं नष्ट नहीं होती यानि अपने अनुभव नहीं खोती. यही कारण है की कई बार मरने के बाद अचानक से जी उठने वाले लोगो को अपने अनुभव याद रहते है.
Law of conservation of energy and bhagwat geeta
गीता के अनुसार आत्मा अमर है. न आत्मा को पैदा किया जा सकता है और न ही इसका विनाश संभव है. जिस तरह इन्सान पुराने कपडे उतारकर नए कपडे धारण करता है ठीक उसी प्रकार आत्मा भी हर बार नया शरीर धारण करती है.. कई शोधकर्ता आत्मा को एक energy के रूप में देखते है. इस मत की पुष्टि भोतिक विज्ञानं का एक नियम Law of conservation of energy भी करता है..
Law of conservation of energy के अनुसार – Energy can neither be created nor destroyed; rather, it transforms from one form to another यानि उर्जा का न तो निर्माण किया जा सकता है और न ही विनाश; केवल इसका रूप बदला जा सकता है
यानी दुनियां में मौजूद किसी भी उर्जा का निर्माण और विनाश नहीं किया जा सकता और आत्मा भी एक प्रकार की उर्जा है जो हमारे शरीर को चलाती है.
Parapsychology and soul
परामनोविज्ञान (Parapsychology) विज्ञानं की एक शाखा है जो paranormal और psychic phenomena जैसे टेलीपैथी (मन को पढना), near-death experiences (मृत्यु के निकट अनुभव), reincarnation (पुनर्जन्म) और आत्माओ के अस्तित्व का अध्यन करती है. इस क्षेत्र में विज्ञानिक विधियों द्वारा paranormal activity का अध्यन किया जाता है.
इसी फिल्ड के एक क्षेत्र Reincarnation (पुनर्जन्म) पर हुए कई शोध आत्मा के अस्तित्व का दावा करते है. इसमें से प्रमुख शोध है अमेरिका की वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. इयान स्टीवेंसन और बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) की मनोविज्ञानिक डॉ. सतवंत पसरिया द्वारा किये गए शोध.
स्टीवेंसन ने करीब 40 वर्षो तक पुनर्जन्म पर कई महत्वपूर्ण शोध किये और इसे अपनी किताब “रिइंकार्नेशन एंड बायोलॉजी (Reincarnation and Biology)” में प्रकाशित किया. इसमें कई घटनाओं और परीक्षण को शामिल किया गया है जो पुनर्जन्म होने का दावा करते है.
वही इसी विषय पर भारतीय मोविज्ञानिक Dr Satwant Pasricha ने अपनी किताब “क्लेम्स ऑफ रिइंकार्नेशन : अन एम्पिरिकल स्टडी ऑफ कैसेज इन इंडिया (Claims of Reincarnation: An Empirical Study of Cases in India)” में पिछले जन्म की करीब 500 घटनाओ का जिक्र किया है. इसमें उन सभी लोगो पर की गई रिसर्च का वर्णन है जिन्ह अपना पिछला जन्म याद है.
past life regression therapy and soul existence
past life regression एक तरीके का इलाज़ है जिसके अनुसार हमारी आज की बहुत सी आदतों और बिमारियों जैसे डर का कारण पिछले जन्म की घटनाये है. इसमें इंसान को उसके पिछले जन्म में लेकर जाया जाता है और उसके जरिये वर्तमान की समस्याओ का निपटारा किया जाता है. आप इसके बारे में ओर अधिक नीचे दिए गए लेख में जाकर पढ़ सकते है.
जानिए क्या होती है Past life regression थेरेपी
इसके आलावा भी अलग अलग देशो में soul या spirit के existence को लेकर अलग अलग रिसर्च की गयी है. लेकिन आज भी ठीक तरीके से इस रहस्य की गुथी कोई नहीं सुलझा पाया.कही न कही हर शोध को लेकर संशय बरक़रार है.
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति …. Nice article with awesome explanation ….. Thanks for sharing this!! 🙂 🙂
ye tikh hai atma na janam lete hai na marti hai per iska niyantran koon karta hai or kaise
Aatma So parmatma
यदि आत्मा को न बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है तो यह आत्मा कहा से आती है ।
Comment Text* mujhe bahut khrab vichar aate He. or nind nahi aati or harbar manme vichar chalte rahte He. or Man bahut dukhi rehta He. or bike chalane Me bahut tensan hoti He
Yadi soul hamre dimag ke manspesiya me hai to koi scientists ise nikalta kyu nahi hai. soul ko hamare andar dalta koun hai.sabhi log ke marne ka nihchit samay kyu nahi hai koi 60,koi70, koi 100 year ke bad kyu marta hai kya soul ko yah bat pata hai ki kiske sarir se kab nikalna hai. jab yah hamare dimag me hai to ham aapna iksha aanusar ise kyu nahi nikal late. Ore such to ye hai ki aaj tak scientists bhi pata nahi laga saka ki yah hai kya aur yah hamare body me rahta kaha hai. Comment me kuch galat likha hoga to sorry.
Kya aatma ka ling parivartan hota hai ya nh
Agle janm ke me
भारतीय मोविज्ञानिक Dr Satwant Pasricha ने अपनी किताब “क्लेम्स ऑफ रिइंकार्नेशन : अन एम्पिरिकल स्टडी ऑफ कैसेज इन इंडिया (Claims of Reincarnation: An Empirical Study of Cases in India)” में पिछले जन्म की करीब 500 घटनाओ का जिक्र किया है. इसमें उन सभी लोगो पर की गई रिसर्च का वर्णन है जिन्ह अपना पिछला जन्म याद है
सर आप इस बुक में लिखा है उस पर शार्ट कट मैं बताये ब्लॉग के माध्यम से प्लिज