हम सभी अपनी जिन्दगी में कुछ न कुछ ऐसा काम जरुर करना चाहते है जो हमे दुसरो से अलग बनाता है, जो हमें एक अलग पहचान देता है. लेकिन हम में से मात्र कुछ प्रतिशत लोग ही ऐसा कर पाने में सफल होते है. ऐसा नहीं है उनमे काबिलियत या मेहनत की कमी होती है लेकिन फिर भी वह ऐसा नहीं कर पाते.
क्या आप जानते है की वह क्या चीज है जो हमारे लक्ष्यों की बीच में बाधा उत्पन करती है??? वह है डर की दिवार. कहते है डर इंसान को कमजोर बनाता है लेकिन ये डर कौन सा है? हम में से आधे लोग तो यह समझ ही नहीं पाते की आखिर यह डर है क्या चीज । यह डर है असफलता का डर – the fear of failure जिसे मनोविज्ञान में atychiphobia भी कहा जाता है. यह डर हमें किसी भी नए या रचनात्मक काम को करने से रोकता है. हमारे मन में हमेशा एक शंका पैदा करता है हम इस काम नहीं कर सकते. ये डर हमारे subconscious mind में रहता है और धीरे धीरे ये डर हम पर हावी हो जाता है और हम अपने काम को करने में नाकामयाब हो जाते है और इसका दोष हम दूसरों को देते है या परिस्थितियों को देने लगते है।
आज हम इसी डर की बात करेंगे और कोशिश करेंगे की इस डर पर काबू पाने के तरीके आपको बता सके जिससे आप बिना किसी डर के कोई भी काम आसानी से कर सके.
How to overcome fear of failure – कैसे पाए असफल होने के डर से छुटकारा
Feeling of Perfectionism
बहुत से लोग किसी भी काम को शुरू करते ही उसमे परफेक्ट होने ही कोशिश करते है. वह चाहते है असफल (failure) होने की गुंजाईश पूरी तरह खत्म कर दी जाए जिसके कारण वह अपने अन्दर एक डर को पैदा करते है जो उन्हें उस को नय ढंग से करने से रोकता है और तरह तरह के संदेह पैदा करता है. हम सबने देखा होगा जब एक क्रिकेटर बड़ी तेजी से रन बनाता है तो उसके मनमें आउट होने का डर नही होता, एक डांसर के अंदर से अगर हारने का डर निकल जाए तो उसे कोई नही हरा सकता। ऐसा तब ही मुमकिन है जब वे हार जीत के लिए नही खेलते सिर्फ अपनी संतुष्टि और मज़े के लिए खेलते है। इसलिए किसी भी काम में perfect होने की बजाय उसे करने पर जोर दे , perfectionism अपने आप develop हो जायगी.
What other people think about me – लोग क्या सोचेंगे
हम में से बहुत से लोग किसी भी काम की शुरुआत ये उसके बीचे में यह जरुर सोचते है की अगर हम यह काम नहीं कर पाए तो मेरे बारे में लोग क्या सोचेंगे .इस तरह की सोच भी हमारे अन्दर असफल (failure) होने का डर पैदा करती है. जैसे एक जानवर को कभी फेल (failure) होने का डर नही होता वैसे ही एक बच्चे को भी किसी चीज़ का डर नही होता। वो हर चीज़ को दिल से करता है और खुल कर करता है। उसी तरह हम सब के अंदर एक बच्चा छुपा है जो बिना डरे काम करता है जिसे फेल (failure) होने पर कोई फर्क नही पड़ता, समाज का उसे कोई डर नही होता और न ही फ्यूचर की चिंता होती है । वो बस किसी काम को इसीलिए करता है क्योंकि उसे मज़ा आता है. अगर आप सही है तो किसी की परवाह न करे. सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दे.
दोस्तों हमने अपने चारों तरफ एक काल्पनिक दीवार बना रखी है जो डर की दीवार है वो जिस भी तरफ जाएगा उसे वो दीवार मिलेगी। अब सवाल आता है इस दीवार का क्या किया जाए ?
दोस्तों हमे इस दीवार को तोड़ना नही है क्योंकि ये दीवार सिर्फ हमारी कल्पनाओ में है हमे इस काल्पनिक दीवार के पार जाना है ताकि ये हमे दिखाई न दे सके। और इसके पार सिर्फ एक ही चीज़ से जाया जा सकता है वो है “विश्वास”
हम मानते है कि सब की परिस्थितियां अलग अलग होती है सब का डर अलग अलग होता है और उस डर को काबू करने का तरीका अलग अलग हो सकता है लेकिन उसकी जड़ सिर्फ और सिर्फ खुद पर विश्वास करना है।
हम में से कई लोगो का ये भी कहना होगा की इस डर की बुनियाद बच्चपन ही है जैसे जब हम पहली बार साईकिल चलाना सिख रहे होते है तो मम्मी कहती है बेटा ध्यान से चलाना नही तो गिर जाओगे। तो ये डर की भावना हमारे अंदर बच्चपन से ही आ जाती है।
जब एक बच्चा पहली बार साईकिल चलता है तो उसमें गिरने का डर नही होता उसे विश्वास होता है कि मैं कर सकता हूँ और तभी वो जल्दी साईकिल चलाना सीख पाता है। इसके विपरीत एक 20-22 साल का यंग लड़का या लड़की जिसे साईकिल चलानी नही आती और वो साईकिल तब तक नही चला सकता जब तक गिरने का डर उसके मन से न ख़त्म हो जाए जब तक उसे विश्वास न हो जाए की मैं साईकिल चलाते हुए नही गिरूंगा।
इसलिए कभी हारने या असफल होने पर घबराये नहीं क्योकि असली हार या जीत आपकी सोच तय करती है.
Nelson Mandela
“I learned that courage was not the absence of fear, but the triumph over it. The brave man is not he who does not feel afraid, but he who conquers that fear.”
“मैंने ये सिखा कि डर का ना होना साहस नही है , बल्कि डर पर विजय पाना असली साहस है. बहादुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता , बल्कि वह है जो इस डर को परास्त करता है.”
दोस्तों इस डर के बारे में कुछ पूछना चाहते है या कुछ अनुभव हमारे साथ बाटना चाहते है तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमे जरूर लिखे।
ये लेख आपको कैसा लगा अपने comments के द्वारा हमें जरूर बताये. इस कहानी को अपने मित्रो के साथ शेयर करे. आगे के लेख प्राप्त करने के लिए हमें subscribe करे जो की फ्री है.
Related Articles
सफलता का पहला नियम; भागो मत, सिर्फ जागो
क्या आप सफल होना चाहते है! भागो मत जागो
सफलता का मंत्र है यह योग karma yoga in Hindi
संघर्ष से सफलता तक का सफ़र Nawazuddin Siddiqui biography
मिस्टर पॉजिटिव vs मिस्टर नेगेटिव the power of positive thinking
NOTE:We try hard for accuracy and correctness. please tell us If you see something that doesn’t look correct or you have any objection.
I WANNA TELL YOU THANK YOU SO MUCH FROM MY HEART AND SOUL……!!!!!!!!
Sabase badi problem hamari yahi hai ki hum yah sochate hai ki log kya sochenge..
Jis din se hum ye sochana band kar ke ki log kya kahenge ,kaam karana suru kar diye uss din se hee jarur kuch na kuch achha hona shuru ho jayega aapki jindagi me.
Thanks for sharing this awesome artical
Hamari thinking hi hamari har aur jeet ka faysala karte ha so think always be positive
Kai din ho gaye meri choti bahan meri aik choti si baat par buri tarha naraj ho gai hai yahan tak ki vo mujhse baat bhi nahin kar rahi msg, whatsup bhi karta hoon to kahti hai aage se mujhe msg mat karna mujhe bahut dar lag raha hai ki kahin rishta na toot jaye hamesha ke liye ab mai batata hoon ki baat kya hui thi Sunday 6 Nov ki raat ko Maine apni bhanji se kisi ksam me liye kaha to usne mana kar diya to Maine kaha koi baat nahin bete tera bhi to kaam padega mama se aur ye baat Maine sirf normally hi kahi thi isi baat meri bahan bura maan gai kya is samsya ka koi samadhan hai to mujhe batayen taki hamara rishta bana rahe please.
सर बहुत सारे लोग मुझपर हस्ते है ओर मेरा मजाक उड़ाते हैं कि तू आपनी लाइफ में कुछ भी नहीं कर सकता है मे 7500 ₹की जॉब करता हू to
Thanks for sharing this awesome article……., pradeep Gupta
हैलेा सर हर बार की तरह यह लेख भी बहुत शानदार है, धन्यवाद आपको लोगो के जिदंगी बेहतर बनाने में योगदान देने के लिये