टॉरेट सिंड्रोम एक neuropsychiatric disorder है जिसकी शुरुआत आमतोर पर बचपन में होती है. इस बीमारी में इंसान के तंत्रिका तंत्र में समस्या होती है जिससे रोगी अनियंत्रित गतिविधियां करते हैं या अचानक आवाज़ें निकालते है, जिसे tics कहा जाता है. इसमें अचानक से शब्दों को दोहराना, पलकों को झपकना, बाहों को हिलाना, गला साफ करना, बार बार सूंघना, होठों को हिलाना शामिल है. इन लक्षणों पर रोगी का कोई नियंत्रण नहीं रहता. हलाकि टॉरेट सिंड्रोम/Tourette syndrome से रोगी के बौद्धिक स्तर या जीवन प्रत्याशा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. लेकिन अपनी अनियंत्रित गतिविधियां के कारण कई बार रोगी शर्मिंदगी और कम आत्मसम्मान महसूस करते है जिससे उनकी सामाजिक गतिविधियों में भागेदारी कम हो जाती है.
Tourette syndrome अक्सर अन्य मनोविज्ञानिक विकारो के साथ देखने को मिलता है, जैसे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर आदि.
टौरेट सिंड्रोम फ्रांसीसी चिकित्सक, जोर्ज गिलेस डे ला टौरेट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पहली बार 19वीं शताब्दी में इस बीमारी के लक्षणों का वर्णन किया था।
टॉरेट सिंड्रोम के कारण – cause of Tourette syndrome in hindi
टॉरेट सिंड्रोम का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन चिकित्सको के अनुसार आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक इसमें शामिल हैं।
शोधो के अनुसार अगर माता पिता को यह बीमारी है तो इस बात की संभावना है कि आने वाली पीढ़ीयों में भी ये बीमारी देखने को मिल सकती है.
साथ ही दिमाग के हिस्से बेसल गैन्ग्लिया में समस्या के कारण भी टॉरेट सिंड्रोम के लक्षण विकसित होते है. बेसल गैन्ग्लिया मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो इंसान की गतिविधियों, आँखों की हलचल, भावनाओं और शिक्षण कौशल को नियंत्रित करता है.
इसके आलावा मस्तिष्क में रसायनों के असंतुलन के कारण भी यह समस्या उत्पन होती है. इसमें डोपामाइन और सेरोटोनिन प्रमुख है.
टॉरेट सिंड्रोम का इलाज़ – Treatment of Tourette syndrome in hindi
टौरेट सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है. इसका इलाज दवाइयों और मनोविज्ञानिक थेरेपी के जरिये किया जाता है.
मनोविज्ञानिक थेरेपी में आमतोर पर behavioral therapy का इस्तेमाल होता है जिससे tics के प्रभाव और तीव्रता को कम किया जाता है. इसमें tics के पैटर्न और आवृत्ति की निगरानी शामिल है और ऐसी उत्तेजना पहचानी जाती है जिससे tics उत्पन होते हैं। अगले चरण में एक वैकल्पिक तरीके का इस्तेमाल होता है जो tics के कारण पैदा हुई उत्तेजनाओं से मुक्ति पाने में लाभदायक होते है. साथी ही रोगी और उसकी परिवार की काउन्सलिंग की जाती है ताकि वो समाज और घर में भागीदार बन सके.
दवाइयों का इस्तेमाल मस्तिष्क में रसायनों के लेवल को नियंत्रित करने के लिय किया जाता है.
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I am suffering this problem also .This problem increase or decrease .Is this a part of epilepsy ? I take many type of treatment but I feel iffect in starting four five months after that increase this problem
Muje bhi yah bimari he please koi ilaj bataye????