भारत मे दुख का माहौल है, हमारे सीआरपीफ के 44 जवान देश के लिए शहीद हो गए है। आतंकवादीयो की इस नीच हरकत का पूरा भारत आलोचना कर रहा है। जवानो की इस शहादत से पूरा देश एक होकर खड़ा हो गया है और दिलो का गुस्सा अब बाहर आने लगा है। हर तरफ इस हमले का बदला लेने की बात चल रही है। हमला जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतीपुरा मे हुआ है। यह हमला उस दौरान हुआ जब CRPF के जवानो का काफिला (convoy) इस इलाके से गुजर रहा था। यह हमला IED नामक बम से हुआ।
इसके बाद IED बम से एक और हमला हुआ, ये हमला जम्मू और कश्मीर के राजौरी सेक्टर के नौशेरा मे स्थित लाम झंगर नामक इलाके में हुआ। इस हमले मे भी हमारे एक जवान शहीद हो गये। IED बमो का इस्तेमाल भारत मे दहशतगर्दी फैलाने के लिये पहले भी होता रहा है। हैदराबाद,पठानकोट, मुंबई, बंगलुरु, जम्मू कश्मीर मे हुये हमलो मे भी IED नामक बमो का इस्तेमाल हुआ था। इन हमलो मे कई लोगो को भी अपनी जाने गवानी पड़ी थी।
क्या है आईईडी बम ब्लास्ट WHAT IS IED BLAST in hindi
IED का पूरा नाम है इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस। ये हथियार एक तरीके का बम ही है, इस तरह के बमो को आतंकी सैन्य बलो के खिलाफ एक प्रभावी हथियार के रूप मे प्रयोग करते है। ये सैन्य और असैन्य घटको से निर्मित होते है, इनमे खतरनाक केमिकल शामिल होते है। इन्हे बनाने के लिये कभी कभी तो घर के बने विस्फोटको (homemade explosives) का प्रयोग भी किया जाता है इसलिये इन्हे होममेड बम भी कहा जाता है। इन्हे बनाने मे खर्चा कम लगता है, इनका प्रभाव ज्यादा है, ये लगाने मे आसान होते है।
इस तरह के बमो को कुछ इस तरह से बनाया जाता है की पैर पड़ने से ही ये फट जाये या गाड़ी का पहिया छु जाने से ही ये ब्लास्ट हो जाये, इसलिये इन्हे अक्सर सड़क के किनारे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। जब इनका प्रयोग सड़क के किनारे बमो के रूप मे किया जाता है तो ये संचार की लाइनो और यातायात को बाधित कर सकते है। ये वाहनो को छूते ही नष्ट कर सकते है।
कभी कभी तो इनके प्रभाव इन्हे जिस काम के लिये प्रयोग करना है उससे भी दूर चले जाते है। इन्हे बनाने के लिये जिन रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी (गंदे बम) समग्रियों का प्रयोग किया जाता है उनसे जानलेवा खतरे पैदा होते है। इनके ब्लास्ट होने की स्थिति मे विस्फोट, धुआ और आग बड़ी तेजी से निकलती है।
Vehicle-borne IED, या VBIED
इस तरह के शब्दो का प्रयोग उन IED बमो के लिये किया जाता है, जिन्हे कार बम या ट्रक बम भी कहते है, लेकिन कुछ दूसरे वाहन भी इनके लिये प्रयोग किये जा सकते है जैसे साइकल या बाइक। इस तरह के बम IED का अपेक्षाकृत बड़ा लोड ले जा सकते है। आतंकी इनका प्रयोग रीमोट कंट्रोल के रूप मे भी कर सकते है, और दूर स्थान पर बैठ के इन बमो का विस्फोट कर सकते है।
VBIEDs वाहन अपने विनाश के माध्यम से अतिरिक्त छर्रे बना सकते हैं और वाहन ईंधन का उपयोग आग लगाने वाले हथियार के रूप में कर सकते हैं। एक व्यक्ति के इस वाहन में होने और इसे विस्फोट करने के कार्य को एक SVBIED (suicide vehicle-borne IED) आत्महत्या के रूप में जाना जाता है।
पुलवामा हमले मे शामिल आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार को इसी आत्महत्या का उदाहरण माना जा सकता है।
कैसे बनाये जाते है आईईडी – IED in hindi
IED बमो के पाँच अंग होते है। पहला स्विच (एक्टिवेटर), दूसरा सर्जक (फ्यूज), तीसरा कंटेनर (बॉडी), चौथा चार्ज (विस्फोटक), और आखिरी मे एक शक्ति के स्रोत के रूप मे (बैटरी) का प्रयोग किया जाता है। कुछ आईईडी मे नाखून, बाल बेयरिंग और पत्थरो का इस्तेमाल भी किया जाता है। इन बमो का प्रयोग कई तरीके से किया जा सकता है, इनमे शामिल है रिमोट कंट्रोल, इन्फ्रारेड या मैग्नेटिक ट्रिगर्स, प्रेशर-सेंसिटिव बार या ट्रिप वायर। कुछ मामलों में, कई IED को सड़क के किनारे तार के माध्यम से सैन्यबलो के वाहनो के काफिले को नुकसान पहुचाने के लिये बिछाया जाता है।
इन IED बमो का इस्तेमाल भारत समेत दुनिया के दूसरे देशो मे आतंकी सेनाओ और लोगो को नुकसान पहुचाने के लिये करते है। भारत ने हाल ही मे अपने वीर पुत्रो को पुलवामा और राजौरी मे हुये हमलो मे खो दिया, जिसकी भरपाई कर पाना मुश्किल है। हमारे सैनिक 24 घंटे देश की सेवा करते है, हमारी रक्षा करते है, लेकिन जब कोई जवान अमर शहीदी को प्राप्त करता है, तो हर दिल मे एक दर्द सा उठता है। इसी दर्द के साथ कुमार विश्वास की कविता की कुछ पंक्ति शेयर करना चाहेंगे जो हमारे देश के सैनिको को समर्पित है
“दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो”
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