जानिए क्या है कर्म योग (karma yoga) का मतलब
श्रीमद्भगवद्गीता के 2 अध्याय का 47 श्लोक है
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषुकदाचन।
भा कर्मफल हेतुभूः मा ते संगो स्त्वकर्मणि
karmany evadhikaras te
ma phalesu kadacana
ma karma-phala-hetur bhur
ma te sango ‘stv akarmani
जिसका सार है कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर ( You have a right to perform your prescribed duties, but you are not entitled to the fruits of your actions)। इसे कर्म योग (karma yoga) भी कहा जाता है जिसे गीता मे सर्वश्रेष्ठ माना गया है। गीता के अनुसार किसी भी इंसान की सफल ज़िंदगी के लिए कर्मयोग का होना सबसे ज्यादा महतव्पुर्ण है।
लेकिन जब जब हमे सुनने को मिलता है की ‘’कर्म किए जा फल की चिंता मत कर’’ तो कभी कभी यह काफी अजीब लगता है की कोई काम हम बिना फल की चिंता के कैसे कर सकते है? आखिर हम कोई संत या सन्यासी तो है नहीं। लेकिन यह इस श्लोक (karma yoga) को गलत ढंग से समझना हुआ। दरअसल यह तो हमे सिर्फ सलाह देता है की आप बस अपना काम करें। उस काम का क्या नतीजा होगा उस पर ज्यादा ध्यान न दे। यह हमे अपने अपने आज मे जीने को कहता है। आज मे जीना ही पल मे जीना है। पल मे जीने के मायने है, आप जहां हो , जिस हाल मे हो उसे भरपूर जियो। उस पल का पूरा मजा लो। इसका मतलब हुआ की आप अपना जो भी काम कर रहे है उसमे पूरी तरह डूब जाओ। उसमे डूबने के मायने है की आप उस पल अपना 100 % दे रहे है। मजेदार बात यह है की आप काम हमेशा अपने आज मे कर रहे होते है लेकिन आपका दिमाग और मन हमेशा भविष्य मे होता है। सुबह से लेकर शाम तक काम करने के बाद भी मन को संतुष्टि नहीं मिलती क्योकि जो हमने किया है या जो हमारे पास है हम उसका सुख नहीं ले पाते और उस काम के नतीजे(result) यानि के भविष्य की चिंता मे डूब जाते है। ऐसा नहीं है की हम जानते नहीं है की नतीजा हमारे हाथ मे है ही नहीं लेकिन फिर भी जान कर अनजान बनते है। इंसान अगर वर्तमान(present time) मे जीना सीख ले तो उसकी बहुत सारी परेशानियाँ तो अपने आप ही गायब हो जाती है।
आप जिस पल मे जी रहे है वही काम का समय है और उसमे मजा तब ही आएगा जब आप जुट कर अपनी इच्छा के काम कर सकते है बिना चिंता किए की उसका नतीजा आपके हक मे जाएगा या नहीं क्योकि तब ही आप खोने या पाने की चिंता के बिना किसी भी काम को बिना प्रैशर के कर सकते है । यही कर्म योग (karma yoga) है।
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काम तो एक मजदुर से ज्यादा कोई क्या करता होगा उसे उस काम का फल भी मिलता है पर उतना नही मिलता जितना मिलना चाहिए । तो इस प्रतियोगिता के जमाने में भी बिना फल की चिंता करे हमे काम करते रहना चाहिए?
Only physical work is not the work
You must have read reap as you sow.
So work hard for the fruit you want in life rather than thinking about whether I would get it or not. Otherwise you would not be able to put your 100% effort