अर्थवेद और भागवत गीता के अनुसार हर इंसान में तीन गुण होते है जो उनका व्यवहार तय करते है. यह तीन गुण/Triguna है – सत्त्व, रजस् और तमस्. इन तीन गुणों के कांसेप्ट का उपयोग आधुनिक युग में मनोविज्ञानिको द्वारा इंसान की पर्सनालिटी को समझने के लिए भी किया जाता है जिसे Triguna theory of personality के नाम से जाना जाता है.
मनोविज्ञानिको के अनुसार जिस इन्सान में जो गुण हावी होता है उसी के अनुसार उसके व्यक्तित्व का विकास होता है. हर गुण की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं जो हर इंसान में पाई जाती है.
इन गुणों से जानिए अपनी पर्सनालिटी – Triguna theory of personality in hindi
सात्विक गुण – SATTVIC GUNA
सत्त्व गुण “आध्यात्मिक गुण” है. जब सत्त्व गुण प्रभावशाली होता है, तब व्यक्ति में अच्छाई और देखभाल करने की सहज इच्छा होती है। जिस इंसान का मन और इंद्रियों पर कंट्रोल रहता है तब उसमे सात्विक गुण प्रभावी होता है. ऐसे लोग न सिर्फ बुद्धिमान होते है बल्कि अपने ज्ञान को सभी लोगो के साथ बांटना भी पसंद करते है. ऐसे लोग अपने काम को गंभीरता से लेते है और कोई बहाने बाजी नहीं करते. ये हर स्थिति में शांत रहते है और सोच समझकर फैसले लेते है.
उदहारण के तौर पर – कबीर, महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानंद, सन्त तुकाराम,
राजसिक गुण – RAJASIC GUNA
रजस् गुण “सक्रिय” गुण है. राजसिक गुण वाले लोग बहुत सक्रीय, गतिशील और कार्यशील होते है. अगर उनके पास कोई काम नहीं है तो वे बैचेन महसूस करते है. ऐसे लोग मसालेदार खाना काफी पसंद करते है. साथ ही इन्हें मनोरंजन का भी शोक रहता है. यह एक जगह पर चुप चाप बैठे रहना पसंद नहीं करते.
जिस व्यक्ति में राजसिक गुण प्रभावी रहता है उनमे तरह की इच्छाएं, सपने, जोश और भावनाएं रहती है. ऐसे लोग अक्सर बिज़नस में जाना पसंद करते है.
तामसिक गुण – TAMASIC GUNA
तमस् गुण “भौतिक गुण” है. इस प्रकार के लोग काम करना पसंद नहीं करते. साथ ही यह सही गलत का ज्ञान नहीं रखते. ऐसे लोग सुबह देर से उठते है. ये जिन्दगी में ज्यादातर असफलता का सामना करते है. इनकी निष्क्रियता और सुस्त आचरण के कारण लोग इनके साथ रहना पसंद नहीं करते.
तामसिक गुण वाले लोगो में बहाने बाजी, लापरवाही, असंवेदनशीलता, लक्ष्यहीन जीवन, और दुसरो की आलोचना प्रभावी रहती है. कई बार ऐसे लोग नशे में लिप्त रहते है.
ये बात भी जानना जरुरी है की इंसान में सिर्फ एक गुण नहीं होता. हर व्यक्ति में यह तीनो गुण/Triguna होते है. किसी में राजसिक गुण ज्यादा प्रभावी होता है तो किसी में तामसिक गुण. किसी भी इंसान की पर्सनालिटी उसका प्रभावी गुण तय करता है. लेकिन एक प्रभावी व्यक्तित्व के लिए तामसिक गुण कम से कम होना चाहिए.
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Sir Mera naam hemant Kumar hai.sir Kya taamsik se sattvik gun Mai aaya ja sakta hai.matab ki Mai bhi ek dum taamsik pravati ka hu.mere andar bhi Gyan nahi hai .Matlab ki mujhe aisa lagta hai jaise Mai kaval khane k liye hi paida hua hu.jivan Mai jayda tar ninda apmaan .basti.or ahankaar vas men hamesha apmaan hi Saha hai .or mere kaaran Meri ma ne bhi.kya ye sab ishvar ka kra hua hai.ye mere vicharo dwara ye sab ho Raha hai.mai jivan Mai bhout bhoutik vaad Raha hu jiske kaaran mujhe kabhi santushti nahi mili.mujhe ab kuch ab samajh nahi AA Raha hai ki Mai Kya kru.mai koun hu?