परीक्षा (Exams) का समय आने वाला है. सभी parents चाहते है की उनके बच्चे हर Exams में अच्छा प्रदर्शन करे चाहे वह स्कूल कॉलेज के Exams हो या जिन्दगी की कई और मुश्किल परीक्षाये. इंसान की अपने आप से भी ये ही अपेक्षा होती है की वह जो भी कार्य करे उसमे सफलता प्राप्त करे. एक business owner भी यही चाहता है की उसका बिजनेस कामयाब हो जाए और वो खूब पैसा कमाए. teachers भी यही चाहता है की उसके सभी बच्चे परीक्षाओ में बहुत बढ़िया अंक (marks) लाये. लेकिन सफलता पाना इतना आसान नहीं जितना इसे सोचना. इंसान की मेहनत और काबिलियत कामयाबी पाने के लिए जरूरी है लेकिन अनुकूल परिस्थितिया ना मिलने से ये काबिलियत दब जाती हैं और इंसान अपने लक्ष्य और कामयाबी को प्राप्त नहीं कर पाता. इस आर्टिकल के जरिये हम आपको यह बताने की कोशिश करेंगे की वो कौन सी परिस्थितिया है जिसमे इंसान की काबिलियत दब सकती है और वह सफलता प्राप्त करने में असफल रह सकता है. क्या हो सकती है वो effective guidance जिनका इस्तेमाल parents, teacher अपने बच्चो और बिजनेस मैन (businessman) अपने employee के लिए कर सकते है और क्या है वे परिस्थितिया जिनको पैदा कर आप अपने बच्चो या छात्रों या employee से ज्यादा से ज्यादा प्राप्त कर सकते है.
पहले हम कुछ उदहारण देखते है, जिनसे बच्चो और employee के लिए ऐसी परिस्थितिया पैदा होती है जिसमे वो असफल हो सकते है.
हर माता पिता (parents) चाहते है की उनके बच्चे परीक्षा (Exams) में अच्छे नंबर लाये और आगे जा कर कुछ अच्छा करे . इसके लिए वह हर संभव कोशिश करते है ताकि उनके बच्चो को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पढ़े. चाहे वे जरिया महंगी से महंगी कोचिंग हो या फिर extra classes और gadgets की भरमार. लेकिन इस सबके बावजूद भी कई बच्चे उस उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाते और फिर नतीजा होता है – तनाव, डिप्रेशन, आत्मविश्वास में कमी आ जाना और कई मामलो में सुसाइड. इसे हम एक कहानी (story) से समझने की कोशिश करते है.
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रोजाना एक चींटी अपने काम पर समय पर जाती और अपना काम खुशी खुशी करती। उसका मालिक शेर इस बात को देखकर हैरान था की कैसे एक छोटी से चींटी बिना किसी देखरेख के अपना काम इतना अच्छे से करती है। उसने सोचा की अगर बिना किसी देखरेख और सुविधा के वो इतना अच्छा काम करती है तो अगर उसे कोई सुविधा मिल जाए तो वो ओर अच्छा कर सकती है। इसलिए उसने एक अनुभवी मधुमक्खी को उसकी मदद के लिए नियुक्त किया। नियुक्त होते ही मधुमक्खी ने सबसे पहला फैसला लिया की वो एक attendance system बनायेगी। इसके लिए उसे एक सेक्रेटरी की जरूरत थी इसलिए उसने एक खरगोश को नियुक्त किया। शेर मधुमक्खी के काम से काफी खुश था। उसने मधुमक्खी को उत्पादन दर (production rate) पर रिपोर्ट बनाने को कहाँ ताकि वो इसका इस्तेमाल बोर्ड मीटिंग मे कर सके। इसके लिए मधुमक्खी ने एक कम्प्युटर और प्रिंटर खरीदा और एक बिल्ली को आईटी डिपार्टमेंट के लिए नियुक्त किया। चींटी जो की पहले तनाव मुक्त थी और अपना काम खुशी खुशी करती थी अब कागजी कामकाज और मीटिंग्स से परेशान हो चुकी थी। अब वो पहले की तरह अच्छा उत्पादन (production) नहीं कर पा रही थी। इसलिए शेर ने एक बंदर को अपने कंसल्टेंट के लिए नियुक्त किया। तीन महीने बाद बंदर ने अपनी रिपोर्ट निष्कर्ष के साथ निकाली और कहा की डिपार्टमेंट में नकारात्मकता आ गयी है जिसकी वजह से काम अच्छी तरह नहीं हो पाता । शेर ने देखा की जो चींटी जो सबसे पहले सबसे अच्छा काम करती थी अब वो नकरात्मक और प्रेरणाहीन हो चुकी है। इसलिए शेर ने सबसे पहले चींटी को अपनी कंपनी से बाहर निकाल दिया।
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यहाँ इस्तेमाल हुए पात्रो को हम अपनी जिन्दगी के साथ जोड़ कर देख सकते है की कैसे कई बार कुछ ज्यादा पाने के लिए हम आवश्यकता से ज्यादा अतिरिक्त साधनों का सहारा लेते है. जबकि होना यह चाहिए की छात्र (student) हो या किसी कंपनी में काम करने वाला employee उनसे पहले यह पूछा जाये की वह किस क्षेत्र में कमजोर है. उन्हें अपने आप को बेहतर बनाने के लिए किस चीज की जरुरत है और सबसे जरुरी चीज की क्या उनमे इतनी काबिलियत है की वह इतने दबाव से निपट सके. किसी भी चीज में quantity (मात्रा) से ज्यादा quality (गुणवत्ता) मायने रखती है. ज्यादा सुविधाएँ देने से बेहतर है की नियमित रूप से प्रगति देखी जाये और फिर मिलकर कमियों को दूर करने के लिए निर्णय लिए जाये. कोई भी काम तब तक अच्छा नहीं किया जा सकता जब तक उसमे तनाव और बोझ हो.
अत: एक अभिभावक (parents), अध्यापक (teacher), और business person होने के नाते हमें यह समझना चाहिए की कैसे एक उचित वातावरण और परिस्थितिया बच्चो और employee की उत्पादकता बढ़ाने में लाभदायक सिद्ध हो सकती है. हर इंसान में काबिलियत होती है लेकिन तनाव और बोझ में ये दब सकती है जिसका परिणाम निराशा और असफलता हो सकती है.
Understand your role and play it effectively: avoid the “command and control” mode. Act as friendly parents, teacher or business men
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