दीपिका पादुकोण और डिप्रेशन – लिव लव लाफ

deepika padukone and depression – live love laugh foundation

दोस्तों World health organization के अनुसार भारत में 36%  लोग डिप्रेशन का शिकार है. इसका मतलब है की हम में से हर तीसरा व्यक्ति मानसिक अशांति के दौर से गुजर रहा है हमारे देश में लगभग 1 लाख लोग हर साल अपनी जान ले लेते है. ये वो आंकड़े है जो हमारे सामने आ  जाते है .

आज हम ऐसे इंसान की बात करेंगे जो खुद डिप्रेशन का शिकार रही है . उन्होंने खुद को तो डिप्रेशन से बाहर निकाला ही बल्कि अपने अनुभव को सारी दुनिया के सामने रखा। हम बात कर रहे है हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की कामयाब हीरोइन दीपिका पादुकोण (deepika padukone) की , जो लगभग एक महीने तक डिप्रेशन का शिकार रही और अब वो अपनी इस बीमारी को लेकर खुल कर सामने आई है. उन्होंने (deepika padukone) एबीपी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में कहा ‘ डिप्रेशन दूसरी बीमारियो की तरह ही है जैसे कोई फिज़िकल बीमारी होती है लेकिन इसके लक्षण कुछ अलग है वह खुद भी डिप्रेशन का शिकार रही उनके (deepika padukone)  डिप्रेशन में जाने का कारण बताना जरूरी नही समझा और साथ ही कहा की डिप्रेशन के कारण सबके लिए अलग अलग होते है.

ये जरूरी नही की डिप्रेशम में सिर्फ आमिर आदमी को ही होता  है या डिप्रेशन सिर्फ गरीबो को होता है, डिप्रेशन का शिकार कोई भी व्यक्ति हो सकता है फिर चाहे वो मनोरंजन इंडस्ट्री से सम्बन्ध रखता हो या किसी और कारोबार से।

जब वो (deepika padukone) डिप्रेशन का शिकार थी तो अपने अंदर खालीपन महसूस करती थी बिना वजह रोने लग जाती थी किसी सोच में पड़ जाती थी लेकिन उन्होंने अपनी प्रोफेशन लाइफ पर उसका असर पड़ने नही दिया। उनका (deepika padukone) कहना था की ये उनकी किस्मत थी की प्रोफेशनल पर उसका असर नही पड़ा। साथ ही उन्होंने बताया की डिप्रेशन के लक्षण उनकी माँ को समझ आने लगे थे और फिर वो दीपिका (deepika padukone)  को साइकेट्रिस्ट के पास ले गई और उसके बाद साइकेट्रिस्ट और साइकोलोजिस्ट दोनों ने मिल कर उन्हें इस बीमारी से बाहर निकाला।

भारत में बढ़ते डिप्रेशन के मरीजो को देखते हुए  उन्होंने  लिव लव लाफ (live love laugh foundation) नाम के संगठन की शुरुवात की है.

इस पर उनका (deepika padukone) कहना है की इस देश में  डिप्रेशन को लेकर लोगों में ज्ञान की कमी है अगर ज्ञान है तो वो अधूरा है ज्यादातर लोगों को पता ही नही चल पता की वह डिप्रेशन के शिकार है और आसपास के लोग उसे फिज़िकल बीमारी समझते है।

हम लोग रियलिटी को स्वीकार नही करते  और खुद से ईमानदार नही है. हम बस ऐसा सोचते है की जो हो रहा है हमारे साथ तो हो ही नही सकता. अगर हमे खुश रहना है तो चीज़ों को स्वीकार करना पड़ेगा फिर चाहे वो फेलियर हो, रिश्तों में अनबन या और कुछ. खुश रहने के लिए हमे सब चीज़ों को स्वीकार करना पड़ेगा।

ये आशीर्वाद हमारे देश में दिया जाता है की ‘खुश रहो’ शायद इसके पीछे कोई कहानी हो शायद इसके पीछे कोई मकसद हो शायद वो सोच हम भूल चुके है.

इस आर्टिकल का मकसद किसी सेलेब्रिटी का interview नहीं है बल्कि यह बताना है की मानसिक समस्याए भी शारीरिक समस्याओ की तरह आम है और इसके बारे में किसी को बताने या इलाज़ करवाने में किसी तरह की कोई शर्म नहीं करनी चाहिए.  अगर आपको या आपके परिवार, रिश्तेदार, दोस्तों को किसी भी तरह की मानसिक समस्या है तो छुपाने की बजाये खुल कर बात करे, उन्हें सपोर्ट दे और डॉक्टर के पास लेकर जाये.

Mental Health is a sickness just like diabetes, heart problems, eye problems, we all need help.

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3 Comments

  1. kailash 04/09/2016
  2. RUPESH KUMAR 04/02/2017
  3. raj 20/02/2018

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