आईएएस या भारतीय प्रशासनिक सेवा (indian administration service) जिसका चयन देश की सबसे कठिन परीक्षा द्वारा लिया जाता है, इस परीक्षा का नाम है सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन (CSE), इस परीक्षा का आयोजन यूनियन पब्लिक सर्विसेज कमीशन (UPSC) द्वारा हर साल किया जाता है. ब्रिटिश भारत में इस परीक्षा का नाम था इम्पीरियल सिविल सर्विस (ICS). 1858 में इम्पीरियल सिविल सर्विसेज की शुरुआत हुई, 26 जनवरी 1950 को इसे बदलकर आईएएस या भारतीय प्रशासनिक सेवा (indian administration service) कर दिया गया. IAS भारत सरकार की सबसे प्रमुख प्रशासनिक सिविल सेवा है. UPSC द्वारा आयोजित CSE की परीक्षा से कुल 24 प्रशासनिक सेवाओ का चयन होता है जैसे की आईएएस, IPS (भारतीय पुलिस सेवा), IFS (भारतीय विदेश सेवा), IP & TAFS, IAAS, IRS, IDAS, CMSE, IRTS, IRAS, IRPS, ITS, CAPF-AF. इन सब सेवाओ में आईएस प्रथम स्थान पर आती है और ये तीन अखिल भारतीय सेवाओ में से एक है. IAS अफसर को केंद्र या राज्य के लिये नियुक्त किया जा सकता है. हर साल आईएस बनने के लिये लाखो बच्चे CSE परीक्षा के लिये आवेदन करते है. लेकिन उनमे से केवल कुछ का ही सिलेक्शन हो पाता है.
आईएस बनने के बाद अफसर को पुरे जिले की प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंप दि जाती है जिसे हम डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (DC) कहते है. शुरुआत में परीक्षा पास करने के बाद सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM & SDO) बनाया जाता है, एक आईएस अफसर को कई तरह की जिम्मेदारियां मिलती है जैसे की कलेक्टर, कमीशनर, चीफ सेक्रेटरी, कैबिनेट सेक्रेटरी.
आईएएस अधिकारियो को मिलने वाले पद Designations held by IAS officers during posting are as follows:
एक आईएस अफसर को शुरुआत में SDM और SDO बनाया जाता है, समय और अनुभव के साथ उनकी पदोन्नति की जाती है और उसी के अनुसार उनके पद (पोस्ट) भी बदलते है, विभिन्न पदों की जिम्मेदारियां और कार्य विविध होते है और इसी के हिसाब से उनकी सैलरी का निर्धारण भी होता है. ये पद है
- सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM & SDO)
- सब कलेक्टर
- डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM)
- कलेक्टर
- जॉइंट सेक्रेटरी (भारत की सरकार का)
- स्पेशल सेक्रेटरी
- हेड ऑफ़ गवर्नमेंट डिपार्टमेंटस
- सेक्रेटरी
- प्रिंसिपल सेक्रेटरी
- चीफ सेक्रेटरी (राज्य में)
- यूनियन सेक्रेटरी (सरकार के मंत्रालयों में)
- कैबिनेट सेक्रेटरी ऑफ इंडिया
कैसे बने आईएस ऑफिसर how to become an ias officer
यूपीएससी द्वारा हर साल CSE का पेपर आयोजित किया जाता है, परीक्षा के तिन चरण होते है. पहला चरण होता है प्रेलिमिनेरी परीक्षा, ये वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव बेस्ड) एग्जाम होता है जो की हर साल जून में लिया जाता है. इस परीक्षा में पास हुए बच्चो को मैन्स (MAINS EXAM) देना होता है, ये लिखित परीक्षा होती है और सितम्बर-अक्टूबर के महीने में इसका आयोजन होता है, यूपीएससी द्वारा निर्धारित न्यूनतम क्वालीफाइंग मार्क्स लाने वालो को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है जो की तीसरा चरण होता है. इसका आयोजन मार्च-मई के महीनो में होता है. मई के आखिरी तक फाइनल कटऑफ लिस्ट तैयार की जाती है. फाइनल कटऑफ लिस्ट में मेन्स और इंटरव्यू के नम्बरो को आधार बनाया जाता है. ज्यादा प्राप्त नम्बरो के आधार पर कैंडिडेट्स को संभावित पोस्ट्स पर असाइन कर दिया जाता है.
यूपीएससी एग्जाम का पैटर्न UPSC EXAM PATTERN
प्रेलिमिनेरी परीक्षा मूल रूप से क्वालीफाइंग एग्जाम होता है जो की वस्तुनिष्ठ होता है, इसमें दो पेपर शामिल होते है पहला जनरल स्टडीज (पेपर 1) और दूसरा सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (पेपर 2). मेन्स में कुल 9 पेपर लिये जाते है, ये पेपर कुछ इस प्रकार है.
- कंपल्सरी इंडियन लैंग्वेज (पेपर A)
- इंग्लिश (पेपर B)
- निबंध (essay, पेपर 1)
- जनरल स्टडीज (पेपर 2)
- जनरल स्टडीज (पेपर 3)
- जनरल स्टडीज (पेपर 4)
- जनरल स्टडीज (पेपर 5)
- ऑप्शनल 1 (पेपर 6)
- ऑप्शनल 2 (पेपर 7)
आईएस एग्जाम में बैठने की योग्यता IAS EXAM ELIGIBILITY
आईएस के पेपर में बैठने के लिये न्यूनतम योग्यता है ग्रेजुएट होना है, न्यूनतम आयु 21 साल है, अधिकतम आयु 32 साल (जनरल), 35 साल (ओबीसी), 37 साल (sc/st).
हम सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन कितनी बार दे सकते है UPSC EXAM ATTEMPTS
सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन के लिये अलग अलग कैटेगरी के लिये अलग अलग कोशिशो की सीमा तय की गयी है, जनरल कैटेगरी के लिये ये सीमा 6 है, ओबीसी के लिये ये सीमा 9 है, sc/st के लिये कोई सीमा नहीं है और वे 37 साल की उम्र तक ये परीक्षा दे सकते है.
इन लेखो को पढ़ना ना भूले
क्या आप एक्टिंग के बारे मे जानना चाहते है
विदेशी भाषाओ मे जॉब के अवसरो के बारे मे जाने
क्यो जरूरी है करियर सिलेक्शन मे एप्टीट्यूड टेस्ट
language translation मे जॉब की अपार संभावनाये
thanx for the good tips, excellent knowledge full