Story of mahavir swami in hindi
भारत अनेक धर्मो की भूमि है जिसने इंसान को जीने की एक अलग राह दिखाई है .उनमे से एक धर्म है जैन धर्म. जैन धर्म में 24 महान तीर्थंकर थे. जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव थे जिन्होंने जैन धर्म की स्थापना की. ऋषभदेव तीर्थंकर के कर्मानुसार पार्श्वनाथ 23 वे तीर्थकर बने. पार्श्वनाथ ने जिस जैन धर्म की शिक्षा दी उसका लाखो लोग अनुसरण करते थे. भगवान् महावीर (Mahavir) के पिता सिद्धार्थ और माता प्रियकरिणी भी पार्श्वनाथ की धर्म शिक्षा से बहुत प्रभावित थे. भगवान महावीर का जन्म 540 इसा पूर्व में कुंडग्राम (वैशाली) में हुआ था. महावीर (Mahavir) के बचपन का नाम वर्धमान था. पांच साल की आयु में वर्धमान डर क्या है नहीं जानते थे. किसी भी समय किसी भी स्थान पर बिना डरे चले जाते थे. एक बार वह अपने मित्रो के साथ खेल रहे थे. तभी एक हाथी खेल के मैदान के चारो तरफ दोड़ने लगा. जो भी चीज हाथी के पैरो के निचे आती उसे वह रोंद देता था. अपनी सूंड से रास्ते में आने वालो को मार गिरा रहा था. वर्धमान के मित्रो ने जब देखा तो वह भी कापने लगे और भाग गए. किन्तु वर्धमान स्थिर और दृढ़तापुर्वक वही खड़े रहे. हाथी ने अपनी सूंड वर्धमान की और फैलाई लेकिन वर्धमान जल्दी से आगे बढे और हाथी की सूंड पकड़कर उसकी गर्दन पर चढ़ गए. और फिर उसके सर पर हाथ फेरकर उन्होंने हाथी को अपने वश में कर लिया. किसी भी खतरे का भय उनके साहस को कम नहीं कर पाया. तभी से वह महावीर कहलाये.
महावीर ने 30 वर्ष की आयु में माता पिता की निधन के बाद सन्यास से लिया. 12 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद भगवान महावीर (Mahavir) को त्रिजुपलिका नदी के किनारे साल के पेड़ के नीचे तपस्या करते हुए सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ. तीर्थंकर बनने के बाद महावीर (Mahavir) ने धर्म की एक अलग राह दिखाई . उनके मुख्य सिद्धांत पांच व्रत है
5 Important Teachings of Mahavir swami in hindi
अहिंसा – किसी भी प्राणी को कष्ट न देना. पशु पक्षियों से प्रेम करना.
सत्य – झूठ न बोलना और क्रोध को त्यागना.
अस्तेय – चोरी न करना.
ब्रह्मचर्य – इसका मतलब सिर्फ अविवाहित रहना ही नहीं है. विवाहितो को भी अपने प्रेम को नियंत्रण में रखना चाहिए.
अपरिग्रह – आवश्यकता अनुसार सम्पति रखना. लालच के कारण दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता.
महावीर (Mahavir) ने 32 वर्ष तक धर्म का प्रसार किया और 527 ईसापूर्व में 72 वर्ष की आयु में बिहार के पावापुरी (राजगीर) में निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया। वह दिन दीपावली के त्यौहार का दिन था. जैन लोग दीपावली को भगवान् महावीर (Mahavir) के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते है.
महावीर का आदर्श जीवन एक खुली किताब की तरह है. वे परीक्षा और कठिनाइयों से नहीं घबराये. निडर होकर हिमालय की तरह अटल खड़े रहे और अंत में स्वयं हिमालय बन गए.
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भगवान महावीर से जुडी यह जानकारी देने के लिए धन्यवाद्
Bhagwan Budh se Judi jankari dene ke liye dhanyavad.