World Mental Health Day सुसाइड और इसके प्रति जागरूकता
दुनिया के किसी भी कोने में हम चले जाएँ, हमारी कोशिश यही रहती है कि हमारी quality of life इस प्रकार की हो कि Basic सुविधा हमे मिल सके और Health ठीक रहे. और जब हम बात करते हैं Health की तो हमारा तात्पर्य शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य से है. शारीरिक स्वास्थ्य के लिए तो काफी जागरूकता लोगो में आ रही है, किंतु जब हम बात करते हैं मानसिक स्वास्थ्य की तो, आज भी समाज में फैली भ्रामक बातों के कारण हम अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाते, जिसके अधिकतर नकारात्मक प्रभाव ही सामने आते हैं.
मानसिक समस्याओं को कई बार इसलिए भी कम आंका जाता है क्योंकि लोगों को लगता है कि यह मात्र लोगों का भ्रम है, और कुछ suggestion देने से सब ठीक हो जाएगा, किंतु ऐसा नहीं है. दुनियाभर में कई मुख्य संस्थान मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करते है, और हजारो मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक इस दिशा में कार्य कर रहे हैं.
दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर October के महीने में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस यानिWorld Mental Health Week का आयोजन WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के world federation of Mental Health द्वारा किया जाता है, जिसमे हर साल एक नई थीम रखी जाती है. इस साल 2019 में इस सप्ताह की थीम रखी गई है FOCUS ON SUICIDE PREVENTION यानी “आत्महत्या की रोकथाम पर ध्यान”.
जितनी रफ्तार से हमारी आसपास की चीजें बदल रही है उतनी ही तेज़ी से हमारे life style में भी बदलाव आया है, जिस कारण कई बार लोगों को adjustment में दिक्कत आती हैं, या फिर कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिनके लिए हम तैयार नहीं होते. WHO की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति सुसाइड कर लेता है, और हर साल यह आंकड़ा लगभग 8 लाख के पार हो जाता है. इसके अलावा यदि attempt to suicide की बात करें तो तो ये आंकड़े और भी चिंताजनक हैं. यदि भारत की बात की जाए तो who की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं में सुसाइड के मामले में नम्बर 6 तो पुरुषों में 22 वें नंबर पर हैं, जो दर्शाता है कि दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा सुसाइड के केस भारत में ही होते हैं.
सुसाइड के मुख्य कारण : कोई भी व्यक्ति सुसाइड जैसा क़दम तभी उठाता है जब उसके आगे कोई और विकल्प न बचे, या फिर उसकी मानसिक तनाव उसपर हावी हो जाए. एक्स्पर्ट्स की माने तो सुसाइड करने के कई कारण होते हैं जैसे Depression, hopelessness, isolation, traumatic stress, bullying, life stressors, etc.
व्यक्ति की मनो स्थिति :
जो भी व्यक्ति suicide के लिए कदम उठाने की कोशिश करते हैं, उनकी मानसिक स्थिति में काफी हद तक समान होती है, जिसमे कुछ मुख्य चीज़ें होती है, जैसे कि
-दुविधा भरे विचार : हम सभी के जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं जिसके कारण कई बार लोगों के मन में विचार आते हैं कि लाइफ में चाहे जो problem हो उससे survive करें, लेकिन दूसरी तरफ मन में चलता है कि यह सब ख़त्म करें एक ही स्टेप में. और इसी प्रकार के विरोधाभास में कई व्यक्ति दूसरा option चुनते हैं.
-गुस्से में आकर फैसले लेना : गुस्सा या उग्र विचार कुछ क्षणों के लिए हमारे मन में आते हैं, SUICIDAL विचार भी एक प्रकार से उग्र विचार ही होते हैं जो कुछ समय के लिए हमारे मन में आते हैं, और ये हमारे दिन भर के कार्यो के चलते आते हैं, जो मन में एक frustration की feeling को trigger करते हैं. ऐसे समय में यदि व्यक्ति को किसी का साथ मिले, या किसी और activity में वो लग जाए तो काफी कम chance होते हैं कि वे सुसाइड की तरफ़ जाएं.
-जटिल एवं कठोर विचार : जब किसी व्यक्ति में SUICIDAL प्रवृत्ति बढ़ती है तो उसके विचार, emotion, feeling एक प्रकार से बहुत ज़्यादा कठोर हो जाते हैं जिस वजह से वे चीज़ों के दूसरे नज़रिये को नहीं देखते या नहीं देखना चाहते हैं.
SUICIDAL व्यवहार या विचारों से संबंधित कई मिथ्या आज भी समाज में है जिनमे से मुख्य हैं :-
-“कई लोग कहते हैं कि वे सुसाइड कर लेंगे किन्तु नहीं करते” :
यह बात बिल्कुल भी सही नहीं है, जब भी कोई व्यक्ति इस प्रकार की बात करते हैं तो यह एक प्रकार की चेतावनी होती है उसके आसपास के और परिवार के लिए, जिसे कई बार लोग कम आँक कर टाल देते हैं.
– “एक बार किसी व्यक्ति के मन में suicide के विचार आने शुरू हो जाएँ, तो वो हमेशा रहते हैं”: यह सत्य नहीं है, एक बार SUICIDAL thoughts जाने के बाद वो आ सकते है, लेकिन वो permanent नहीं होते, इसके अलावा ये भी संभव है कि ऐसे thoughts आएं ही ना.
हम सभी कैसे मदद कर सकते हैं :-
-जब कोई व्यक्ति life के stress full situations से deal करने में खुद को असमर्थ पाता है तो वह कहता है कि “काश में यहां ना होता, या अब मुझसे ये सब चीजें हैंडल नहीं होतीं, मन कर ता है ये सब ख़त्म कर दूँ”. तो हम उसे emotional support दे सकते हैं, साथ ही साथ उसे motivate कर सकते हैं कि वो अपनी बात कह सके, अकेलेपन और खालीपन संबंधित विचार कम हो सके. कोशिश करें कि उस व्यक्ति की strengths को समझ कर उनकी तरफ उसका ध्यान लगाए, एवं ज़रूरत पड़ने पर professional help लें.
-इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति सुसाइड के लिए किसी plan की बात करे, लेकिन वैसे करे नहीं, तब भी खतरा होता है. उनके लिए emotional support तो दें ही साथ में उनके thoughts और feelings को भी जानने की कोशिश करे और अपने साथ उसके परिवार और बाकी दोस्तो को भी शामिल करें, और किसी professional से मदद लेने में देर नहीं करे.
ऐसी situation में कुछ चीजें ऐसी भी होती है जिनका ख्याल रखना होता है कि वे न कि जाएँ, जैसे कि उसे इग्नोर कर देना, पता चलने पर आश्चर्य जताना, ये कहना कि आप ये किसी को भी नहीं बताएंगे, झूठी दिलासा देना शुरू कर देना, उस व्यक्ति को अकेला छोड़ देना, इत्यादि.
आज भारत जहां दुनिया को हर क्षेत्र में एक दिशा दिखाने का काम कर रहा है तो वही हमारी यह ज़िम्मेदारी और भी ज़्यादा बढ़ जाती है कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जागरूकता दुनियाभर में फैलाई जाएँ. इसलिए इस बार के विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह में हम सभी की यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि अपने आसपास के लोगों से ज़्यादा से ज़्यादा बात करें और ये जानने की कोशिश करें कि ऐसी कोनसी चीज़ें हैं जो लोगों को परेशान करती है, और उन्हे motivate करें कि ज़रूरत पड़ने पर किसी professional की हेल्प लें.
लेखक के बारे मे
यह आर्टिक्ल शुभम प्रजापति द्वारा लिखा गया है जो पेशे से school counselor है और online counseling website Manochikitsa मे मेंटल हेल्थ काउंसलर के तौर पर कार्य करते है। इनका लक्ष्य आम लोगो मे मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
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Good knowledge
bahut achhi jaankari di gayi hai post me…share karne ke liye dhanyawaad.
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