एंटीडिप्रेसेंट वे दवाएं हैं जो डिप्रेशन , सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर, एंग्जायटी डिसऑर्डर, और डिस्टीमिया जैसे रोगो के लक्षणों को दूर करने में मदद करती हैं। इनका उद्देश्य मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन को संतुलित करना है। जब इंसान के मस्तिष्क मे रसायनों का लेवेल बिगड़ता है तो इसके कारण मूड और व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है। Antidepressants मस्तिष्क में रसायनों के स्तर में वृद्धि करती है हैं जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है। कुछ न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे सेरोटोनिन और नॉरएड्रेनालाईन, मूड और भावना से जुड़े होते हैं।
Antidepressants पहली बार 1950 के दशक में विकसित की गई । इनका इस्तेमाल पिछले 20 वर्षों में सामान्य हो गया है। ये दवाएं आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं, आपको बेहतर नींद लेने में मदद कर सकती हैं और आपकी भूख और एकाग्रता को बढ़ा सकती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, 12 वर्ष से अधिक आयु के लोगों मे एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग करने का प्रतिशत 1999-2004 में 7.7 प्रतिशत से बढ़कर अब 12.7 प्रतिशत हो गया है। इन दवाइयों का इस्तेमाल पुरुषो के तुलना मे महिलाओ द्वारा ज्यादा किया जाता है।
यदि आप एंटीडिप्रेसेंट ले रहे हैं, तो आपके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपके जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। तो आइये जानते है
Types of Antidepressants in hindi – एंटीडिप्रेसेंट के प्रकार
SNRIs and SSRIs
Serotonin and noradrenaline reuptake inhibitors (SNRIs) का उपयोग अवसाद, मूड विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। ये दवाएं मस्तिष्क में दो न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और नॉरपेनेफ्रिन के स्तर को बढ़ाते हैं जो मूड को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वही Selective serotonin reuptake inhibitors (SSRIs) दवाएं सबसे अधिक दी जाने वाली Antidepressants हैं। ये अवसाद के इलाज में प्रभावी हैं, और इसके अन्य एंटीडिपेंटेंट्स की तुलना में कम दुष्प्रभाव हैं। SSRIs मस्तिष्क में सेरोटोनिन के अवशोषण को रोकती हैं। इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को संदेश प्राप्त करने और भेजने में आसानी होती है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर और अधिक स्थिर मूड होता हैं।
उदाहरण के तौर पर – सिटालोप्राम, फ्लुक्सोटाइन (प्रोज़ैक, सराफेम), फ्लुक्सोमाइन (लुवोक्स), पैरोक्सीटिन (पैक्सिल) और सेराट्रेलिन (ज़ोलॉफ्ट)
Tricyclic antidepressants (TCAs)
Tricyclic antidepressants (TCAs) अवसाद, फाइब्रोमायल्जिया, चिंता और इसके कारण उत्पन्न दर्द का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं।
उदाहरणों में एमिट्रिप्टीलिन (एलाविल), एमोक्सापाइन- क्लोमिप्रामाइन (एनाफ्रानिल), डेसिप्रामाइन , डॉक्सपिन (साइनकन) शामिल है।
Monoamine oxidase inhibitors (MAOIs)
इस तरह के Antidepressants को आमतौर पर SSRIs और SNRI की खोज से पहले दिया जाता था। यह एक मस्तिष्क एंजाइम मोनोमाइन ऑक्सीडेज की क्रिया को रोकता है। डॉक्टर आमतौर पर MAOI उन मामलों मे इस्तेमाल करते है हैं जहां अन्य एंटीडिपेंटेंट्स असर नहीं कर पाती।
एंटीडिप्रेसेंट के साइड इफेक्ट्स – Side Effects of Antidepressants in hindi
सभी दवाओं की तरह, एंटीडिपेंटेंट्स के भी कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इनमे शामिल हैं:
- सरदर्द
- उलटी आना
- मुँह सूखा लगना
- वजन बढ़ना
- उत्तेजना
- उनींदापन
- अनिद्रा
- कब्ज
- ज्यादा पसीना आना
- अपच और पेट में दर्द
- धुंधलापन
सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर्स (SSRIs) के आमतौर पर पुराने प्रकार की दवाओं जैसे ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (TCAs) और मोनोमाइन ऑक्सीडेज इनहिबिटर (MAOIs) से कम दुष्प्रभाव होते हैं।
How Long Patient Need to Take Antidepressants?- कितने समय तक एंटीडिप्रेसेंट ली जा सकती है
यह पेशंट की स्थिति पर निर्भर करता है। अधिकांश लोगों को कम से कम छह से नौ महीने के लिए अवसाद की दवा लेने की आवश्यकता होती है, लेकिन बेहतर महसूस होने पर भी इसे अधिक समय तक लेने की आवश्यकता हो सकती है। कुछ लोग कई सालों तक एंटीडिप्रेसेंट लेते हैं। आपका डॉक्टर यह तय करने में आपकी मदद करता है कि कब इसे रोकने का सही समय है
ऐसी दवाओ को अचानक से नहीं रोका जाता क्योकि ऐसा करने से withdrawal symptoms जैसे सिरदर्द या चक्कर आना आदि का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए ऐसी दवाइयों को धीरे-धीरे रोकने के लिए आपका डॉक्टर आपकी मदद करता है।
ऐसे मे सभी लोगो को सलाह दी जाती है की बिना डॉक्टर के परामर्श लिए इन दवाओ का इस्तेमाल न करें।
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