जानिए क्यों मनाया जाता है धनतेरस story of Dhanteras in hindi

भारत त्याहारों का देश है. यहाँ हर त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाये जाते है. हम में से बहुत से लोग त्यौहार मनाते तो है लेकिन उस त्यौहार को मानाने के पीछे की वजह नहीं जानते.

दीपावली के दिन आने वाले है लेकिन दीपावली की शुरुआत होती है धनतेरस (Dhanteras) से. धनतेरस कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी दीपावली से दो दिन पहले आता है. इस दिन लोग अपने घर के दरवाजे के पास दीया जलाते है और नया बर्तन या चांदी खरीदते है.

क्या आप जानते है धनतेरस (Dhanteras)  क्यों मनाया जाता है? क्यों धनतेरस के दिन हर घर के मुख्य द्वार (main gate) पर एक दीया जलाया जाता है? जिस तरह हर त्यौहार के पीछे एक कथा होती इसके पीछे भी एक कथा है.

धनतेरस की पौराणिक कथा  – story of Dhanteras in hindi

 

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के दौरान चिकित्सा विज्ञान के  देवता भगवान धन्वंतरी प्रकट हुए थे. इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. क्योकि भगवान धन्वंतरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में एक कलश था इसलिए इस दिन बर्तन या चांदी खरीदना शुभ माना जाता है.

एक अन्य कथा के अनुसार प्राचीन समय में हेम नाम के एक राजा रहता था. विवाह के कई सालो बाद उसकी एक संतान हुई. जब ज्योतिषियों ने बालक देखी तो पता चला की राजकुमार के विवाह के ठीक चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी. यह बात जानकार राजा और रानी बहुत दुखी हो गए. धीरे धीरे समय बितता गया और राजकुमार ने गन्धर्व विवाह कर लिया.  विवाह के चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने लेकर चले गए लेकिन राजकुमार की पत्नी के शोक विलाप को देखकर उन्होंने यमराज से पूछा की कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इंसानों की अकाल मृत्यु न हो सके.  यमराज ने इसका उपाय बताते हुए कहा की  कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी की रात को जो मनुष्य   दक्षिण दिशा की और दीप जलाएगा वो अकाल मृत्यु से बच सकता है. तभी से धनतेरस (Dhanteras) के दिन दीया जलने की परम्परा की शुरुआत हुई.

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